जितेन्द्र मिश्रा | उन्नाव5 मिनट पहले
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मेडिकल स्टोर संचालक अंकित (फाइल फोटो)।
कहते हैं कि अपराध कितना भी योजनाबद्ध और चालाकी से किया जाए, वह किसी न किसी सुराग को पीछे छोड़ ही जाता है। ऐसा ही हुआ उन्नाव जिले के एक शांत से गांव में, जहां मेडिकल स्टोर संचालक अंकित की बेरहमी से हत्या कर दी गई। पहले यह मामला रहस्यपूर्ण लग रहा था, लेकिन एक बीयर की कैन और मोबाइल की लोकेशन ने हत्या की पूरी कहानी खोल दी और हत्या की साजिश रचने वाले तीन दोस्तों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।
यह सनसनीखेज खुलासा पुलिस अधीक्षक दीपक भूकर के निर्देशन में हुआ। पूरे मामले की गहनता से जांच सीओ बांगरमऊ अरविंद चौरसिया ने की और तकनीकी साक्ष्यों की मदद से हत्यारों तक पहुंचने में सफलता प्राप्त की।
बचपन की दोस्ती बनी खून का कारण
बेहटा मुजावर थाना क्षेत्र के हरईपुर गांव में अंकित, मोहित, अमित और अभिषेक चारों बचपन से साथ थे। साथ पढ़ाई की, खेला, जवान हुए और अक्सर साथ बैठकर बियर पार्टी किया करते थे। अंकित, जो अब एक मेडिकल स्टोर चलाता था, उसकी आर्थिक स्थिति ठीक-ठाक थी। उसके खाते में करीब 16 लाख रुपये जमा थे, जिसकी जानकारी उसके दोस्तों को थी। पैसों के लालच ने दोस्ती का ऐसा खून किया कि भरोसे की हर दीवार गिरा दी गई।
अमित और अभिषेक गांव में ही रहते थे जबकि मोहित ने पॉलीटेक्निक की पढ़ाई पूरी कर ली थी और लखनऊ में रह रहा था। तीनों ने मिलकर अंकित को मारने की साजिश रची और फिर एक-एक करके उस योजना को अंजाम भी दिया।

23 मई दोस्ती का काला दिन 23 मई, शुक्रवार को योजना को अमलीजामा पहनाया गया। अमित ने चखरमान गांव के पास की शराब दुकान से बीयर की कैन खरीदी। इसके बाद वह अंकित और अभिषेक को लेकर गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माणाधीन हिस्से की ओर निकल गया। हालांकि मोहित उस समय लखनऊ में था, लेकिन फोन पर वह लगातार संपर्क में था और पूरी साजिश को निर्देशित कर रहा था।
हरदोई जिले के मल्लावा थाना क्षेत्र के पंचम खेड़ा गांव के पास तीनों दोस्त बैठे। पहले साथ बीयर पी और फिर मोहित के कहने पर अमित और अभिषेक ने मिलकर अंकित को सीमेंट की बड़ी पाइप में ले जाकर सिर पर वार कर बेरहमी से हत्या कर दी। हत्या के बाद शव को पाइप के अंदर करीब 10 मीटर तक खींच कर फेंक दिया और ऊपर मिट्टी डालकर सबूत मिटाने की कोशिश की।
सबूत मिटाने की नाकाम कोशिश हत्या के बाद मोहित ने पूरी योजना के तहत अंकित की बाइक को शादीपुर गांव में खड़ा करने और उसकी नंबर प्लेट को ब्ररौना पुलिया के पास फेंकने के निर्देश दिए। अंकित का मोबाइल भी उसके घर के सामने स्थित तालाब में फेंक दिया गया ताकि पुलिस को लोकेशन का सुराग न मिल सके।
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। शनिवार को पुलिस को अंकित की बाइक मिल गई। रविवार को ब्ररौना पुलिया से उसकी नंबर प्लेट और पंचम खेड़ा के सीमेंट पाइप से शव बरामद हुआ। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सिर में गंभीर चोट और ब्लंट ट्रॉमा से मौत की पुष्टि हुई।
