Thursday, June 19, 2025
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‘मुसलमानों से शाहीन बाग का बदला लिया जा रहा‘: दिल्ली में बाटला हाउस पर चलेगा बुलडोजर, लोग बोले- मकान के कागज, फिर अवैध कैसे


‘हम कई साल से यहां रह रहे हैं, हमारे पास सारे कागज हैं, फिर अचानक हमारे घर अवैध कैसे हो गए। हमने सोच लिया है कि यहां से कोई मकान और दुकान खाली नहीं करेगा। हम यहीं जिएंगे, यहीं मरेंगे। किसी के डर से मकान-दुकान खाली नहीं करेंगे।’

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जमील अहमद दिल्ली के बाटला हाउस में रहते हैं। वे कहते हैं कि मुसलमानों से शाहीन बाग का बदला लिया जा रहा है। CAA के खिलाफ प्रदर्शन की शुरुआत शाहीन बाग से ही हुई थी। ये कार्रवाई इसीलिए की जा रही है। यहां रह रहे परिवार एक नोटिस पर अचानक घर कैसे छोड़ दें।

दरअसल, दिल्ली के बाटला हाउस की मुरादी रोड और खिजर बाबा कॉलोनी में 400 से ज्यादा घरों को अवैध निर्माण का नोटिस मिला है। मुरादी रोड इलाके में दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी DDA और खिजर बाबा कॉलोनी में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने नोटिस दिया है।

कोर्ट ने खिजर बाबा कॉलोनी के लोगों को तो फिलहाल राहत दे दी है। कार्रवाई पर 3 महीने यानी अगस्त तक रोक लगाई गई है। मुरादी रोड वालों को कोर्ट से राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने प्रभावितों को अपील के लिए 3 वर्किंग डे 12 जून से 14 जून तक का वक्त दिया था। इस दौरान 25 लोगों ने पिटीशन लगाई है।

हालांकि कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर रोक नहीं लगाई है। लोगों को डर है कि उनके घरों पर कभी भी बुलडोजर चल सकता है। दैनिक भास्कर की टीम दिल्ली के बाटला हाउस में ग्राउंड जीरो पर पहुंची और पूरा मामला समझा।

बाटला हाउस में बुलडोजर एक्शन का नोटिस मिलने के बाद लोग किराए पर लिए मकान और दुकान खाली करके जा रहे हैं।

बाटला हाउस में कार्रवाई क्यों पूरा मामला 7 मई 2025 को शुरू हुआ, जब सुप्रीम कोर्ट ने ओखला में अवैध निर्माण पर कार्रवाई के लिए दायर याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण को बाटला हाउस की मुरादी रोड पर 2.10 बीघा जमीन से अवैध निर्माण तोड़ने का आदेश दिया।

कोर्ट ने बाटला हाउस की ही खिजर बाबा कॉलोनी में 3.8 बीघा जमीन पर बने मकानों को भी अवैध करार दिया। यहां कोर्ट ने यूपी सरकार को पीएम उदय योजना के दायरे से बाहर के मकानों को तोड़ने की बात कही है।

कोर्ट ने ये भी निर्देश दिया कि तोड़फोड़ से पहले संबंधित लोगों को 15 दिन का नोटिस दिया जाए। इसके बाद 26 मई को मकानों और दुकानों पर नोटिस लगाया गया, जिसमें 15 दिन में घर-दुकान खाली करने का अल्टीमेटम दिया गया था।

नोटिस के मुताबिक, 11 जून को घरों को गिराने की कार्रवाई होनी थी। हालांकि 11 जून को तो DDA ने कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन 12 जून की सुबह भारी पुलिस बल मुरादी रोड पहुंचा और सर्वे किया।

बाटला हाउस के मुरादी रोड की ये तस्वीर 12 जून की है, जब पुलिस की टीम यहां अतिक्रमण का सर्वे करने पहुंची।

बाटला हाउस के मुरादी रोड की ये तस्वीर 12 जून की है, जब पुलिस की टीम यहां अतिक्रमण का सर्वे करने पहुंची।

