पैसों की तंगी और कर्ज ने शहर में एक और जान ले ली। इस मौत से एक परिवार बिखर गया। दिव्यांग बेटा आंखों में आंसू लिये अब इस चिंता में है कि उसकी देखभाल कौन करेगा। मामला स्मीमेर अस्पताल में काम करने वाली एक महिला सफाईकर्मी से जुड़ी है। उसने घर पर अपने 22 स
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अंतिम संस्कार के लिए भी पैसे नहीं थे दुख की बात यह है कि महिला के अंतिम संस्कार के लिए भी पैसे नहीं थे, तो आसपास के लोगों ने चंदा करके अंतिम विधि कराई। उधना क्षेत्र के सुमन आवास में 39 वर्षीय हर्षिताबेन किशनभाई सोलंकी अपने पति और बेटे के साथ रहती थीं। वे पिछले छह वर्षों से सफाई कर्मचारी के रूप में कार्यरत थीं।
बुधवार को हर्षिताबेन ड्यूटी पर गई थीं और रात 8 बजे के आसपास घर लौटीं। हर्षिता ने घर पहुंचने से पहले उन्होंने अपने बेटे को फोन कर कहा कि “मैं आज कुछ कर बैठूंगी।’ और हर्षिता ने ऐसा ही किया। उसने घर पहुंचते ही दिव्यांग बेटे के सामने एसिड पी लिया। उसे तुरंत स्मीमेर अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
वेतन मिलते ही सूदखोर घर पर आकर परेशान करते हर्षिता के प्रत्येक महीने मिलने वाली सैलरी पर सूदखोरों की नजर होती थी। पिछले कुछ महीनों से तनख्वाह की तारीख आते ही फाइनेंसर घर के बाहर जमा होकर पैसे मांगने पहुंच जाते थे। हर्षिताबेन ने चार से पांच लाख रुपये फाइनेंसरों से उधार लिए थे। ऐसा माना जा रहा है कि फाइनेंसरों की लगातार प्रताड़ना से तंग आकर उसने यह आत्मघाती कदम उठाया।
हर्षिता के पैसों से ही परिवार का गुजर-बसर होता था हर्षिता के अचानक इतना बड़ा कदम उठाने के पीछे परिवार की आर्थिक हालत भी बड़ी वजह बताई जा रही है। हर्षिताबेन ही घर की एकमात्र कमाने वाली थीं। उसका पति छोटे-मोटे काम करता है। बड़ा बेटा दिव्यांग है। बताया जाता है कि महिला पर करीब 4 से 5 लाख रुपये का कर्ज भी था।
4 साल पहले छोटे बेटे को ऐसे ही कदम उठाने पर पीटा था चार साल पहले नए साल के मौके पर हर्षिताबेन ने अपने छोटे बेटे स्नेहल को सड़क पर सबके सामने पीटा था। वजह थी- स्नेहल ने सड़क पर ही सबके सामने एसिड पीकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी। मार खाने के बाद बेटे ने गुस्से में आकर बिल्डिंग की पांचवीं मंजिल से कूदकर जान दे दी थी।