समस्तीपुर में मिथिला पेटिंग के बारे में जो ABCD नहीं जानतीं थीं, वो आज पेटिंग ही नहीं कर रहीं, बल्कि उसे बेच भी रही हैं। इसके बदले में अच्छी आमदनी हो रही है। पेटिंग की डिमांड सिर्फ जिला, राज्य और देश तक नहीं फैला बल्कि विदेश तक इन पेटिंग की मांग है।
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दरअसल, 30 महिलाओं ने पेटिंग के लिए ट्रेनिंग ली थी। प्रशिक्षण नवार्ड की ओर से आयोजित हुआ था, ट्रेनिंग के बाद से पेटिंग की बिक्री होने लगी। नवार्ड ने अनमोल उपहार सेवा फाउंडेशन के साथ मिलकर शहर में एक आउट लेट खोला गया। जहां लड़कियां अपना पेटिंग देने लगीं।
नए कलाकारों की पेंटिग को बेहतर पैसे मिले, इसके लिए हाल ही में फ्लिपकार्ट, मिसो से भी संपर्क किया गया है। जहां से लोग पेटिंग ऑनलाइन खरीद रहे हैं।
कपड़े पर बनाई मिथिला पेंटिंग।
पापा को ब्रेन स्ट्रोक होने के बाद पेटिंग की शुरुआत की
ट्रेनिंग लेने वाली प्रेरणा ने कहा कि नवार्ड के माध्यम से ट्रेनिंग की जानकारी मिली थी। अनमोल उपहार सेवा फाउंडेशन के साथ मिलकर ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग का अंतिम दौर चल रहा था। इसी दौरान मेरा पिता गणेश गुप्ता को ब्रेन स्ट्रोक हुआ था।
घर में पैसे की जरूरत थी। तब मैंने पेटिंग बेचना शुरू किया। जिससे थोड़ी राहत मिली। इसी दौरान नवार्ड ने अनमोल उपहार सेवा फाउंडेशन के साथ मिल कर शहर में आउट लेट खोला। जहां मैं पेंटिंग देने लगी। जिससे बाजार मिला।
अब ऑनलाइन पेंटिंग देश के साथ ही विदेशों में भी बेच रही हूं। पेंटिंग की मांग कनाडा से हो रही है। जहां राम सीता, कृष्ण की पेंटिंग की कीमत 5-10 हजार रुपए मिल रहे हैं। इन्हीं रुपए से पापा का इलाज और अपनी पढ़ाई का खर्च निकाल रही हूं।

घर पर अपने कला को निखारती प्रेरणा।
विदेश से अच्छे रुपए मिल रहे
गायत्री बताती हैं कि 60 दिन की ट्रेनिंग के बाद मैं घर पर पेटिंग बनाने लगी। इस दौरान आउट लेट खुला तो अपनी पेटिंग यहां देने लगी। इसके साथ ही ऑन लाइन मार्केटिंग से कारोबार में विस्तार हुआ। मेरी पेटिंग यूएसए में भी बिक रही है। वहां से डॉलर में राशि मिलती है। जिस पेंटिंग की समस्तीपुर और बिहार में 2 हजार रुपए मिलते हैं यूएसए में 10 हजार तक बिक रहा है। इसी तरह नेहा प्रिया भी घर में पेटिंग बनाकर अच्छी आमदनी कर रही है।

पेंटिंग बनाती गायत्री।
टोपी, कुर्ता पर भी पेंटिंग बनाई जा रही
मुस्कान ने कहा कि पेपर पर पेंटिंग के साथ ही लड़कियां अब सूट, साड़ी, गमछा, लेडीज पर्स, टोपी, कुर्ता पर भी पेंटिंग बना रही है। जिस पेटिंग की इस समय मार्केट में ज्यादा डिमांड है। पेटिंग को पेपर से कपड़ा पर बनाने से आय में बढ़ोतरी हुई। वहीं ऑनलाइन मार्केटिंग से कारोबार विकसित हुआ है। सबसे बड़ी बात, घर पर रहते हुए यह कारोबार लड़कियां कर रही है।

पेंटिंग बनाती मुस्कान।
कलाकारों को लखनऊ भेजा गया
अनमोल उपहार सेवा फाउंडेशन के डायरेक्टर देव कुमार बताते हैं, ‘कारोबार और विकसित हो इसके लिए कुछ कलाकारों को लखनऊ भेजा गया है। वहां वह डिजिटल माध्यम से कारोबार की ट्रेनिंग ले रहे हैं।
ट्रेनिंग लेकर जब वापस लौटेंगे तो उसकी ट्रेनिंग लड़कियों को दी जाएगी। जिससे उनका कारोबार और विकसित होगा। आज इस आउटलेट को स्वयंसहायता समूह को भी जोड़ा जा रहा है। सहायता समूह की महिलाएं सत्तू, अचार, जिससे अभी 50 से अधिक परिवारों की रोजी-रोटी चल रही है। साथ ही ट्रेनिंग ले चुकी लड़कियां दूसरों को पेटिंग सीखा रही है।’