उत्तर प्रदेश के मोहनलालगंज का गौरा गांव। तारीख थी 25 अप्रैल और साल 2009, सुबह के 6 बज रहे थे। मिट्टी से बना कच्चा मकान। 30-35 साल की संतोषी चूल्हे के पास बैठकर सब्जी काट रही थी।
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अंदर के कमरे में खाट पर तीन बच्चे सो रहे थे। 6 साल का लड़का रामरूप। 4 साल की सुमिरन और डेढ़ साल का रवि। पास ही संतोषी का पति बैठा हुआ था।
चूल्हे पर कढ़ाई चढ़ाते हुए संतोषी बोली- ‘कब से कह रही कि दुकान से नमक ले आओ, लेकिन जब तक किसी सामान के लिए 20 बार न कहो, तुम सुनते ही नहीं। तेल भी नहीं है।’
संतोषी का पति खीझते हुए बोला- ‘हां, हां जा रहा हूं। सुबह-सुबह चिल्लाने लगी।’
गुस्से में संतोषी ने कड़ाही पटक दी।
ये मानेगी नहीं…कहते हुए संतोषी के पति ने शर्ट की बटन लगाई और दरवाजा को धक्का देते हुए बाहर निकल गया।
करीब 10 मिनट बाद एक आदमी संतोषी के घर में घुसा। उसके साथ एक महिला भी थी। जिसके हाथ में कुल्हाड़ी थी। चिल्लाते हुए बोली- ‘आज तुम सभी को लाइन में लगा देते हैं। रुको तुम…।’
उस महिला ने आदमी से कहा- ‘देख क्या रहा है, उठा कुल्हाड़ी और सभी का काम तमाम कर दे। हमें साथ रहना है तो इन्हें मरना होगा।’
आंगन में शोर सुनकर तीनों बच्चे भी उठ गए। 6 साल का रामरूप कमरे से बाहर निकला और उस आदमी के पैरों से लिपट गया। बोला- ‘छोड़ दो। छोड़ दो मम्मी को।’
‘नहीं, नहीं, आज सबको खत्म करके ही दम लूंगा। बहुत दिन से सोच रहा था।’, कहते हुए उस आदमी ने बच्चे को किनारे धक्का दिया और कुल्हाड़ी लेकर संतोषी की तरफ दौड़ा।
संतोषी बिना डर के उस आदमी के सामने खड़ी हो गई। बोली- ‘बहुत गर्मी चढ़ी है न तुझे। मारकर खा ले मुझे। शांत कर ले अपनी गर्मी।’
ये सुनते ही उस आदमी ने संतोषी के सिर पर कुल्हाड़ी मार दी। संतोषी ने झटके से अपना सिर किनारे किया तो कुल्हाड़ी उसके चेहरे और आंख पर जा लगी। उस शख्स ने पूरी ताकत से चेहरे पर धंसी कुल्हाड़ी खींची तो संतोषी की आंख बाहर आ गई। वो चूल्हे के बगल में धड़ाम से गिर पड़ी। कराहते-कराहते उसकी आवाज बंद हो गई। आंगन में खून बहने लगा।
उस शख्स ने कुल्हाड़ी से संतोषी के चेहरे पर वार किया, कुल्हाड़ी चेहरे की हड्डी में धंस गई। जब कुल्हाड़ी खींच कर निकाली तो संतोषी की आंख भी निकल आई। स्केच: संदीप पाल
संतोषी का बेटा रामरूप बिलखते हुए दरवाजे की तरफ भागा। उस आदमी ने दौड़कर रामरूप को पकड़ लिया। बोला- ‘@#*& गांववालों को बताने जा रहा था ना। तू रुक।’
इतना कहते ही उसने दांत पीसते हुए कुल्हाड़ी चलाई। रामरूप का एक कान कटकर जमीन पर गिर गया। रामरूप कान पर हाथ रखकर चीखने लगा। उस आदमी ने फिर कुल्हाड़ी उठाई और रामरूप के चेहरे और माथे पर दनादन वार करने लगा। रामरूप का शरीर छलनी-छलनी हो गया। तड़प-तड़प कर उसने दम तोड़ दिया।
