मधुबनी की विश्व प्रसिद्ध पेंटिंग सीखने पहुंची इटली की रिसर्च स्कॉलर अल्फांसो इनरिका।
मधुबनी की विश्व प्रसिद्ध पेंटिंग के आकर्षण ने इटली की 33 वर्षीय रिसर्च स्कॉलर अल्फांसो इनरिका को भारत खींच लाया है। बचपन से पेंटिंग में रुचि रखने वाली अल्फांसो, मधुबनी की पारंपरिक कला और उसकी सांस्कृतिक विरासत को करीब से समझने के लिए यहां दो सप्ताह क
.
कला से प्रभावित होकर पहुंची मधुबनी
अल्फांसो ने मधुबनी पेंटिंग के प्रति अपने आकर्षण को व्यक्त करते हुए कहा कि इस कला ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया है। उन्होंने बताया कि यहां के कलाकार न केवल पारंपरिक कला को जीवंत बनाए हुए हैं, बल्कि इससे आत्मनिर्भर भी हो रहे हैं। उन्होंने भारत के अन्य राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और ओडिशा की कलाओं का भी अध्ययन किया है।
लेकिन मधुबनी पेंटिंग उन्हें सबसे अनोखी और जीवंत लगी। मधुबनी के ग्रामीण इलाकों में जाकर अल्फांसो ने कलाकारों से बातचीत की और उनकी जीवनशैली, परंपराओं और संघर्षों को समझा। उन्होंने पद्मश्री दुलारी देवी से भी मुलाकात की और उनके घर की दीवारों पर बनी मिथिला पेंटिंग देखकर बेहद खुश हुईं। अल्फांसो का कहना है कि यहां की महिलाएं न केवल अपने परिवार का नाम रोशन कर रही हैं, बल्कि अपनी पहचान भी स्थापित कर रही हैं।
कलाकारों की स्थिति पर भी कर रही शोध
डॉ. रानी झा ने बताया कि अल्फांसो मधुबनी पेंटिंग के विभिन्न पहलुओं जैसे रंग संयोजन और तकनीकों को सीखने के साथ-साथ कलाकारों की स्थिति पर शोध भी कर रही हैं। 5 जनवरी को वे इटली लौटेंगी और वहां इस कला को बढ़ावा देने का प्रयास करेंगी।
अल्फांसो का मानना है कि मधुबनी पेंटिंग को यूरोप में ले जाकर दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत किया जा सकता है। उन्होंने भारत की परंपरा, व्यंजन और लोगों के मिलनसार स्वभाव की भी सराहना की। उनके प्रयास इस कला को वैश्विक स्तर पर नई पहचान देने में अहम भूमिका निभाएंगे।