बाटला हाउस की खिजर बाबा कॉलोनी नोटिस पर बोले- मुसलमानों पर जानबूझकर कार्रवाई सबसे पहले हम बाटला हाउस की खिजर बाबा कॉलोनी पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यहां UP के सिंचाई विभाग ने बुलडोजर कार्रवाई का नोटिस जारी किया। ये इलाका भले ही दिल्ली में है, लेकिन प्रशासनिक रूप से सिंचाई विभाग, UP सरकार के अधीन होने का दावा करता है।

हालांकि यहां रहने वाले लोगों का दावा है कि UP का सिंचाई विभाग पहले भी कई मामलों में जमीन का मालिकाना हक साबित नहीं कर पाया है और कोर्ट में हार चुका है। नौशाद पिछले 40 साल से बाटला हाउस की खिजर बाबा कॉलोनी में ही रह रहे हैं। मकान के बगल में ही उनका ढाबा है, जिसे वे 10 साल से चला रहे हैं। वे कहते हैं,

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यहां नोटिस कौन लगाकर गया, मुझे नहीं पता। सुबह जब दुकान खोलने आया, तब चिपका मिला। नोटिस उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग का है।

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‘इसमें लिखा है कि आपको सूचित किया जा रहा है कि ये सरकारी जमीन है। इसे 15 दिन में खाली कर दें। वरना अच्छे-बुरे के जिम्मेदार आप खुद होंगे।’

वे दावा करते हुए कहते हैं, ‘यहां लोगों के पास मकान खरीदने के कागज हैं। लोग टैक्स देते हैं। पानी और बिजली का बिल भी है। इसे लेकर अधिकारियों से बात की, तो वो कहते हैं कि कागज तो हमारे पास भी हैं। हमें अगर स्टे न मिलता तो सब सड़क पर आ जाते। हमें अभी अगस्त तक का वक्त मिला है। हम दोबारा कोर्ट जाएंगे।

नौशाद दिल्ली की BJP सरकार पर सिर्फ मुस्लिम इलाकों में कार्रवाई करने का आरोप लगाते हैं।

बाटला हाउस का मुरादी रोड इलाका वकील बोलीं- DDA कभी भी मकानों को तोड़ सकता है खिजर बाबा कॉलोनी के आगे दूसरी गली में ही मुरादी रोड इलाका है। 20 फुट की एक संकरी सड़क दोनों कॉलोनियों को अलग करती है। यहां DDA ने घरों और दुकानों पर अवैध निर्माण के नोटिस लगाए थे और 10 जून 2025 तक इन्हें खाली करने की मोहलत दी थी।

इसके बाद यहां रहने वाली सुल्ताना शाहीन समेत 40 लोगों ने याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट के 7 मई के आदेश को चुनौती दी। उन्होंने दावा किया कि उनका पक्ष सुने बिना कार्रवाई का आदेश दे दिया गया। उनकी प्रॉपर्टी पीएम-उदय योजना के तहत नियमित होने लायक है। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 2 जून 2025 को सुनवाई की और तत्काल रोक से इनकार कर दिया।

आम आदमी पार्टी के लोकल विधायक अमानतुल्ला खान ने इसे लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई थी। अमानतुल्ला खान की तरफ से कोर्ट में वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद थे। उन्हें असिस्ट करने वाली वकील स्वाति खन्ना ने हमें बताया-

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हाईकोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे को जनहित याचिका में नहीं निपटाया जा सकता। बल्कि DDA के नोटिस से प्रभावित लोगों को संबंधित अधिकारियों के पास जाना चाहिए।

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कोर्ट ने प्रभावितों को 12 से 14 जून का वक्त दिया था। इन दौरान 25 लोगों ने कोर्ट में नोटिस को चुनौती दी है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जब DDA से आश्वासन मांगा कि इन तीन दिनों में कोई तोड़फोड़ नहीं की जाएगी, तो DDA के वकील इसके लिए भी सहमत नहीं हुए।

