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रंगभरी एकादशी कब है? इसका भगवान विष्णु से नहीं है संबंध, जानें किसकी होती है पूजा, तारीख, मुहूर्त


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Rangbhari Ekadashi 2025 Date: रंगभरी एकादशी के नाम को देखकर प्रतीत होता है कि ऐसी एकादशी, जो रंगों से भरी हुई हो. रंगभरी एकादशी हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है. इस एकादशी में भगव…और पढ़ें

रंगभरी एकादशी 2025.

रंगभरी एकादशी हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है. य​ह एक ऐसी एकादशी है, जिसमें भगवान विष्णु की पूजा नहीं होती है. इस एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा के लिए आंवला एकादशी या आमलकी एकादशी होती है. रंगभरी एकादशी के नाम को देखकर प्रतीत होता है कि ऐसी एकादशी, जो रंगों से भरी हुई हो. इस एकादशी में लाल रंग और गुलाल का उपयोग होता है. उज्जैन के महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी बता रहे हैं कि रंगभरी एकादशी कब है? रंगभरी एकादशी की तारीख, मुहूर्त और महत्व क्या है?

रंगभरी एकादशी 2025 तिथि मुहूर्त
दृक पंचांग के अनुसार, रंगभरी एकादशी के लिए जरूरी फाल्गुन शुक्ल एकादशी तिथि 9 मार्च रविवार को सुबह 7:45 बजे से लेकर 10 मार्च सोमवार को सुबह 7:44 बजे तक है. उदयातिथि को मानते हुए रंगभरी एकादशी का उत्सव 10 मार्च को मनाया जाएगा.

रंगभरी एकादशी: शिव-पार्वती का उत्सव
रंगभरी एकादशी भगवान शिव और माता पार्वती के उत्सव से जुड़ी हुई है. इस दिन भगवान भोलेनाथ और देवी पार्वती की पूजा की जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव का माता पार्वती से विवाह हुआ तो वे दोनों फाल्गुन शुक्ल एकादशी को पहली बार काशाी आए. उनके आगमन पर उत्सव मनाया गया.

शिव और पार्वती जी के आने की खुशी में रंग और गुलाल उड़ाए गए. इस वजह से हर साल रंगभरी एकादशी पर शिव की नगरी काशी में भगवान महादेव और देवी गौरा नगर भ्रमण करते हैं, उस दिन रंग और गुलाल उड़ाया जाता है. काशी विश्वनाथ मंदिर में विशेष पूजा अर्चना होती है.

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रंगभरी एकादशी 2025 मुहूर्त और शुभ योग
रंगभरी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त 04:35 ए एम से 05:24 ए एम तक है. उस दिन अभिजीत मुहूर्त दिन में 11:45 ए एम से दोपहर 12:32 पी एम तक है.

रंगभरी एकादशी सर्वार्थ सिद्धि योग और शोभन योग बन रहे हैं. शोभन योग दोपहर में 01:57 पी एम तक है. वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह में 06:12 ए एम से देर रात 12:51 ए एम तक है. उस दिन पुष्य नक्षत्र है. पुष्य नक्षत्र देर रात 12:51 ए एम तक है.

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रंगभरी एकादशी का महत्व
मान्यताओं के अनुसार, रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव माता पार्वती का गौना कराकर काशी पहुंचे थे. तब शिव गणों ने उनका स्वागत गुलाल से​ किया था. इस दिन से काशी में होली का शुभारंभ होता है, जो पूरे एक सप्ताह तक चलता है. भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की होली को देखने के लिए बड़ी संख्या में शिव भक्त दूर-दूर से आते हैं. वे भी रंग और गुलाल से सराबोर होकर होली खेलते हैं.

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