अखाड़ा परिषद अखाड़ा परिषद की बैठक जूना अखाड़े में हुई।
हमने हरिद्वार में देखा है कि वहां कई मुस्लिम भाई संत बनकर घूम रहे हैं। इसलिए जरूरी है, जो भी प्रयागराज महाकुंभ में आए, उसकी जांच हो। उसके पास आधार कार्ड हो, ताकि उसकी पहचान हो सके। हमारे साधु-संत, श्रद्धालु और शासन-प्रशासन सभी सुरक्षित हो सकें। ये मह
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यह बात शुक्रवार देर शाम प्रयागराज के निरंजनी अखाड़े में हुई अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक में अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने कही।
भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने कहा – कुंभ में घुसपैठ बर्दाश्त नहीं की जा सकती।
सिर्फ सनातनियों को एंट्री मिले परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरि ने कहा- महाकुंभ मेला में सिर्फ सनातनियों को ही प्रवेश दिया जाए। कोई भी मुखौटा लगाकर गलत तरीके से महाकुंभ मेले में प्रवेश कर सनातन संस्कृति और परंपरा को दूषित कर सकता है। इस खतरे से निपटने के लिए समय रहते मेला प्रशासन और सरकार को चौकन्ना रहना होगा।
कुंभ में शाही और पेशवाई शब्द का इस्तेमाल नहीं होगा
मीडिया से बातचीत में महंत हरि गिरि ने कहा- कुंभ मेले में आने वाले साधुओं के रहने की व्यवस्था अच्छी हो, इसको लेकर भी चर्चा हुई है। वहीं कुंभ के स्नान से शाही और पेशवाई शब्द हटाने पर विचार-विमर्श हुआ। यह तय किया गया कि इस बार इन दोनों शब्दों का इस्तेमाल नहीं होगा।
दो दिन बाद सीएम के सामने रखेंगे अपनी बात
महंत हरि गिरी ने कहा- आज जो भी निर्णय लिए गए हैं, वह 6 अक्टूबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने रखे जाएंगे। दरअसल, मुख्यमंत्री 6 को ही प्रयागराज आ रहे हैं। वह अखाड़ों के पदाधिकारियों के साथ वार्ता करेंगे। अखाड़ा परिषद में 13 में 8 अखाड़े निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी के साथ हैं।

बैठक के बाद 8 अखाड़ों के पदाधिकारी मीडिया के सामने आए।
शनिवार सुबह 10 बजे से निरंजनी अखाड़े के मुख्यालय दारागंज में अखाड़ा पंचायत की फिर से बैठक होगी। इस बैठक में महाकुंभ में संतों की पेशवाई और शाही स्नान का नाम बदले जाने को लेकर प्रस्ताव पास हो सकता है। अखाड़े की ओर से योगी सरकार से सरकारी तौर पर नाम बदले जाने का अनुरोध किया जा सकता है।
बैठक में महाकुंभ से जुड़े कई प्रस्ताव किए गए पास
- महाकुंभ आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किया जाए।
- महाकुंभ अखाड़ों में सुविधाएं बढ़ाई जाएं।
- महाकुंभ को स्वच्छ बनाने के लिए प्रस्ताव पास किया।
- प्राचीन मंदिरों के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव रखा गया।
- बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार की घोर निंदा की गई। पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से इस पर रोक लगाने की मांग की गई।

उज्जैन में 2016 में सिंहस्थ कुम्भ हुआ था। अब 12 साल बाद 2028 में होना है।
क्यों उठ रही शाही और पेशवाई शब्द बदलने की मांग संतों ने कुंभ में उर्दू और फारसी शब्दों के प्रयोग पर आपत्ति जताई है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने शाही को उर्दू शब्द बताया है। वहीं पेशवाई फारसी शब्द है। संत शाही के स्थान पर राजसी स्नान का प्रयोग करने पर जोर दे रहे हैं। इसके अलावा अमृत स्नान, दिव्य स्नान व देवत्व स्नान जैसे नामों का भी विकल्प दिया है। इनमें से भी किसी एक नाम पर विचार किया जा सकता है।
वहीं फारसी शब्द पेशवाई की जगह छावनी प्रवेश शब्द के प्रयोग करने पर जोर है। कुंभ-महाकुंभ मेला के वैभव अखाड़े होते हैं। अखाड़ों के संतों के स्नान को शाही स्नान और अखाड़े के आश्रम से मेला क्षेत्र में जाने को पेशवाई बोला जाता है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है।
जानिए, अखाड़ा शब्द आया कहां से…

पहले आश्रमों के अखाड़ों को बेड़ा अर्थात साधुओं का जत्था कहते थे। जत्थे में पीर होते थे। अखाड़ा शब्द का चलन मुगलकाल से शुरू हुआ। हालांकि, कुछ ग्रंथों के मुताबिक अलख शब्द से ही ‘अखाड़ा’ शब्द की उत्पत्ति हुई, जबकि धर्म के जानकारों के मुताबिक साधुओं के अक्खड़ स्वभाव के चलते इसे अखाड़ा नाम दिया गया है।
माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने धर्म प्रचार के लिए भारत भ्रमण के दौरान इन अखाड़ों को तैयार किया था। देश में फिलहाल शैव, वैष्णव और उदासीन पंथ के सन्यासियों के मान्यता प्राप्त कुल 13 अखाड़े हैं। पूरा मामला पढ़िए
13 जनवरी से शुरू होगा कुंभ मेला प्रयागराज में कुंभ का आयोजन 12 साल में एक बार होता है। इस बार 13 जनवरी से पूर्ण कुंभ मेला आयोजित किया जाएगा। इस बार का महाकुंभ 45 दिन का होगा। 40 करोड़ श्रद्धालुओं के प्रयागराज आने की संभावना जताई है। कुंभ 2025 में छह प्रमुख स्नान पर्व हैं… पहला स्नान : पौष पूर्णिमा 13 जनवरी दूसरा स्नान : मकर संक्रांति 14 जनवरी तीसरा स्नान : मौनी अमावस्या 29 जनवरी चौथा स्नान : बसंत पंचमी तीन फरवरी पांचवां स्नान : माघी पूर्णिमा 12 फरवरी छठवां एवं अंतिम स्नान : महाशिवरात्रि 26 फरवरी
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गोरखनाथ मंदिर में शुक्रवार का दिन थोड़ा जुदा था। शतरंज की बिसात पर एक तरफ CM योगी थे, दूसरी तरफ देश के सबसे कम उम्र के फीडे रेटेड खिलाड़ी कुशाग्र चाल चल रहे थे। कुशाग्र के दांव-पेज देखकर योगी मुस्कुरा रहे थे। खेल के दौरान वह काफी देर तक कुशाग्र के साथ शतरंज को लेकर बातचीत करते रहे। (पढ़ें पूरी खबर)