बाटला हाउस के मुरादी रोड इलाके में अवैध निर्माण के तौर पर घरों-दुकानों की पहचान कर ऐसे नोटिस लगाए गए हैं।

बाटला हाउस के मुरादी रोड इलाके में अवैध निर्माण के तौर पर घरों-दुकानों की पहचान कर ऐसे नोटिस लगाए गए हैं।

जल्दबाजी में दूसरे खसरे वालों के घरों पर भी DDA ने नोटिस चिपकाए मुरादी रोड इलाके में रहने वाले अब तक 6 लोगों को कोर्ट से राहत मिल चुकी है। स्वाति खन्ना के मुताबिक, ये लोग निजी तौर पर कोर्ट गए थे। उनकी दलील थी कि नोटिस वाले खसरा नंबर-279 में नहीं आने के बाद भी उनके घरों पर नोटिस लगा है। खसरा अलग होने के आधार पर इन्हें कोर्ट से राहत मिली है।

इन्हीं में से एक जमील अहमद भी हैं। जमील के पिता 60 साल पहले बुलंदशहर से बटला हाउस आए थे। वे तभी से इस इलाके में रह रहे हैं। उनके घर के बाहर भी नोटिस लगाया गया था, लेकिन इसके खिलाफ वे कोर्ट गए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि उनका घर खसरा नंबर-283 में आता है। तब जाकर कोर्ट ने उन्हें राहत दी।

ये तस्वीर जमील अहमद के मकान की है, जो खसरा नंबर-283 में आता है, लेकिन उन्हें भी बुलडोजर कार्रवाई का नोटिस मिला है।

ये तस्वीर जमील अहमद के मकान की है, जो खसरा नंबर-283 में आता है, लेकिन उन्हें भी बुलडोजर कार्रवाई का नोटिस मिला है।

जमील आरोप लगाते हैं कि मेरे घर की तरह ही DDA ने कई घरों पर बिना सर्वे किए आनन-फानन में नोटिस लगा दिए। DDA को सही से खसरा नंबर भी नहीं पता है। वे बताते हैं, ‘मेरे घर के दोनों तरफ दो दुकानें हैं। मेरा घर खसरा नंबर-283 में है, जबकि मेरी आगे की दुकान खसरा नंबर-279 में है। उस पर नोटिस लगा है।‘

‘यहां ज्यादातर मकान एक से ज्यादा खसरा में पड़ते हैं। जिस दिन अधिकारी आए थे, उन्होंने बिना कुछ देखे और समझे कहीं भी नोटिस चिपका दिया। उन्हें ये भी नहीं पता था कि कौन-सा खसरा कहां है।‘

यहीं रहने वाले आदिल (बदला हुआ नाम) के घर पर भी नोटिस लगा है। वे कहते हैं कि DDA ने खसरा-279 में आने वाले मकान समझकर जहां भी नोटिस चिपकाया है, वो असल में अलग खसरों में आते हैं। DDA को भी खसरों की सही जानकारी नहीं हैं।

वे कहते हैं, ‘DDA पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का प्रेशर था इसलिए नोटिस लगा दिया। इन गलियों में सही खसरा पता लगाना बहुत मुश्किल है। कई लोगों के घर टूटने का डर है। हम सालों से यहां रह रहे हैं, अब अचानक कहां जाकर रहने लगें।‘

किराए पर दुकान वाले भी परेशान, बोले- अचानक कैसे धंधा बंद कर दें मुरादी रोड इलाका में मकान मालिकों के साथ ही किराएदार भी परेशान हैं। यहां कई ऐसे लोग भी मिले, जो किराए पर लेकर दुकान चला रहे हैं। मोहम्मद अब्दुल्ला भी इन्हीं में से एक हैं। E-6 नंबर वाले मकान में उनकी अमान फैशन हब नाम से कपड़ों की थोक और रिटेल दुकान है। वे पिछले 10 साल से यहीं दुकान चला रहे हैं।

