Friday, December 27, 2024
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मोदी को बाइक पर बैठाकर घुमाते थे खट्टर: बंसीलाल की सरकार गिराने के लिए दाढ़ी बढ़ाई; पहले ही चुनाव में CM बन गए


2 घंटे पहलेलेखक: अभिषेक वाजपेयी

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1999 की बात है। हरियाणा में बीजेपी और हरियाणा विकास पार्टी के गठबंधन की सरकार थी। चौधरी बंसीलाल मुख्यमंत्री थे। एक दिन बीजेपी के संगठन मंत्री मुख्यमंत्री बंसीलाल से मिलने गए। कुछ देर बाद सीएम ने मैसेज भिजवाया- ‘बीजेपी के संगठन मंत्री हमारी पार्टी के संगठन मंत्री से मिल लें। मुझसे मिलने की जरूरत नहीं है।’

बीजेपी के संगठन मंत्री को ये बात चुभ गई। उन्होंने सौगंध खाई कि जब तक बंसीलाल की सरकार नहीं गिरेगी, तब तक वे अपनी दाढ़ी नहीं कटाएंगे। 22 जून 1999 को बीजेपी ने समर्थन वापस ले लिया। 25 जून को फ्लोर टेस्ट हुआ। कांग्रेस की मदद से तब बंसीलाल ने सरकार तो बचा ली, लेकिन अगले ही महीने कांग्रेस ने भी समर्थन वापस ले लिया। 24 जुलाई 1999 को बंसीलाल की सरकार गिर गई। बीजेपी के संगठन मंत्री का संकल्प पूरा हुआ।

करीब 15 साल बाद यानी, 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत मिला। सीएम पद के लिए रामबिलास शर्मा, अनिल विज, कैप्टन अभिमन्यु, ओम प्रकाश धनखड़ जैसे दिग्गजों के नाम चल रहे थे, लेकिन बाजी मारी पहली बार विधायक बने उस नेता ने, जिसने 15 साल पहले बंसीलाल की सरकार गिराने की सौगंध खाई थी। नाम- मनोहर लाल खट्टर।

मैं हरियाणा का सीएम’ सीरीज के दसवें एपिसोड में मनोहर लाल खट्टर के मुख्यमंत्री बनने की कहानी और उनसे जुड़े किस्से…

26 अक्टूबर 2014, पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए मनोहर लाल खट्टर।

26 अक्टूबर 2014, पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए मनोहर लाल खट्टर।

मनोहर लाल खट्टर का जन्म 5 मई 1954 को रोहतक के निंदाना गांव में हुआ था। उनका परिवार पाकिस्तान से आकर वहां बसा था। कुछ साल बाद परिवार ने पास के गांव बनियानी में खेती की जमीन खरीद ली और वहीं रहने लगा। हजारों विस्थापित परिवारों की तरह मनोहर के परिवार को भी आजीविका के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी।

उनके पिता और दादा शुरुआती दिनों में मजदूरी करते थे। बाद में उन्होंने निंदाना गांव में दुकान खोल ली। मनोहर लाल के पिता चाहते थे कि बेटा खेती में उनका हाथ बंटाए, लेकिन बेटे की इच्छा डॉक्टर बनने की थी। रोहतक के नेकीराम कॉलेज से 10वीं करने के बाद मनोहर आगे की पढ़ाई और मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के लिए एक रिश्तेदार के पास दिल्ली चले गए। रिश्तेदार की दिल्ली के सदर बाजार में कपड़े की दुकान थी।

एक इंटरव्यू में खट्‌टर बताते हैं- ‘रोहतक मेडिकल कॉलेज में एक नंबर से मैं चूक गया। मेरा दाखिला नहीं हो पाया। इसके बाद मैंने एम्स और आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए तैयारी शुरू कर दी, लेकिन इन कॉलेजों का एंट्रेंस टेस्ट मैं पास नहीं कर सका। एक परिचित मुझे गोवा में डोनेशन पर प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन दिला रहे थे। 30 हजार रुपए डोनेशन लग रहा था।