तभी चार साल की सुमिरन भी रोते हुए वहां आ गई। वो आदमी तेजी से सुमिरन की तरफ बढ़ा और उसे उठाकर जमीन पर पटक दिया। उसकी चीखें और तेज हो गईं। गुस्साए शख्स ने कुल्हाड़ी उठाई और सुमिरन के गले पर दनादन दे मारी। उसका सिर, धड़ से अलग हो गया।

शख्स ने कुल्हाड़ी से चार साल की सिमरन का सिर धड़ से अलग कर दिया। स्केच: संदीप पाल
इधर, खून से सनी संतोषी का शरीर हिलने लगा। वह कराहते हुए जमीन से उठने लगी। तभी वो औरत चीखते हुए बोली- ‘संतोषी जिंदा है, गला काट दो इसका।’
वो आदमी तेजी से संतोषी की तरफ बढ़ा और उसे घसीटते हुए आंगन में ले जाकर पटक दिया। कुल्हाड़ी उठाई और उसकी गर्दन को निशाना बनाकर तीन-चार वार किए। संतोषी की गर्दन कटकर लटक गई। आंगन में चारों तरफ खून ही खून फैल गया। फिर दीवार के सहारे पीठ टिका कर वो आदमी सुस्ताने लगा।
तभी वो औरत बोली- ‘इसका डेढ़ साल का एक और लड़का है। अंदर कमरे में होगा, उसका भी काम तमाम कर दो। कोई बचना नहीं चाहिए।’
वो आदमी फौरन कमरे में घुसा। खाट पर लेटा डेढ़ साल का रवि रो रहा था। उस आदमी ने बच्चे की छाती के बीचों-बीच पूरी ताकत से कुल्हाड़ी दे मारी। उसके दो टुकड़े हो गए।

उस शख्स ने डेढ़ साल के बच्चे की छाती पर कुल्हाड़ी मारकर उसका शरीर दो टुकड़े कर दिया। स्केच: संदीप पाल
संतोषी के घर के ठीक सामने कोलई का घर था। कोलई की पत्नी माधुरी बेटी संगीता और गीता के साथ आंगन में खाना पका रही थी। चीख-पुकार सुनकर माधुरी, संगीता से बोली- ‘ई बहुत चिल्ला रहा है। लगता है फिर कुछ किया है। रुको देखकर आती हूं।’
माधुरी जैसे ही संतोषी के दरवाजे पर पहुंची, उसके होश उड़ गए। पूरे आंगन में खून ही खून था। सामने एक शख्स खड़ा था, जिसके हाथ में कुल्हाड़ी थी। माधुरी को देखते ही वो चिल्लाया- ‘आ तू भी आजा। सब को लाइन में लगा दिया है। अब तेरी बारी है। हमारे झगड़े में कूद-कूदकर आती हो न।’ माधुरी भागने लगी, लेकिन उसने दौड़कर माधुरी के ऊपर पीछे से कुल्हाड़ी चला दी।
माधुरी का दाहिना कान कटकर गिर गया। वह नीचे बैठकर चीखने लगी। तभी उस आदमी ने माधुरी के सिर पर जोर से दो-तीन वार किए। माधुरी का सिर बीच से अलग हो गया। वह जमीन पर तड़प-तड़पकर मर गई।
मां की चीखें सुनकर संगीता भागती हुई आई। देखा- ‘माधुरी खून से लथपथ जमीन पर पड़ी थी। सामने वह शख्स कुल्हाड़ी लिए खड़ा था। चीख रहा था, ‘और कोई है… अगर है तो सामने आ जा।’
संगीता दहाड़ मारकर रोने लगी। तभी वो शख्स बोला- ‘तू भी इन सबके साथ जाएगी। आ लाइन में लगाता हूं।’ ये कहते ही उसने संगीता की तरफ कुल्हाड़ी फेंकी।
कुल्हाड़ी संगीता के बांह पर लगी। वह चिल्लाती हुई भागी और खेत के रास्ते मोहनलालगंज थाने चली गई। ‘मार दिया रे, मार दिया रे।’
इधर, माधुरी का 12 साल का बेटा राजेंद्र खेत की मेढ़ पर नहाने गया था। गांव का एक बच्चा भागता उसके पास आया। बोला- ‘जल्दी जाकर देखो, तुम्हारी मां को मार दिया।’
