Friday, May 16, 2025
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माइक्रोबायोलॉजी-फार्माकोलॉजी नहीं पढ़ाएंगे एमएससी-पीएचडी शिक्षक: NMMTA ने कहा- नए मेडिकल कॉलेज तो खुले लेकिन नीति में बदलाव से फैकल्टी मिलना मुश्किल – Bhopal News



नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) की नई नीतियों के चलते मेडिकल एमएससी-पीएचडी शिक्षकों को मेडिकल कॉलेजों में नौकरी मिलना मुश्किल हो गया है। साल 2021 में जहां इनकी संख्या 11,000 से ज्यादा थी, वहीं अब यह घटकर 7 हजार से कम बची है।

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नेशनल एमएससी मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन (एनएमएमटीए) ने इन नियमों को उलटने के लिए अपील जारी की है। एनएमएमटीए के अनुसार इसने न केवल शिक्षकों के करियर को अस्थिर किया है, बल्कि मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की कमी को और गंभीर कर दिया है।

नई नीति से एनाटमी, बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी और फार्माकोलॉजी जैसे मूल विषयों को पढ़ाने के लिए आवश्यक माने जाने वाले मेडिकल एमएससी-पीएचडी शिक्षकों की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दी गई है। वहीं, माइक्रोबायोलॉजी और फार्माकोलॉजी जैसे कुछ विषयों में उनकी भूमिका पूरी तरह समाप्त कर दी गई है।

मेडिकल कॉलेजों पर नीति का उलटा असर एनएमसी के दिशानिर्देशों से गैर एमबीबीएस योग्यताधारी शिक्षकों को अनदेखा किया जा रहा है। जबकि देश के 780 मेडिकल कॉलेजों को करीब 1.3 लाख शिक्षकों की जरूरत है। मेडिकल शिक्षा के मूल विषयों एनाटमी, बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी और फार्माकोलॉजी के लिए ही 36,000 से अधिक फैकल्टी की जरूरत है। नेशनल मेडिकल एमएससी टीचर्स एसोसिएशन () के महासचिव डॉ. अयान कुमार दास ने कहा कि एनएमसी संकट को सुधारने के बजाय और बढ़ा रही है। अनुभवहीन लोगों को जगह मिल रही है, लेकिन योग्य शोधकर्ता बाहर किए जा रहे हैं।

मेंटल हेल्थ पर पड़ रहा असर मध्य और वरिष्ठ स्तर के कई शिक्षक अवसाद, चिंता और पेशेवर अस्थिरता से जूझ रहे हैं। साल 2019 से 2025 के बीच मेडिकल एम.एससी. करने वाले छात्रों का भविष्य असमंजस में है। एनएमएमटीए के अध्यक्ष डॉ. अर्जुन मैत्रा ने कहा कि हम थक चुके हैं, टूट चुके हैं और अब गिनती से बाहर कर दिए गए हैं। यह सिर्फ नीति नहीं, यह हमारे अस्तित्व पर वार है। अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में मेडिकल कॉलेजों में गैर एमबीबीएस विशेषज्ञ भी विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर और शोधकर्ता के रूप में कार्यरत हैं। लेकिन भारत ने वैश्विक मानकों के उलट इन शिक्षकों को बाहर कर दिया है।

एनएमएमटीए की प्रमुख मांगें:

  • भेदभावपूर्ण एनएमसी नीतियों का तत्काल उलटफेर
  • गैर-क्लिनिकल विषयों में मेडिकल एमएससी/पीएचडी फैकल्टी के लिए 30% प्रतिनिधित्व की बहाली
  • माइक्रोबायोलॉजी और फार्माकोलॉजी विभागों में इन शिक्षकों को शामिल करना
  • शैक्षणिक और अनुसंधान योगदान की औपचारिक मान्यता



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