Saturday, March 15, 2025
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मेगा एंपायर-हल्दीराम के 8वीं पास पोते की कंपनी ‘बीकाजी’: पहली बार मशीन से भुजिया बनाना शुरू किया; आज 21 हजार करोड़ का ब्रांड


हाल ही में बीकाजी फूड्स के शेयर्स में बढ़ोतरी हुई है। इसकी वजह GST में कटौती है। कंपनी के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर मनोज वर्मा ने कहा कि फेस्टिव सीजन में कंपनी के प्रोडक्ट्स की डिमांड बढ़ने की उम्मीद है।

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दिवाली पर बीकाजी की भुजिया और सोन पापड़ी की खूब डिमांड रहती है। आज मेगा एंपायर में इंडियन स्नैक्स बनाने वाली कंपनी बीकाजी की कहानी…

1986 में हल्दी राम के पोते शिवरतन अग्रवाल ने बीकाजी की शुरुआत बीकानेर से की थी। आज बीकाजी स्नैक्स बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। मौजूदा समय में बीकाजी का वैल्यूएशन 21 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है।

बीकाजी भुजिया, मिठाई, पापड़, नमकीन और स्नैक्स के लिए एक जाना-माना ब्रांड है।

मारवाड़ी परिवार से आने वाले भीखा राम अग्रवाल ने 1937 में बीकानेर में एक छोटी सी चाय-नाश्ते की दुकान खोली। भीखा राम के साथ उनके पोते गंगा बिसनजी अग्रवाल भी दुकान जाते थे।

घर में गंगा बिसनजी को सब हल्दी राम कहते थे। इन्हीं के नाम पर दुकान का नाम भी हल्दी राम रख दिया गया। दुकान पर मिलने वाली भुजिया का टेस्ट धीरे-धीरे लोगों की जुबान पर चढ़ने लगा। कुछ ही सालों में हल्दी राम भुजिया की अपनी एक अलग पहचान बन गई।

कहा जाता है कि जब हल्दी राम सिर्फ 11 साल के थे, तब से ही वो एक कंपनी खोलना चाहते थे। इसी उम्मीद में उन्होंने अपने दादा की दुकान में काम करना शुरू कर दिया। वह इस काम में सफल भी हुए और हल्दी राम को ब्रांड बना दिया।

बीकानेर में हल्दी राम की वो दुकान जहां से जर्नी शुरू हुई।

बीकानेर में हल्दी राम की वो दुकान जहां से जर्नी शुरू हुई।

हल्दी राम पहुंचे कोलकता हल्दी राम कोलकाता चले गए। इसके बाद 1960 के दशक में हल्दी राम का कारोबार परिवार में बंटने लगा। इसी कारोबार में एक हिस्सा उनके बेटे मूलचंद अग्रवाल संभालने लगे।

मूलचंद अग्रवाल के चार बेटे थे- शिव किशन अग्रवाल, मनोहर लाल अग्रवाल, मधु अग्रवाल और शिव रतन अग्रवाल। सभी भाई हल्दी राम के कारोबार को अपनी बहन सरस्वती के साथ मिलकर आगे बढ़ाने लगे।

बीकाजी की शुरुआत साल 1986 और जगह बीकानेर।

बिजनेस के बंटवारे के बाद शिव रतन अग्रवाल ने अपने खानदानी बिजनेस ‘हल्दी राम’ से अलग होकर खुद का बिजनेस शुरू करने के बारे में सोचा। अपनी अलग पहचान बनाने की जिद के साथ शिव रतन अग्रवाल बीकानेर पहुंच गए।

यहां उन्होंने ‘शिवदीप फूड्स प्रोड्क्ट्स’ के नाम से भुजिया बनाने का बिजनेस शुरू किया। इसके साथ ही भारतीय स्नैक मार्केट की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बीकाजी ब्रांड की शुरुआत हुई।

शिव रतन ने अपने बेटे के नाम पर कंपनी का नाम शिवदीप फूड्स प्रोड्क्ट्स रखा था।

शिव रतन ने अपने बेटे के नाम पर कंपनी का नाम शिवदीप फूड्स प्रोड्क्ट्स रखा था।

8वीं पास शिव रतन ने क्रिएटिव विजन से बनाया ब्रांड शिव रतन अग्रवाल ने केवल 8वीं तक पढ़ाई की है। उन्होंने अपने क्रिएटिव विजन से बीकाजी को एक ब्रांड बनाया। जब वे अपने बिजनेस की शुरुआत कर रहे थे तो उन्होंने कई देशों की यात्रा की।