जब मैंने घर में डोनेशन की बात बताई तो सबने मना कर दिया। पापा का कहना था कि इतने पैसे में तो तुम अपना काम शुरू कर सकते हो। इसके बाद मैंने पिताजी से 15 हजार रुपए लेकर दिल्ली के सदर बाजार में कपड़े की दुकान खोली।’

22 जनवरी 2015, पानीपत में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम लॉन्च करते हुए पीएम मोदी और मनोहर लाल खट्टर। सोर्स : गेटी इमेज

22 जनवरी 2015, पानीपत में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम लॉन्च करते हुए पीएम मोदी और मनोहर लाल खट्टर। सोर्स : गेटी इमेज

भाई को बिजनेस सौंप RSS के प्रचारक बन गए खट्टर

मनोहर ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीए किया है। पढ़ाई के दौरान ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए और 1977 में RSS से जुड़ गए। 1979 में प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद की सभा में उनकी मुलाकात संघ के कई पदाधिकारियों और परिषद के संतों से हुई। धीरे-धीरे संघ के प्रति उनका लगाव गहरा होता गया। बाद में वे संघ के फुल टाइम प्रचारक बन गए।

खट्टर एक इंटरव्यू में बताते हैं- ‘1979 में मैंने तय किया कि संघ प्रचारक बनना है। उसी साल छोटे भाई जगदीश ने बीकॉम पास किया। मैंने उससे कहा- तुम्हारी पढ़ाई अब ठीक-ठाक हो गई है। अब मेरे साथ बिजनेस संभालो। भाई ने कहा कि आपका बिजनेस तो चलता रहेगा, मुझे कोई नया बिजनेस करा दो।’

खट्टर बताते हैं कि उस समय तक मैंने संघ को लेकर अपनी प्लानिंग के बारे में किसी को बताया नहीं था। मैंने छोटे भाई से कहा कि एक साल तक मेरे साथ बिजनेस संभालो। बाद में तुम्हें अलग करना होगा तो अलग कर लेना। इसके बाद व्यापार के बीच में लगातार संघ में सक्रिय रहा। फिर अपने छोटे भाई को बिजनेस सौंप कर संघ प्रचार के लिए निकल गया।’

मार्च 2016, संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर।

मार्च 2016, संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर।

पिता से बोले- क्या आप ये नहीं सोच सकते कि आपके पांच नहीं चार ही बेटे हैं

एक इंटरव्यू में खट्टर बताते हैं- ‘जब मैं प्रचारक बना तो घर वालों को लगता था कि तीन साल बाद लौट आएगा। तीन साल पूरा होने के बाद पिता जी ने अक्सर कहना शुरू कर दिया कि अब घर लौट आओ, लेकिन मैं हर बार मना कर देता। मैं भाई-बहनों में बड़ा था तो शादी का दबाव भी मेरे ऊपर बढ़ रहा था। फिर मैंने पिता से जिद करके छोटे भाई की शादी करा दी। मुझे लगा कि अब पिता जी समझ जाएंगे कि वो लौटना नहीं चाहता, लेकिन वे लगातार लौटने के लिए कहते रहे।

एक दिन मैंने कठोर मन से पिता जी से कहा दिया कि आपके पांच बेटे हैं। दिल्ली में इतनी भीड़ है, ट्रैफिक है, इधर-उधर से गाड़ियां आती-जाती रहती हैं। टक्कर लगती है और जान चली जाती है। हम 13 दिन उसे याद करते हैं और फिर भूल जाते हैं। क्या आप ये नहीं सोच सकते कि आपके पांच नहीं चार ही बेटे हैं। पिता जी ने कहा कि ठीक है आज के बाद मैं तुझे वापस आने के लिए नहीं कहूंगा।’

प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली तो पार्टी पर 1.5 लाख रुपए का कर्ज था

1994 की बात है। मनोहर लाल को संघ से भाजपा में संगठन महामंत्री बनाया गया था। कार्यभार लेते ही उन्हें बताया गया कि प्रदेश में पार्टी पर करीब डेढ़ लाख रुपए का कर्जा है। इसे आपको ही उतारना है। खट्टर ने हैरान होकर पूछा कि ये कर्जा कैसे हो गया? उन्हें बताया गया कि नए प्रदेश अध्यक्ष रमेश जोशी ने लोन पर एक कार खरीदी है।

खट्टर को पार्टी चलाने के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी और आते ही कर्ज के बारे में पता चला तो परेशान हो गए कि कैसे कर्ज उतारा जाए। उस समय सुषमा स्वराज हरियाणा की प्रभारी थीं। खट्टर ने इस बारे में उनसे बात की। सुषमा स्वराज ने उन्हें पार्टी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी का थैली भेंट कार्यक्रम कराने का सुझाव दिया। थैली भेंट कार्यक्रम में जितना पैसा चंदे के तौर पर मिलता था, उसका 15% प्रदेश फंड में जाता था। कार्यक्रम के बाद 15% का फंड के जरिए करीब 3.5 लाख रुपए मिल गए और लोन चुकता हुआ।

जून 2017, चंडीगढ़ में अपने आवास के बाहर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर। सोर्स : गेटी इमेज

जून 2017, चंडीगढ़ में अपने आवास के बाहर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर। सोर्स : गेटी इमेज

मोदी को बाइक पर बैठाकर घुमाते थे खट्टर

1996 में नरेंद्र मोदी हरियाणा के प्रभारी बनाए गए। इसी दौरान उनकी मुलाकात खट्‌टर से हुई। 11 मार्च 2024 को मोदी ने एक सभा में बताया था कि वे जब हरियाणा के प्रभारी थे तो मनोहर लाल खट्टर की बाइक पर पीछे बैठकर घूमते थे।

2002 में मनोहर को जम्मू- कश्मीर का प्रभारी बनाया गया। इसी साल गुजरात में भी चुनाव होने थे। तब तक नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम बन चुके थे। उन्होंने मनोहर को कच्छ जिले में इलेक्शन मैनेजमेंट करने बुलाया।

दरअसल, 2001 के भूकंप के बाद हुए राहत कार्यों से इलाके के लोगों में असंतुष्टि और आक्रोश था, लेकिन मनोहर के चुनाव अभियान से भाजपा ने 6 में से 3 सीटें हासिल कीं। इस जीत पर मोदी ने कहा कि ये सीटें हमारे लिए बोनस हैं।

2004 में मनोहर को दिल्ली और राजस्थान सहित करीब 12 राज्यों का प्रभारी बनाया गया। उन्होंने RSS के वरिष्ठ प्रचारक बालासाहेब आप्टे के साथ ‘चुनाव सहायक योजना’ पर काम किया।

इसके बाद उन्हें पांच राज्यों – जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और हिमाचल प्रदेश के क्षेत्रीय संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई। मनोहर के प्रभारी रहते ही भाजपा ने जम्मू-कश्मीर चुनाव में पहली बार 11 सीटें जीती थीं।

पहली बार मोदी ने मुझे कंप्यूटर सिखाया

खट्टर ने एक इंटरव्यू में बताया- ‘1996 की बात है। पहली बार रोहतक में मेरी मुलाकात मोदी से हुई। वे एंबेसडर गाड़ी से आए थे। आते ही उन्होंने एक लड़के से कहा कि गाड़ी में से डिब्बे निकाल लो।

डिब्बे खोले गए। उन्होंने मुझसे पूछा कि ये क्या है? मैंने कहा- मुझे ये छोटा टीवी लग रहा है। वे बोले ये कंप्यूटर है। उन्होंने बताया कि इससे बहुत से काम किए जा सकते हैं। इंटरनेट और ई-मेल के बारे में भी बताया। हमारे लिए नई चीज थी। मैंने कंप्यूटर सीखा, फिर इतनी रुचि हो गई कि आगे मैंने एक लैपटॉप ले लिया और उस पर पार्टी का काम करने लगा।’

