मध्यप्रदेश में ‘सरकार’ ने हाल ही में आदिवासी क्षेत्रों के लिए 66 मोबाइल मेडिकल यूनिट को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। इस कार्यक्रम की तैयारियों और व्यवस्थाओं को लेकर जारी आदेश चर्चा में है।
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आदेश में कार्यक्रम की व्यवस्थाओं के लिए लगाई गई ड्यूटी में एक गैर सरकारी संस्था के सलाहकार टॉप थ्री में नजर आए। गैर सरकारी संस्था से होने के बावजूद उन्हें प्रोग्राम मैनेजमेंट की कमान दी गई है।
अब विभाग के अफसरों के बीच इस बात की चर्चा है कि बाहरी को पावरफुल क्यों बनाया गया?
बांस के बहाने जंगल की जमीन पाने की प्लानिंग राजधानी के एक सरकारी होटल में एक बिल्डर ने वन महकमे के अफसरों के साथ मीटिंग की। जिसमें बिल्डर ने अफसरों को शहरों से लगी विभाग की जमीन पर बैंबू लगाने के लिए लीज पर देने का प्रपोजल दिया है।
बिल्डर सरकार से शहर से लगी अन नोटिफाइड जमीन करीब 30 साल की लीज पर लेने की फिराक में है। कुछ अफसर इस प्रपोजल पर राजी भी हैं। अब देखना है कि बिल्डर के प्रपोजल को हरी झंडी मिलती है या नहीं?
नेताजी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के पहले बिजली गुल विरोधी दल के प्रदेश कार्यालय में हाल ही में पड़ोसी राज्य के उनके ही दल के एक नेता की प्रेस कॉन्फ्रेंस थी। पहले तो पार्टी ने ही उनके प्रोग्राम में बदलाव कर आधा घंटे लेट शुरू किया। जब नेता जी की प्रेस कॉन्फ्रेंस का टाइम आया तो बिजली गुल हो गई।
लाइट नहीं होने के कारण उन्हें काफी देर तक दूसरे कमरे में बैठना पड़ा। हालांकि, बिजली गुल होने का फायदा उन कार्यकर्ताओं को हुआ जो पड़ोसी राज्य के इन नेता से मिलना और फोटो खिंचवाना चाहते थे। कार्यकर्ता मिले, फोटो सेशन हुआ और सेल्फी भी चली।
फिर जब बिजली आई तो प्रेस कॉन्फ्रेंस में नेता जी सरकार पर जमकर बरसे।
पद जाने के बाद अब भजन गाएंगे अध्यक्ष जी वैसे तो सत्ताधारी दल में एक से एक भजन गायक हैं। अब एक और नेता तैयार हो रहे हैं। पार्टी के एक युवा जिला अध्यक्ष भी बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। हालांकि उनकी नॉन पॉलिटिकल परफॉर्मेंस अब तक दिखी नहीं है। लेकिन, अध्यक्ष पद से मुक्त होने के बाद मकर संक्रांति के मौके पर वे भजन गाएंगे।
इस आयोजन के पोस्टर सोशल मीडिया पर सर्कुलेट हो रहे हैं। पार्टी के ही कुछ लोग कह रहे हैं कि उनकी अब बतौर भजन गायक लॉन्चिंग होने जा रही है।
व्यवसायी के आते ही साहब का दरवाजा बंद बाबा की नगरी के एक बिल्डर का मंत्रालय में जलजला कुछ ऐसा है कि वे मंत्रालय की दूसरी मंजिल पर एक बडे़ साहब के चेंबर में जैसे ही प्रवेश करते हैं, उसके बाद साहब के कक्ष में किसी ओर की एंट्री बंद हो जाती है।
जंगल वाले विभाग से जुडे़ इन साहब के चेंबर में जब तक बिल्डर मौजूद होते हैं तब तक कोई मातहत फाइल लेकर भी अंदर नहीं जा सकता। वैसे ये बदलाव उपचुनाव की हार के बाद आया है। अब देखना ये है कि बंद कमरे की गुफ्तगू के बाद बिल्डर कितने सक्सेस होते हैं।