दरअसल, उस समय तक भुजिया केवल हाथों से ही बनाई जाती थी। किसी ने सोचा भी नहीं था कि इस इंडियन स्नैक को मशीनों से भी बनाया जा सकता है। मगर शिव रतन ने मशीन से भुजिया बनाने का सेट-अप बनाया।

बीकाजी भारत का पहला ऐसा ब्रांड बना जिसने मशीन से भुजिया बनाई। इससे बीकाजी की प्रोडक्टिविटी और क्वालिटी दोनों बढ़ी। बीकाजी के प्रोडक्ट्स की मेकिंग से लेकर पैकिंग तक हर काम मशीन से होने लगा।

बीकाजी आज इंटरनेशनल ब्रांड है इसलिए प्रोडक्ट्स में सभी पैरामीटर्स का ध्यान रखा जाता है।

एक यूनीक पहचान बनाने के लिए नाम रखा बीकाजी बीकाजी की शुरुआत शिवदीप फूड्स प्रोडक्ट्स नाम से हुई थी। शिव रतन ने यह नाम उनके और बेटे दीपक के नाम पर रखा। शिव रतन चाहते थे कि असली भारतीय टेस्ट को पूरी दुनिया में पहचान मिले।

उन्हें लगा कि ब्रांड का नाम ऐसा हो जो सभी को आसानी से याद हो जाए और एक यूनीक पहचान भी दे। 1993 में कंपनी का ब्रांड नेम बीकाजी रखा गया। यह नाम बीकानेर शहर के संस्थापक राव बीका के नाम पर है। बीकानेर शहर का नाम भी राव बीका के नाम पर ही रखा गया था।

मोठ दाल है बीकाजी भुजिया की खासियत बीकाजी की बीकानेरी भुजिया की खासियत है उसमे इस्तेमाल होने वाली मोठ दाल। एक इंटरव्यू में कंपनी के MD दीपक अग्रवाल बताते हैं कि बीकानेरी भुजिया में मोठ दाल का इस्तेमाल होता है।

यह दाल राजस्थान के बीकानेर और इसके आसपास के इलाके में ही होती है। भुजिया देशभर में बनाई जाती है, लेकिन इसमें मोठ दाल नहीं होती। इस दाल के इस्तेमाल से भुजिया कुरकुरी बनती है और इसका स्वाद अलग होता है।

अकेले भुजिया के दर्जनों ब्रांड बीकाजी ने पिछले कुछ सालों में अपने प्रोडक्ट्स की संख्या में बढ़ोतरी की है। बीकाजी आउटलेट्स ग्राहक को दो-पांच तरह के नहीं बल्कि 24 तरह के भुजिया पेश करते हैं। इसमें ‘ठेठ बीकानेर’ नाम की भुजिया भी शामिल है। बीकानेरी भुजिया, तीन नंबर भुजिया, डंकोळी, खोखा भुजिया शामिल है।

कंपनी का बिजनेस मॉडल बीकाजी B2C बिजनेस मॉडल पर काम करती है। कंपनी की भारत में कुल छह मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं। इनमें से तीन बीकानेर (राजस्थान), एक गुवाहाटी (असम) और एक तुमकुरु (कर्नाटक) में हैं।

30 अलग-अलग देशों में बीकाजी का मार्केट बीकाजी फूड्स के ढाई सौ से ज्यादा प्रोडक्ट्स न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के 30 से अधिक देशों में बेचे जाते हैं। सबसे पहले 1994 में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में बीकाजी भुजिया का एक्सपोर्ट शुरू हुआ।

1996 में ऑस्ट्रेलिया में भी बीकाजी ने एक्सपोर्ट शुरू कर दिया। बीकानेरी भुजिया को सबसे ज्यादा गल्फ देशों में पसंद किया जाता है। इसके अलावा अमेरिका, जर्मनी, स्पेन, फ्रांस, रूस, नेपाल, न्यूजीलैंड, कनाडा, कतर, बहरीन, नॉर्वे में भी कंपनी के स्नैक एक्सपोर्ट किए जाते हैं।

अमितजी लव्स बीकाजी 2019 में बीकाजी ने अमिताभ बच्चन को अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाया। कंपनी ने अमितजी लव्स बीकाजी की टैग लाइन के साथ अपना एडवर्टाइजमेंट किया। इसमें अमिताभ बच्चन भुजिया खाते नजर आते हैं। अमिताभ बच्चन को अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाने से बीकाजी को काफी फायदा पहुंचा।



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