5 नवंबर 2015, सोनीपत में प्रधानमंत्री मोदी के साथ मनोहर लाल खट्टर। सोर्स : गेटी इमेज

5 नवंबर 2015, सोनीपत में प्रधानमंत्री मोदी के साथ मनोहर लाल खट्टर। सोर्स : गेटी इमेज

चुनाव से एक महीने पहले कहा था- हां मैं भी सीएम पद का दावेदार हूं

2014 में मनोहर लाल को हरियाणा में लोकसभा के लिए चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया। हरियाणा में भाजपा को पहली बार 10 में से 7 सीटें मिलीं। केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद मनोहर हरियाणा में और सक्रिय हो गए, क्योंकि इसी साल विधानसभा चुनाव भी होने थे।

विधानसभा चुनाव से करीब एक महीने पहले मनोहर लाल खट्टर ने एक इंटरव्यू में दावा किया कि वे भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। ओमप्रकाश चौटाला की कोर टीम के सदस्य अभय राम दहिया इससे जुड़ा एक किस्सा बताते हैं- उस इंटरव्यू के बाद जब मैंने मनोहर लाल खट्टर को फोन करके पूछा कि वे कहां से चुनाव लड़ेंगे तो उन्होंने जवाब दिया कि आप बताइए। मैंने कहा- आप पंचकूला आ जाइए, मैं आपकी पूरी मदद करूंगा।

इस पर खट्टर ने कहा- चुनाव लड़ने से पहले 3-4 एजेंसियों से सर्वे करवा रहा हूं। अगर पंचकूला पर विचार किया जाता है तो मैं आपकी मदद जरूर मांगूंगा। उन्हें करनाल से अच्छी रिपोर्ट मिली। उन्होंने करनाल से पर्चा दाखिल किया।

पहली बार विधायक बने खट्टर और सीधे सीएम बन गए

4 अक्टूबर 2014, प्रधानमंत्री मोदी ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव की पहली रैली की। मंच पर मोदी के साथ खट्टर भी थे। खट्टर पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे। 19 अक्टूबर को वोट गिने गए। बीजेपी ने 47 सीटें जीतीं। खट्टर करीब 63 हजार वोट से जीतकर पहली बार विधायक बने।

अब सीएम चुनने की बारी थी। मीडिया में कई नामों की चर्चा थी। तीन दिन बाद यानी 22 अक्टूबर को विधायक दल की बैठक बुलाई गई। भाजपा आलाकमान की ओर से भेजे गए ऑब्जर्वर वेंकैया नायडू ने ‘दिल्ली’ से संदेश के तौर पर मनोहर लाल खट्टर का नाम आगे किया। यह नाम सुनकर सभी चौंक गए।

2019 में भाजपा को 40 सीटें मिलीं। कांग्रेस 31 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी पार्टी बनी। दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी (JJP) के 10 और 7 निर्दलीय उम्मीदवार चुनकर आए। भाजपा बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई। पार्टी ने 10 सीटों वाली JJP के साथ गठबंधन किया और सत्ता में वापसी की। 27 अक्टूबर 2019 को मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री बने। किंगमेकर बने दुष्यंत चौटाला को उपमुख्यमंत्री बनाया गया।

21 अक्टूबर 2014, मनोहर लाल खट्टर बीच में। उसी दिन खट्टर को सीएम बनाए जाने की घोषणा हुई थी।

21 अक्टूबर 2014, मनोहर लाल खट्टर बीच में। उसी दिन खट्टर को सीएम बनाए जाने की घोषणा हुई थी।

