प्रदेश में ‘स्वस्थ यकृत मिशन’ के तहत लीवर से जुड़ी बीमारियों की स्क्रीनिंग की जा रही है। इस कार्य में महिला आशा कार्यकर्ताओं को लगाया है, जिन्हें महिला और पुरुषों की जांच का दायित्व सौंपा है। उन्हें उम्र, वजन और ऊंचाई के साथ कमर का नाप भी लेना है। उज्
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आंगनवाड़ी केंद्र सुदामा नगर में सुबह से कई लोग अपनी जांच के लिए पहुंच रहे हैं। यहां काम कर रहीं आशा कार्यकर्ता सीमा बोलोनिया ने बताया कि हम महिलाओं की जांच आसानी से कर लेते हैं, लेकिन जब कोई पुरुष आता है तो उनकी कमर का नाप लेते हुए असहज लगता है। ऐसे में पुरुष खुद इंची टेप लेकर कमर का नाप लेते हैं और हमें बताते हैं।
भद्दे कमेंट्स भी करते हैं लोग
बोलोनिया बताती हैं कि कई बार ऐसे भी लोग आ जाते हैं, जो कमर का नाप लेते हुए भद्दे कमेंट्स करते हैं। तब शर्मिंदगी महसूस होती है, लेकिन काम है किसी से कुछ कह नहीं सकते हैं।
कमर का नाप खुद ही लेते हुए पुरुष।
40 हजार से अधिक लोगों की जांच
जिले में सोमवार तक 40,922 लोगों की स्क्रीनिंग की गई है। इनमें से 18,104 पुरुष और 22,818 महिला हैं। जांच अभियान 1 जून से शुरू हुआ है। इसके तहत 30 से 65 साल के लोगों में लीवर की बीमारी की पहचान करनी है। ताकि उनका समय रहते इलाज हो सके। स्क्रीनिंग क्षेत्र के आंगनवाड़ी केंद्र और घर-घर जाकर की जा रही है। आशा कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी है, जिन्हें महिला-पुरुषों की उम्र, वजन, ऊंचाई और कमर का नाप कर डेटा तैयार करना है।

आंगनवाड़ी केंद्र के बाहर नाप कराने आई महिलाएं।
कार्यकर्ताओं को समझाइश दी है
स्वस्थ यकृत मिशन के नोडल चिकित्सा अधिकारी डॉ. आदित्य रावल ने बताया कि

स्वस्थ यकृत मिशन के तहत आशा कार्यकर्ताओं को महिला-पुरुषों की स्क्रीनिंग का जिम्मा सौंपा है। पुरुषों की कमर का नाप कैसे करें इस बात को लेकर कुछ कार्यकर्ता सीएमएचओ के पास पहुंची थीं। उन्हें समझाइश दी गई है। इसके बाद से अभी कोई शिकायत नहीं है।