वे बताते हैं, ‘इलाके में 200 से ज्यादा दुकानें हैं, जिन्हें खाली कराया जा रहा है। सभी दुकान वाले अपना सामान धीरे-धीरे हटा रहे हैं। मेरी दुकान पर 4 लोग काम करते हैं। उनके परिवार को मिलाकर 20 लोगों का गुजारा इसी दुकान के सहारे चलता है।‘

मोहम्मद अब्दुल्ला मुरादी रोड इलाके में किराए पर लेकर कपड़ों की दुकान चलाते हैं। नोटिस मिलने के बाद से परेशान हैं कि अब नए सिरे से दुकान कहां और कैसे सेटअप करें।

मोहम्मद अब्दुल्ला मुरादी रोड इलाके में किराए पर लेकर कपड़ों की दुकान चलाते हैं। नोटिस मिलने के बाद से परेशान हैं कि अब नए सिरे से दुकान कहां और कैसे सेटअप करें।

‘अभी ईद गुजरी है। वैसे हमारे यहां तीन दिन तक त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन इस बार किसी ने त्योहार नहीं मनाया। सबके मन में उदासी है। मार्केट बनता है तो दुकान सेट-अप करने में वक्त और मेहनत दोनों लगता है। हमें लाखों का नुकसान उठाना पड़ेगा। बहुत सारे लोग बेरोजगार हो जाएंगे। DDA को जब पता था, तो ये बिल्डिंग और मार्केट बनते वक्त ही बताना चाहिए था।‘

अब्दुल्ला कहते हैं कि हमें दिल्ली सरकार से उम्मीद थी कि वो जो कहकर सरकार में आए थे वही करेंगे, लेकिन यहां तो सब उसके उलट ही हो रहा है।

DDA और सिंचाई विभाग का कोई जवाब नहीं आया हमने मामले को लेकर DDA के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की। सबसे पहले हम DDA हेडक्वॉर्टर पहुंचे। यहां रिसेप्शन पर हमें बताया गया कि विकास भवन में ही नोटिस को लेकर कोई जानकारी मिलेगी। जब हम विकास भवन पहुंचे तो ब्लॉक नंबर-4 में हमें रिसेप्शन पर रोक लिया गया।

हमने DDA के डायरेक्टर अजय कादयान से मिलने की कोशिश की, लेकिन रिसेप्शन पर बैठे शख्स ने पहले हमसे जनसुनवाई में आने के लिए कहा। फिर डिप्टी डायरेक्टर और डायरेक्टर के सेक्रेटरी से बात कराई। यहां से हमें डायरेक्टर का नंबर दे दिया गया। हालांकि उन्होंने हमारे कॉल और मैसेज का जवाब नहीं दिया।

इसके बाद हमने UP सिंचाई विभाग से भी कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की, लेकिन खबर लिखे जाने तक उनकी तरफ से भी कोई जवाब नहीं आया।

यूपी के सिंचाई विभाग की ओर से बाटला हाउस की खिजर बाबा कॉलोनी में ये नोटिस लगाए गए हैं।

यूपी के सिंचाई विभाग की ओर से बाटला हाउस की खिजर बाबा कॉलोनी में ये नोटिस लगाए गए हैं।

BJP सरकार बनने के बाद दिल्ली में हुए बुलडोजर एक्शन दिल्ली में BJP सरकार बनने के बाद से बुलडोजर कार्रवाई काफी चर्चा में रही है। 11 जून 2025 को गोविंदपुरी में कथित बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की अवैध बस्तियां बताकर बुलडोजर चलाया गया। 8 जून 2025 को बुराड़ी के कादीपुर गांव में श्रीश्याम कॉलोनी में 100 से ज्यादा मकानों पर DDA ने अवैध निर्माण को लेकर नोटिस जारी किए हैं।

1 जून 2025 को साउथ दिल्ली के कालकाजी में भूमिहीन कैंप में मौजूद झुग्गियों को तोड़ने के लिए बुलडोजर चलाया गया। 4 मार्च 2025 को यमुना नदी के किनारे बसी झुग्गियों पर बुलडोजर कार्रवाई की गई।

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