PHQ के निर्देश पड़े भारी, सीनियर से बने जूनियर राज्य पुलिस सेवा के दो अधिकारियों पर पीएचक्यू का एक निर्देश भारी पड़ा है। दरअसल, आठ साल पहले पीएचक्यू ने जनरल कैटेगरी वाले अफसरों को सीनियारिटी में ऊपर करने को कहा था और आरक्षित कैटेगरी के अफसर का नाम नीचे करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद वर्तमान में छिंदवाड़ा जिले में पदस्थ इन अफसरों में से सीनियर अफसर को जूनियर कर दिया गया।
इसका असर यह हुआ कि जूनियर से सीनियर बने अफसर पहले आईपीएस बन गए और जो सीनियर थे उन्हें अब जाकर आईपीएस अवॉर्ड मिला है। ऐसे में अब एक बार फिर जूनियर और सीनियर का मामला पीएचक्यू के गलियारे में चर्चा में है।
मामला उलझा तो ‘सरकार’ ने घर में बुलाई बैठक राजधानी की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के जहरीले कचरे के कारण सत्ता से लेकर संगठन को बचाव की मुद्रा में आना पड़ा। ‘सरकार’ की ओर से एक दिग्गज नेता को मामला सुलझाने की जिम्मेदारी दी गई। उन्हें लोकल लीडर्स के साथ बात कर मामले को शांत करना था। लेकिन, नेता जी ने लोकल लीडर्स को अपने शहर में ही बुलवा लिया।
शांति के लिए बुलाई गई इस बैठक में लोकल लीडर्स भड़क उठे। मामला सुलझने की बजाय और ज्यादा उलझ गया। इसके बाद ‘सरकार’ ने लोकल लीडर्स और स्थानीय जिम्मेदारों की अपने घर में बैठक बुलाई।
इस बैठक में ‘सरकार’ ने कहा कि आप लोगों को इस मामले को सुलझाने की पहल करनी चाहिए थी। जो समझदार हैं, उन्होंने भी समझदारी नहीं दिखाई। ‘सरकार’ की इस बात के मायने निकाले जा रहे हैं।
इंटेलिजेंस का चेंबर फिर होने लगा रेनोवेट सरकार को प्रदेशभर की खुफिया जानकारी देने वाले अफसर का अपना रुतबा होता है। इस रुतबे का असर दफ्तर में भी दिखता है। ऐसे ही सीनियर आईपीएस अफसर का चेंबर रेनोवेट होने लगा है।
ये वही चेंबर है, जिसमें दो साल पहले दीमक लगने की शिकायत आने के बाद पूरे चेंबर का रेनोवेशन कराया गया था। अब इस बार किस वजह से रेनोवेशन शुरू हुआ है, इसकी जानकारी जुटाने में लोग लग गए हैं।
और अंत में…
लिस्ट बढ़ा रही आईएएस अफसरों की बेचैनी आईएएस अफसरों की तबादला सूची से प्रभावित होने वाले अफसरों की बेचैनी इस समय बढ़ी हुई है। दरअसल, बेचैन अफसरों में पहले वे शामिल हैं, जिनकी कलेक्टरी छीनी जा सकती है और वे मंत्रालय या दूसरे विभागों में जा सकते हैं।
दूसरे बेचैन आईएएस में वे हैं, जिनको कलेक्टरी मिलनी है लेकिन सूची जारी नहीं हो रही है। छह जनवरी के बाद सरकार की मंजूरी के बाद जारी होने वाली सूची फिलहाल किस वजह से अटकी है, इसके कारण तलाशने में कलेक्टरी पाने की कतार में लगे अफसर जुटे हैं।
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क्रिकेट का मैदान हो या राजनीति की बिसात। इसमें टाइमिंग बड़ी अहम होती है। क्रिकेट में इसी टाइमिंग से चौके-छक्के लग जाते हैं तो राजनीति में नेताओं के दिन फिर जाते हैं। टाइमिंग का ये खेल बुंदेलखंड के एक बड़े जिले में देखने को मिला है। पढ़ें पूरी खबर…