खट्टर ने घर दान किया, कुंवारों के लिए पेंशन स्कीम शुरू की

खट्टर ने सीएम रहते रोहतक के निंदाणा गांव वाले अपने घर को दान कर दिया। इसके अलावा हरियाणा में कुंवारों के लिए पेंशन शुरू की। जिसमें 40 से 60 साल की उम्र तक फायदा दिया गया। इस दायरे में राज्य के करीब 71 हजार कुंवारे और विधुर लोग आए।

इन्हें 2750 रुपए प्रतिमाह पेंशन देने का फैसला हुआ। इस पर हर महीने 20 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। वहीं 60 साल की उम्र के बाद ऑटोमेटिकली यह पेंशन बुढ़ापा पेंशन में तब्दील हो जाएगी। हालांकि तलाकशुदा व लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले व्यक्ति को यह पेंशन नहीं मिलती है।

खट्टर का इस्तीफा, उनके करीबी नायब सैनी बने नए सीएम

12 मार्च 2024, सीएम मनोहर लाल खट्टर ने सुबह चंडीगढ़ में विधायक दल की बैठक बुलाई। इसमें समर्थक निर्दलीय विधायकों को भी बुलाया गया, लेकिन JJP विधायक इसमें शामिल नहीं थे। बैठक के बाद मनोहर लाल खट्टर सभी मंत्रियों समेत राज्यपाल से मुलाकात करने निकले। करीब 11.30 बजे खबर आई कि खट्टर सरकार ने इस्तीफा दे दिया है। इससे साफ हो गया कि बीजेपी और JJP गठबंधन टूट गया है।

खट्टर के इस्तीफा देने के साथ ही नए सीएम के नाम पर भी चर्चा शुरू हो गई। उसी शाम नायब सैनी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। सैनी उस समय कुरुक्षेत्र से लोकसभा सांसद थे। सैनी को सीएम बनाने की एक अहम वजह यह थी कि खट्टर और सैनी के बीच भी ऐसा ही रिश्ता है, जैसा पीएम मोदी और खट्टर के बीच है। नायब सैनी से मनोहर लाल खट्टर की करीबी लगभग दो दशक पुरानी है।

13 मार्च शाम करीब 7 बजे भाजपा ने लोकसभा प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट जारी की। मनोहर लाल को करनाल से उम्मीदवार घोषित किया गया। चुनाव जीतने के बाद मोदी सरकार 3.0 में उन्हें आवास और शहरी मामलों का मंत्री बनाया गया।

10 जून 2024, दिल्ली में केंद्रीय मंत्री पद की शपथ लेते हुए मनोहर लाल खट्टर। उन्हें आवास और शहरी मामलों का मंत्री बनाया गया।

10 जून 2024, दिल्ली में केंद्रीय मंत्री पद की शपथ लेते हुए मनोहर लाल खट्टर। उन्हें आवास और शहरी मामलों का मंत्री बनाया गया।

जया के सवाल पर बोले- मुझे इस काम के लिए अगले जन्म का इंतजार करना पड़ेगा

5 अगस्त 2024 को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान सभापति जगदीप धनखड़ ने समाजवादी पार्टी सांसद जया बच्चन को ‘जया अमिताभ बच्चन’ कहकर पुकारा। इस पर जया ने आपत्ति जताई। इससे पहले 29 जुलाई को उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने उन्हें इसी नाम से संबोधित किया था। तब भी जया ने नाराजगी जताई थी।

थोड़े शोर-गुल के बाद सभापति ने एक किस्सा सुनाया और जया से कहा कि वो केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर से अपना प्रश्न पूछ सकती हैं। जया खड़ी हुईं और खट्टर की ओर इशारा करते हुए बोलीं- इनके नाम के आगे इनकी पत्नी का भी नाम लगा दीजिए।

जवाब देने के लिए जब खट्टर खड़े हुए तो व्यंग्य करते हुए बोले- मुझे इस काम के लिए अगले जन्म का इंतजार करना पड़ेगा, उससे पहले तो संभव है नहीं। इस पर पूरा सदन ठहाकों से गूंज उठा। जया बच्चन भी हंसती हुई नजर आईं।

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