बनासकांठा में पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट में देवास के 10 लोगों की मौत हो गई।
एक साल पहले हरदा पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट में जिंदा बचे शख्स राकेश की गुजरात पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट में मौत हो गई। हरदा ब्लास्ट के बाद मां शांताबाई इतनी डरी हुई थी कि राकेश को गुजरात जाने से खूब रोका, लेकिन वह नहीं माना। चार दिन बाद राकेश, उसकी पत्नी ड
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गुजरात ब्लास्ट में संदलपुर के दो परिवारों के 10 लोगों की मौत हुई है। दोनों परिवारों पर कर्ज है। ये लोग इस उम्मीद से गुजरात गए थे कि पैसा कमाकर लाएंगे और कर्ज चुका देंगे।
मां-पिता और भाई के इलाज के लिए लिया था कर्ज दैनिक भास्कर टीम संदलपुर राकेश के घर पहुंची। उसके पिता लकवा से पीड़ित हैं। बड़े भाई संतोष को मुंह की गंभीर बीमारी है। मां का पिछले दिनों ऑपरेशन हुआ था। उनके पेट से 5 किलो की गांठ निकाली गई है। इन सभी के इलाज के लिए परिवार ने बाजार से कर्ज लिया था। राकेश ने इसी कर्ज को चुकाने की उम्मीद लगाकर घर छोड़ा था।
गुजरात के बनासकांठा में पटाखा फैक्ट्री में मंगलवार को विस्फोट हुआ था।
कर्ज चुकाने का कहकर घर से गया थाराकेश की मां शांताबाई कहती हैं, मैंने राकेश को बाहर काम पर जाने से मना किया था, लेकिन राकेश ने कहा कि परिवार पर कर्ज है। उसे चुकाने के लिए ज्यादा कमाई करनी होगी। शांता कहती हैं, एक साल पहले हरदा की पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट से बच गया था। उस दिन वह फैक्ट्री नहीं गया था। मैं उस दिन से बहुत डरी हुई थी। फिर राकेश हरदा में फैक्ट्रियां बंद होने के बाद वह हाटपिपल्या की पटाखा फैक्ट्री में काम करने लगा था। गुजरात जाने से तो मैंने कई बार उसे रोका, पर नहीं माना। वहां से मौत की खबर आई।

राकेश की मां का कहना है, बेटा मेरी बात मान लेता तो आज हमारे साथ होता।

शांताबाई के बेटा-बहू राकेश और डाली की गुजरात में मौत हो गई।
होली के बाद वापस लौटे थे मजदूर गुजरात में जान गंवाने वाले सभी लोग 3-4 दिन पहले ही वहां पहुंचे थे। इससे पहले, शायर बाई करीब डेढ़ महीने पहले अपनी बेटी राधा के साथ हरदा जिले की गुड्डी बाई के साथ गुजरात गई थी। होली पर वे संदलपुर लौट आए थे। शीतला सप्तमी के बाद वे हाटपिपल्या की पटाखा फैक्ट्री में काम करने गए और फिर 28 मार्च को गुजरात चले गए।

हादसे के बाद शवों को बनासकांठा के डीसा के अस्पताल में रखा था।
लखन का पूरा परिवार उजड़ गया भास्कर की टीम संदलपुर में लखन के घर भी पहुंची। गुजरात में लखन का पूरा परिवार खत्म हो गया है। लखन के साथ ही उसके भाई अभिषेक, दो बहनें-राधा और रुकमा, मां शायर बाई (केसर) और पत्नी सुनीता की भी मौत हो गई।
लखन के पिता गंगाराम का निधन एक-दो साल पहले हो चुका था। लखन पहले कुकर-गैस रिपेयरिंग का काम करता था, लेकिन पटाखा फैक्ट्री में ज्यादा मेहनताना मिलने की उम्मीद पर वह अपना पुराना काम छोड़कर 3-4 दिन पहले पूरे परिवार के साथ गुजरात चला गया।