‘मार दिया’… राजेंद्र गीले कपड़ों में ही घर की तरफ दौड़ पड़ा। आया, तो देखा उसकी मां सड़क पर पड़ी है। सिर के दो टुकड़े हो गए थे। वह आदमी कुल्हाड़ी लिए इधर-उधर घूम रहा था।
राजेंद्र को देखते ही वो आदमी बोला, ‘आ जा तू भी आ जा। मां की गोद में सुला देता हूं।’ राजेंद्र मां को पकड़कर रोने लगा। तभी उस आदमी ने राजेंद्र पर धड़ाधड़ कुल्हाड़ी चलाने लगा। राजेंद्र भी छलनी-छलनी हो गया।
इसी बीच माधुरी का पति कोलई भी आ गया। सामने उसकी पत्नी और बेटा पड़े थे।

कोलई अपनी पत्नी की लाश और घायल बेटे राजेंद्र को देखते ही चीखने लगा। स्केच: संदीप पाल
तब तक गांव के लोग भी वहां इकट्ठा होने लगे थे। उस आदमी ने पास ही बने एक कमरे में कुल्हाड़ी फेंकी और तेजी से खेत की तरफ भाग निकला। उसके साथ आई महिला भी गायब हो गई।
इसी बीच भीड़ से आवाज आई- राजेंद्र की सांसें चल रही हैं। कोलई बिलखते हुए बोला- ‘कोई इसे हॉस्पिटल में भर्ती करवा दो।’
गांव वाले उसे लेकर तुरंत अस्पताल की तरफ भागे। कोलई रोते हुए अपने घर गया और छोटी बेटी गीता से बोला- ‘तेरा भाई पास के गांव में शादी का मंडप डालने गया है, जाकर उसे बुला ला।’
गीता दौड़ी-दौड़ी उस घर में पहुंची जहां उसका भाई मंडप डाल रहा था। बोली- ‘भइया जल्दी चलो… हमारी मां को…’
नन्हा उसे देखते ही डर गया। बोला- ‘क्या हुआ, यहां क्यों आ गई।’
‘वो भइया…’, वह कुछ बोल ही नहीं पा रही थी। फूट फूटकर रोने लगी।
नन्हा घबराते हुए बोला, ‘बोल तो गीता, क्या हुआ’
गीता थोड़ा ठहरकर बोली, ‘मां को मार दिया…।’
‘मां को मार दिया’… नन्हा, गीता का हाथ पकड़कर गांव की ओर भागा।
वो आदमी कौन था, जिसने संतोषी के पूरे परिवार का कत्ल कर दिया। उसके साथ आई महिला कौन थी? उसने कोलई की पत्नी को क्यों मारा? संतोषी का पति अब तक बाजार से लौटा क्यों नहीं था पूरी कहानी मोहनलालगंज मर्डर केस के पार्ट-2 में…
कातिल और उसके साथ आई महिला वहां से भाग निकले, राजेंद्र अस्पताल में भर्ती है, अब कातिल तक कैसे पहुंचेगी पुलिस

माधुरी की बेटी संगीता कटी बांह में दुपट्टा बांधे मोहनलालगंज थाने पहुंची। वहां उसने SHO अशोक कुमार से कहा कि मेरी मां और संतोषी के पूरे परिवार को कुल्हाड़ी से काट दिया है। SHO अपनी टीम लेकर गौरा गांव पहुंच गए। एक-एक करके संतोषी के घर से चार लाशें निकाल घर के सामने सड़क पर रखीं। फिर सभी लाशों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। पूरी कहानी पढ़िए मोहनलालगंज मर्डर केस पार्ट-2 में
(नोट- यह सच्ची कहानी, सेशन कोर्ट के एडवोकेट अशोक कुमार वर्मा, केस के जजमेंट, कोलई और उसके नन्हा से बातचीत पर आधारित है। सीनियर रिपोर्टर नीरज झा ने क्रिएटिव लिबर्टी का इस्तेमाल करके इस घटना को कहानी के रूप में लिखा है।)