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अप्रैल में लगातार मौसम में परिवर्तन होता आ रहा है, जिसके कारण कभी सूरज की तेज तपन से लोग बेहाल हुए, तो कभी बादलों की आवाजाही से मौसम में राहत दिखाई दी। मौसम परिवर्तन का असर लोगों की सेहत पर भी दिखाई दिया। यही कारण रहा कि पिछले 7 दिन में जिला अस्पताल की ओपीडी में 3788 मरीज स्वास्थ्य लाभ के लिए पहुंचे। वहीं 541 मरीजों ने भर्ती होकर अपना उपचार कराया।
मौसम परिवर्तन के कारण लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इस कारण शरीर को मौसम के अनुरूप आने में समय लगाता है। ऐसे में इस बार अप्रैल में मौसम में हुए परिवर्तन के कारण लोग मौसमी बीमारी की चपेट में जल्दी आ रहे हैं। जिला अस्पताल में उपचार कराने पहुंचे इनमें से 80 प्रतिशत मौसम परिवर्तन के कारण होने वाले रोग से ग्रसित ही रहे।
ऐसे में मौसम के उतार-चढ़ाव के चलते मौसमी बीमारियों की चपेट में आने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पिछले सात दिन में जिला अस्पताल पहुंचे मरीजों की संख्या देखी जाए तो 15 अप्रैल को 774 मरीज पहुंचे जिनमें से 90 ने भर्ती होकर उपचार लिया। इसी तरह 16 अप्रैल को 592 मरीज आए जिनमें से 87 भर्ती हुए। 17 अप्रैल को 719 मरीज पहुंचे जिनमें से 79 भर्ती हुए, 18 अप्रैल को गुड फ्राइडे अवकाश के दिन 152 मरीजों की ओपीडी में से 66 मरीज भर्ती हुए, 19 अप्रैल को 688 मरीजों की ओपीडी में से 85 भर्ती हुए, 27 अप्रैल रविवार अवकाश के दिन 113 की ओपीडी, 52 मरीज भर्ती हुए। वहीं सोमवार को 750 मरीजों की ओपीडी हुई।
इनमें से 82 मरीज भर्ती होकर अस्पताल में उपचार कराया है। आंकड़े देखे जाए तो प्रतिदिन 541 मरीज ओपीडी में पहुंच रहे हैं। वहीं 80 मरीज प्रतिदिन अस्पताल में भर्ती होकर उपचार करा रहे हैं। इससे पहले मार्च में ओपीडी जहां 300 से 400 मरीजों की हुआ करती थी। वहीं 40 से 50 मरीज भर्ती होकर उपचार कराते रहे हैं। इसके साथ ही शहर के कई अन्य निजी क्लिनिक व अस्पतालों में चिकित्सकों के पास मरीजों का तांता लगा हुआ है। मौसम में उतार चढ़ाव का असर बच्चों पर भी तेजी से हो रहा है। इस मौसम की चपेट में आने से छोटे-छोटे बच्चे बुखार, खांसी, डायरिया-डिसेंट्री व अन्य बीमारियों की चपेट में जल्दी आ रहे हैं।
मौसम परिवर्तन से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है- सीएमएचओ डॉ. राजेश गुप्ता के अनुसार मौसम परिवर्तन से शरीर का तापमान भी प्रभावित होता है। इससे वायरल फीवर, सर्दी जुकाम, खांसी, बदन दर्द, सिर दर्द आदि हो जाता है। इन बीमारियों से ग्रसित होने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इससे डेंगू, मलेरिया सहित अन्य इंफेक्शन की आशंका बढ़ जाती है। इंसान के दिमाग में थर्मोस्ट्रेट होता है, जो शरीर को मौसम के हिसाब से संतुलित करता है। मौसम परिवर्तन के समय शरीर को संतुलित करने के लिए दो से तीन हफ्ते लग जाते हैं। इसी बीच स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत हैं।
ऐसे में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए खाने का ध्यान रखना और लक्षण दिखाई देने पर समीप के चिकित्सालय में जाकर चिकित्सक की सलाह अवश्य ले। पिछले कुछ दिनों से मौसम में प्रतिदिन बदलाव आ रहा है। अप्रैल में अब तक देखा जाए तो दिन का तापमान कभी 42 डिग्री तक पहुंचा तो कभी 37 डिग्री। ऐसे में मौसम में बदलाव के कारण मानव की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर होने से मौसमी बीमारी जल्दी अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं। यही कारण है कि जिला अस्पताल सहित अन्य निजी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ है।