बीयर की कैन बनी सबूत, मोबाइल ने खोली पोल घटनास्थल से मिली बीयर की कैन पर मौजूद बारकोड को स्कैन कर पुलिस ने शराब की दुकान की जानकारी निकाली, जहां से कैन खरीदी गई थी। खरीद का भुगतान अमित के डिजिटल वॉलेट से हुआ था, जिससे पुलिस को पहला ठोस सुराग मिला।
इसके अलावा अमित और अभिषेक की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) और मोबाइल लोकेशन से पता चला कि वे हत्या के दिन और समय पर घटनास्थल के आसपास मौजूद थे। जब दोनों को हिरासत में लेकर सख्ती से पूछताछ की गई, तो उन्होंने जुर्म कबूल कर लिया। पूछताछ में यह भी सामने आया कि हत्या से पहले ही अंकित के पर्स से एटीएम कार्ड चुराकर उसका क्लोन बनाने की योजना थी।

लालच ने ले ली जान इस पूरे प्रकरण में सबसे दुखद पहलू यह है कि जिन दोस्तों पर अंकित को भरोसा था, वही उसकी मौत का कारण बने। पैसों की हवस ने बचपन की दोस्ती को भी बर्बाद कर दिया। हत्या की योजना सोची-समझी और सुनियोजित थी, जिसमें हर पहलू पर विचार किया गया था, लेकिन तकनीकी साक्ष्य और पुलिस की सूझबूझ ने तीनों हत्यारों को ज्यादा दिन आज़ाद नहीं रहने दिया।
एसपी का सख्त संदेश पुलिस अधीक्षक दीपक भूकर ने मामले का खुलासा करते हुए कहा, “कोई भी अपराधी कितना भी चालाक हो, पुलिस उसकी गलती पकड़ ही लेती है। कानून से बचना नामुमकिन है।” उन्होंने यह भी कहा कि तकनीकी जांच आज अपराध नियंत्रण में सबसे मजबूत हथियार बन चुकी है।
परिवार में मातम, गांव में सन्नाटा अंकित की मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। गांव में मातम पसरा हुआ है और लोग इस बात को लेकर हैरान हैं कि भरोसे के रिश्ते इतनी जल्दी लालच के आगे बिखर सकते हैं। जिन लोगों को घर का सदस्य माना गया, उन्हीं की वजह से एक परिवार उजड़ गया।
न्याय की उम्मीद अब जबकि आरोपी सलाखों के पीछे हैं, अंकित के परिजन उन्हें सख्त से सख्त सजा दिलाने की मांग कर रहे हैं। यह मामला समाज को यह सोचने पर मजबूर कर देता है कि आज के दौर में भरोसे की असली कीमत क्या बची है, और कैसे लालच इंसान को हैवान में बदल देता है।
घटना की जांच में जुटी SOG और सर्विलांस टीम मेडिकल स्टोर संचालक अंकित की हत्या की गुत्थी सुलझाने में SOG (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) और सर्विलांस टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मोबाइल लोकेशन, कॉल डिटेल रिकॉर्ड और तकनीकी इनपुट्स की गहन जांच कर टीम ने पूरे घटनाक्रम की परतें खोलीं।
CO बांगरमऊ अरविंद चौरसिया की सक्रिय भूमिका मौके पर पहुंच कर स्थानीय इनपुट्स जुटाए और परिजनों से संवाद बनाते हुए शुरुआती साक्ष्य सुरक्षित कराए। उनकी सक्रियता से सुराग तेजी से जुड़ते गए।
तकनीकी ज़मीनी कार्रवाई का असर सीसीटीवी, CDR और बीयर कैन से शुरू हुआ सुराग — अंतिम खुलासे तक पहुंचा, जहां दोस्त ही कातिल साबित हुए।