लखन के साथ उसकी पत्नी, मां भाई और दो बहनों की मौत हो गई।
ड्राइवरी करते-करते सीखा पटाखे बनाना खातेगांव के पंकज सांकलिया को भी मौत खींचकर गुजरात ले गई। जानकारी के मुताबिक, पहले वह हरदा में पटाखा फैक्ट्री संचालक की गाड़ी चलाता था। धीरे-धीरे उसने पटाखे बनाना भी सीख लिया। 3-4 दिन पहले ही गुजरात की फैक्ट्री के मालिक के बुलावे पर वहां गया था। जानकारी मिली है कि पंकज भी अन्य लोगों के साथ ही गुजरात गया था।

6 एम्बुलेंस में 10 शवों को लेकर अधिकारी खातेगांव के लिए रवाना हुए हैं।
हाटपीपल्या से काम छोड़कर गए थे कुछ लोग हाटपीपल्या में पटाखा फैक्ट्री संचालक असलम मंसूरी ने बताया कि गुजरात हादसे में मृत संदलपुर के ये लोग फैक्ट्री पर काम के लिए आए थे। हमारे यहां लपटाई का रेट 300 रुपए प्रति 1 हजार है। 3-4 दिन काम करने के बाद पैसे बढ़ाने की बात कहने लगे और एडवांस रुपयों की मांग करने लगे। मेरे मना करने के बाद ये यहां से गुजरात चले गए। इनमें से कुछ पहली बार आए थे व कुछ दिवाली सीजन और फरवरी माह में काम करके गए थे।
6 एम्बुलेंस से लाए जा रहे 10 शव शव लेने के लिए बुधवार सुबह को देवास जिले के प्रशासनिक अधिकारियों की टीम डीसा पहुंच गई। कागजी खानापूर्ति के बाद सुबह करीब 8:30 बजे 6 एम्बुलेंस में 10 शवों को लेकर अधिकारी खातेगांव के लिए रवाना हो गए हैं। डीसा से खातेगांव की दूरी करीब 650 किमी है। अनुमान है कि इन्हें खातेगांव पहुंचने में 10 से 12 घंटे लग सकते हैं। टीम में नायब तहसीलदार अखिलेश शर्मा और 3 पटवारी है।

खातेगांव एसडीएम, तहसीलदार और टीआई पीड़ित परिवारों से मिलने पहुंचे।
एम्बुलेंस में भी कर सकेंगे अंतिम दर्शन खातेगांव एसडीएम प्रिया चंद्रावत, तहसीलदार अरविंद दिवाकर, टीआई विक्रांत झांझोट पीड़ित परिवारों से मिलने सुबह एक बार फिर पहुंचे। परिजन से अंतिम संस्कार को लेकर चर्चा हुई, जिसमें नेमावर में ही अंतिम संस्कार करने का फैसला लिया गया। इस दौरान परिजन ने आग्रह किया है कि कम से कम अंतिम दर्शन के लिए कुछ देर के लिए शवों को दिखा दे। उसके बाद अंतिम संस्कार के लिए नेमावर ले जाएं।
अधिकारियों ने कहा कि शव क्षत-विक्षत हैं, लेकिन परिजन से बातचीत के बाद यह तय हुआ है कि एम्बुलेंस में ही अंतिम दर्शन करवाकर शवों को सीधे नेमावर घाट पर अंतिम दर्शन के लिए ले जाया जाए।
हाटपीपल्या से काम छोड़कर गए थे कुछ लोग हाटपीपल्या में पटाखा फैक्ट्री संचालक असलम मंसूरी ने बताया कि गुजरात हादसे में मृत संदलपुर के ये लोग फैक्ट्री पर काम के लिए आए थे। हमारे यहां लपटाई का रेट 300 रुपए प्रति 1 हजार है। 3-4 दिन काम करने के बाद पैसे बढ़ाने की बात कहने लगे और एडवांस रुपयों की मांग करने लगे। मेरे मना करने के बाद ये यहां से गुजरात चले गए। इनमें से कुछ पहली बार आए थे व कुछ दिवाली सीजन और फरवरी माह में काम करके गए थे।

अफसरों और ग्रामीणों की बातचीत में तय हुआ कि एम्बुलेंस में ही अंतिम दर्शन करवाकर शवों को सीधे नेमावर घाट पर ले जाया जाएगा।
हरदा पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट में गई थी 13 जान 6 फरवरी 2024 को हरदा की पटाखा फैक्ट्री में जबरदस्त ब्लास्ट हुआ था। इस हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई थी और 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इसके अलावा करीब 60 मकानों को भी नुकसान पहुंचा था।

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