मोहम्मद शमी
चैंपियंस ट्रॉफी में टीम इंडिया अपना पहला मुकाबला बांग्लादेश के खिलाफ दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में खेलेगी। ये दोनों टीमों के लिए इस टूर्नामेंट में पहला मैच है तो वो जीत के साथ इसका आगाज करना चाहेंगे। इस मैच में टीम इंडिया की तेज गेंदबाजी अटैक का जिम्मा मोहम्मद शमी के कंधों पर होगा। जसप्रीत बुमराह चोट की वजह से इस टूर्नामेंट से बाहर हो गए हैं, वहीं अर्शदीप के पास वनडे में खेलने का उतना अनुभव नहीं है। तो गेंदबाजी में शमी का चलना बहुत जरूरी होगा।
आपको बता दें कि, मोहम्मद शमी चोट की वजह से वनडे वर्ल्ड कप के बाद लगभग 15 महीने तक भारतीय टीम से दूर रहे। इंग्लैंड के खिलाफ हाल ही में समाप्त हुई लिमिटेड ओवर सीरीज में उनकी वापसी हुई थी और वहां उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया था। इस बीच बांग्लादेश के खिलाफ चैंपियंस ट्रॉफी अभियान का आगाज करने से पहले मोहम्मद शमी ने अपनी चोट को लेकर बड़ा बयान दिया है। शमी को 2023 में आईसीसी पुरुष क्रिकेट वर्ल्ड कप के दौरान टखने में चोट लगी थी।
अपनी चोट को लेकर मोहम्मद शमी ने दिया बड़ा बयान
ICC द्वारा जारी एक वीडियो में मोहम्मद शमी ने कहा कि, वर्ल्ड कप के दौरान शानदार फॉर्म के बाद उनको अचानक ही खुद को ऑपरेशन टेबल पर देखना पड़ा। उस शानदार फॉर्म के बाद चोटिल होना उनके लिए वास्तव में बेहद मुश्किल समय था। उन्होंने बताया कि पहले दो महीनो में अक्सर उन्हें संदेह हो जाता था कि क्या वो फिर से खेल पाएंगे या नहीं क्योंकि इस तरह की चोट और 14 महीने तक बाहर रहने से उनका हौसला टूट सकता था। 34 वर्षीय तेज गेंदबाज ने इंग्लैंड के खिलाफ हाल ही समाप्त हुई सीरीज के जरिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सफल वापसी की।
शमी ने बताया कि, ऑपरेशन के बाद उन्होंने डॉक्टर से पहला सवाल यही पूछा था था कि उन्हें वापस मैदान पर लौटने में कितना समय लगेगा। डॉक्टर ने उनसे कहा कि उनका पहला काम शमी को चलाना, फिर जॉगिंग कराना और उसके बाद दौड़ाना है। क्रिकेट खेलना उस वक्त दूर की बात थी। एक एक्टिव खिलाड़ी से बैसाखी पर निर्भर होने का दौर शमी के लिए मानसिक रूप से कठिन था।
उन्होंने बताया कि, वो हमेशा यही सोचता रहते थे कि वो कब अपने पांव जमीन पर रख पाएंगे। उनके मन में कई तरह के विचार आ रहे थे। 60 दिनों के बाद जब जब डॉक्टर ने उनसे अपने पैर ज़मीन पर रखने के लिए कहा तब वो काफी डर गए थे। शमी ने कहा, उन्हें ऐसा लगा जैसे वो दोबारा शुरुआत कर रहे हैं। उनको ऐसा लगा जैसे कोई बच्चा चलना सीख रहा हो। वो किसी तरह की मुश्किल आने को लेकर डरे हुए थे। हालांकि इस बीच देश की तरफ से फिर से खेलने की इच्छा ने उन्हें इस चोट से उबरने के लिए प्रेरित किया।
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