वरुण शर्मा | मुजफ्फरनगरकुछ ही क्षण पहले
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मुजफ्फरनगर ज़िला अपनी कृषि और औद्योगिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है, लेकिन इन दिनों ये ज़िला प्रदूषण के गंभीर संकट से जूझ रहा है। पेपर मिलों, ओल्ड टायर रीसाइक्लिंग प्लांट्स और अन्य उद्योगों की चिमनियों से निकलने वाला काला और बदबूदार धुआं स्थानीय लोगों के लिए सांस लेना दूभर कर रहा है। पर्यावरण के दुश्मनों ने इस क्षेत्र की फिजा को जहरीला बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
ज़हर उगलती ‘श्री बाला जी कंपनी’
मुजफ्फरनगर के बिलासपुर गांव के बाहरी छोर पर स्थित ‘श्री बाला जी कंपनी’ इस प्रदूषण का ताजा उदाहरण बनकर सामने आई है। इस कंपनी की चिमनियों से निकलने वाला काला और दूषित धुआं न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि आसपास के निवासियों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह धुआं और उससे फैलने वाली दुर्गंध दिन-रात उनकी जिंदगी को प्रभावित कर रही है। सांस संबंधी बीमारियों के साथ-साथ आंखों में जलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं आम हो गई हैं।
पेपर मिल-टायर रीसाइक्लिंग प्लांट्स भी ज़िम्मेदार
जौली रोड पर स्थित कई पेपर मिलें और ओल्ड टायर रीसाइक्लिंग प्लांट्स भी इस प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। हाल ही में सामने आए वीडियो में इन इकाइयों की चिमनियों से निकलता खतरनाक धुआं साफ तौर पर देखा गया है। ये उद्योग रात के समय प्रतिबंधित ईंधन जैसे प्लास्टिक वेस्ट और कूड़ा-कचरा जलाकर पर्यावरण को और अधिक नुकसान पहुंचा रहे हैं। NGT की बार-बार चेतावनियों और नियमों के बावजूद, इन फैक्ट्रियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।
स्थानीय लोगों की परेशानी
बिलासपुर, सिखरेड़ा, धंधेड़ा, भगवानपुरी, भंडूर-भंडूरा, भिक्की, निराना और आसपास के इलाकों के निवासी इस प्रदूषण से त्रस्त हैं। प्रदूषण नियंत्रण विभाग की निष्क्रियता और प्रशासन की उदासीनता ने लोगों का गुस्सा और बढ़ा दिया है।
प्रशासन की चुप्पी
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई न होना चिंता का विषय है। स्थानीय लोग प्रशासन से बार-बार गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा।