म्यांमार से आए 21 लोगों से लखनऊ में हुई पूछताछ
यूपी के 38 लोगों से म्यांमार में नौकरी का झांसा देकर साइबर ठगी कराई जा रही थी। जिसमें से 21 लोगों को मंगलवार रात गाजियाबाद पुलिस ने साहिबाबाद डिपो की बस से लखनऊ भेजा था। लखनऊ लाए गए सभी लोगों से एक प्रोफार्मा पर सवाल के उत्तर भरवाने के बाद रात करीब द
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नौकरी के लालच में बन गए साइबर ठग
पीड़ितों का कहना है कि उनको साइबर ठगी की ट्रेनिंग दी गई।
म्यांमार के साइबर ठग सोशल मीडिया के जरिए आईटी प्रोफेशनल को नौकरी का लालच देकर साइबर ठग बना दिया। यह खुलासा 21 लोगों ने लखनऊ में पूछताछ के दौरान किया। पीड़ितों का कहना है कि अच्छी तनख्वाह और बेहतर सुविधाओं की बात कह टूरिस्ट वीजा पर म्यांमार बुलाया गया। जहां बंधक बना कर म्यांमार के म्यावाडी में एक फ्लैट में बंधक बनाया गया। फिर साइबर क्राइम की ट्रेनिंग देकर डिजिटल अरेस्ट, शेयर ट्रेडिंग और क्रिप्टो करेंसी की वारदात को अंजाम दिलवाया जा रहा था। बंधक बने युवाओं में कोई पांच तो कोई आठ माह से काम कर रहा था। चाइना, पाकिस्तान समेत कई देशों के युवाओं से साइबर ठगी कराई जाती थी।
एलआईयू ने ब्योरा भरने के बाद भेजा घर

सभी से पूछताछ के बाद भेजा गया घर।
एलआईयू ने पुलिस लाइन में करीब पांच घंटे तक पूछताछ की। साथ ही प्रोफार्मा पर उनका नाम, पता, पिता का नाम, मोबाइल नंबर, म्यांमार में रहने वाले परिचित भारतीयों समेत 24 बिंदुओं के सवालों के जवाब भरवाए।
पासपोर्ट जब्त कर लगाते थे करंट

साइबर ठगी के तरीकों के विषय में जानकारी लेते पुलिस कर्मी।
म्यांमार से गाजियाबाद और फिर रात को लखनऊ पुलिस लाइन पहुंचे 21 लोगों से एसीपी क्राइम अभिनव और एलआईयू की टीम ने पूछताछ की। लखनऊ के मो. अनस, अमन सिंह और सुल्तान सलाउद्दीन ने बताया साइबर ठगी करने वाले लोग भारत से एमबीए, बीबीए की पढ़ाई पूरी कर चुके युवाओं को टारगेट करते थे। उनके वहां पहुंचने के बाद पासपोर्ट जब्त कर लेते थे, जिससे कोई भाग न सके।
पीड़ितों ने बताया कि उन लोगों को एक लाख से डेढ़ लाख रुपए तक वेतन देने का लालच देकर बुलाया गया। पीड़ितों ने बताया कि साइबर ठग उन्हें सिर्फ चार घंटे ही सोने देते थे। करीब 18 घंटे तक उनसे काम कराया जाता था। काम के समय नींद आने पर सुरक्षा कर्मी बाल नोचते थे। लड़कियों की चोटी खिड़की से बांध देते थे। घर जाने की बात कहने पर करंट लगाते थे।
सीसीटीवी से होती थी निगरानी अनस के मुताबिक परिवारीजन से बात दो दिन में एक बार ही करने दी जाती थी। बात करते वक्त उनके सुरक्षा कर्मी साथ रहते थे। वहीं चौबीस घंटे सीसीटीवी से निगरानी की जाती थी।
चाइना ऑपरेट कर रहा था गिरोह सभी से पूछताछ में एक बात कॉमन निकल कर आई कि उनके ठगी के गिरोह को चाइना से ऑपरेट किया जा रहा था। अनस के मुताबिक जालसाजी का कॉल सेंटर चलाने वाले लोग डेटा चाइना को भेजते थे। टेलीग्राम एप के जरिए होती थी बात पीड़ितों ने बताया कि साइबर ठगी के लिए टेलीग्राम का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसके जरिए विदेश में नौकरी का लालच देकर लोगों को फंसाया जाता है। उसके बाद पकड़े से बचने के लिए टॉर, टेलस और व्हूनिक जैसे वेब ब्राउजर का इस्तेमाल साइबर अपराधी करते हैं।
डिजिटल अरेस्ट से शेयर ट्रेडिंग फ्राड पूछताछ में सामने आया कि म्यांमार में बने सेंटरों में वीपीएन कनेक्शन के साथ वीओआईपी के जरिए कॉलिंग कराई जाती है। वाट्सएप और टेलीग्राम पर ग्रुप बनाकर लोगों को शेयर ट्रेडिंग के नाम पर ठगा जा रहा है या वाइस बदलकर लोगों को हनी ट्रेप में फंसाया जाता है। इसके लिए इन्हें एक एप दी जाती है। जिससे लड़कों की आवाज भी लड़कियों की तरह बन जाती है।
सोशल मीडिया के जरिए किया था संपर्क नौकरी के नाम पर म्यांमार बुलाए गए लोगों में ज्यादातर युवा हैं। पूछताछ में सभी ने बताया कि उनसे सोशल मीडिया के जरिए ठगों ने संपर्क किया था। उनसे उनके शिक्षा संबंधित दस्तावेज मांगे गए थे। इंटरव्यू के बाद नौकरी मिली थी।