यूनियन कार्बाइड के दस टन घातक कचरे को ट्रायल बतौर 2015 में जब जलाया गया था तो उससे 40 टन राख (रेसीड्यू) पैदा हुई थी। इसे पीथमपुर में ही जमीन में दफनाया गया। उसके चलते 8 किमी तक भूजल दूषित हो चुका है। अब 377 टन कचरा जलाने की तैयारी है। इससे कितना नुकस
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एक्सपर्ट के अनुसार इस कचरे को जलाने में एक साल से ज्यादा लगेगा, इससे लगभग 1600 टन कचरा पैदा होगा। 2015 में सेंट्रल पाल्यूशन बोर्ड की टीम का हिस्सा रहे अफसरों ने भास्कर को बताया इतना घातक कचरा देश तो क्या विदेशों में भी कभी कहीं नहीं जलाया गया। इस वजह से इतना कचरा जलाना चुनौतीपूर्ण तो रहेगा ही।
महाराष्ट्र, गुजरात व आंध्र ने नहीं जलाया घातक कचरा
यूनियन कार्बाइट के जहरीले कचरे को जलाने महाराष्ट्र, गुजरात व आंध्र भेजने के प्रस्ताव थे, लेकिन जनता के विरोध के कारण कचरा वहां नहीं जलाया गया। 2007 में मप्र हाईकोर्ट ने यूका का कचरा गुजरात के अंकलेश्वर में जलाने का आदेश दिया। गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मंजूरी भी मिल गई, लेकिन विरोध के चलते सरकार ने एनओसी रद्द कर दी। अक्टूबर 2009 में हैदराबाद के डुंगीगल व मुंबई के तलोजा में सर्वे किया गया। जून 2011 में नागपुर के डीआरडीओ में कचरा भेजने की बात कही गई। यहां भी विरोध के चलते फैसला टल गया। फरवरी 2012 में जर्मन कंपनी ने 54 करोड़ में कचरा हैम्बर्ग ले जाकर जलाने का ऑफर दिया था, वहां भी विरोध हुआ।
केंद्रीय टीम पहुंची, 22 को कांग्रेस करेगी धरना प्रदर्शन
भास्कर के खुलासे के बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम बुधवार को पीथमपुर पहुंची। 8-10 किमी का भ्रमण कर कुओं से पानी के सैंपल लिए। बोर्ड के ज्वॉइंट सेक्रेटरी नवनीत कोठारी ने बताया, रिपोर्ट के बाद पानी में प्रदूषण की स्थिति पता चल पाएगी। उधर, कांग्रेस ने 22 दिसंबर को पीथमपुर में जिला कांग्रेस धरना प्रदर्शन करेगी। पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा व प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भास्कर से चर्चा में कहा, हम पीथमपुर और इंदौर को गैस त्रासदी के मामले में दूसरा भोपाल नहीं बनने देंगे।
एक टन कचरा जलाने पर खर्च ही होंगे 37 लाख रुपए
पीसीबी के एक्सपर्ट्स के मुताबिक इतने घातक कचरे को सीधे इंसीनरेटर में जलाया नहीं जा सकता। इसे दूसरे पदार्थ और कैमिकल मिलाकर न्यूट्रलाइज किया जाता है फिर जलाया जाता है। इससे राख ज्यादा निकलती है। 10 टन कचरे की राख 40 टन निकली और फिर उसे दफन किया गया था। विशेषज्ञों की मानें तो 337 टन कचरा जलाने पर 1600 टन राख (अवशेष) बचेगी। सरकार ने 126 करोड़ 337 टन कचरा जलाने के लिए तय की है, उस आधार पर एक टन कचरे के लिए करीब 37 लाख खर्च होंगे।
नगर पालिका पहले ही प्रस्ताव पारित कर चुकी
पीथमपुर में यूका का जहरीला कचरा नहीं जलाने को लेकर नगर पालिका परिषद पहले ही प्रस्ताव पारित कर चुकी है। अगस्त 2024 में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। परिषद में मौजूद कांग्रेस के सदस्यों के अलावा भाजपा सदस्यों ने भी इस पर सहमति जताई है। बावजूद इसके कचरा जलाने के लिए सरकार के स्तर पर प्रक्रिया जारी है।