राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 3 अक्टूबर को उदयपुर दौरे के दौरान सिटी पैलेस गई थीं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के 3 अक्टूबर के उदयपुर दौरे के दौरान सिटी पैलेस जाने पर विवाद शुरू हो गया है। सिटी पैलेस में जाने पर बीजेपी राजसमंद सांसद महिमा कुमारी और उनके पति व नाथद्वारा एमएलए विश्वराज सिंह ने सवाल उठाते हुए इसे उनकी गरिमा के खिलाफ बत
.
इतना ही नहीं दोनों का कहना है कि इसकी जानकारी संबंधित अधिकारी और कलेक्टर को देने के बाद भी ये दौरा हुआ। उदयपुर कलेक्टर अरविंद पोसवाल ने राष्ट्रपति को सही रिपोर्ट नहीं दी। सांसद महिमा कुमारी ने कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, जबकि नाथद्वारा विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ ने इस मामले में ये तक कह दिया कि हम लोगों की जनसुवाई करते हैं, मेरी सुनवाई कब होगी? दरअसल, विश्वराज सिंह और महिमा कुमारी उदयपुर पूर्व राजपरिवार के सदस्य हैं और इस परिवार में संपत्ति को लेकर कोर्ट केस चल रहा है।
राष्ट्रपति 3 अक्टूबर गुरुवार को मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में शामिल होने पहुंची थीं। इसके बाद वे सिटी पैलेस पहुंचीं। सांसद और विधायक का कहना है कि विवादित प्रॉपर्टी पर राष्ट्रपति का जाना उनकी गरिमा के खिलाफ है। इस बारे में हमारी ओर से अधिकारियों को जानकारी भी दी गई, लेकिन इसे नजर अंदाज किया गया।
राष्ट्रपति सिटी पैलेस में करीब 1 घंटे तक रुकी थीं। इस दौरान उनके साथ राजस्थान के गवर्नर हरिभाऊ बागड़े और डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा भी मौजूद थे। तीनों के साथ इस फोटो में उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य लक्ष्यराज सिंह मेवाड़(काले कोट में) और उनकी पत्नी भी हैं।
अधिकारियों को पता था ये विवादित प्रॉपर्टी, मामला कोर्ट में महिमा कुमारी ने कहा- हमें जब पता लगा कि प्रेसिडेंट पर्सनल विजिट के लिए पैलेस जा रही हैं तो हमने उनके अफसरों से बात करने का प्रयास किया। सभी को पता है कि ये विवादित जगह है, कोर्ट के स्टे ऑर्डर हैं। कई हिस्सों पर पहले से ही कोर्ट के कंटेप्ट का मामला भी चल रहा है।
मैंने राष्ट्रपति के सेक्रेटरी, ओएसडी और प्रोग्राम इंचार्ज समेत सभी अधिकारियों को इसके बारे में बताया था कि यह विवादित प्रॉपर्टी है। मेरा कहना ये है- पर्सनल विजिट ठीक है, लेकिन राष्ट्रपति की एक अलग गरिमा होती है। हमारे लिए भी एक कायदा होता है। हम उस कायदे से हर जगह जाते हैं। वहां जाना उनकी गरिमा के लिए सही नहीं हैं।
मुझे सीएमओ में कहना पड़ा तब कलेक्टर से बात हो पाई
उदयपुर कलेक्टर ने सही रिपोर्ट नहीं दी महिमा कुमारी ने कहा-कलेक्टर ने पूरी जानकारी नहीं दी। ऐसे लोग प्रशासन में बैठेंगे तो आम जनता और हमारा काम कैसे होगा? हम भी जनप्रतिनिधि हैं। उन्होंने सही रिपोर्ट आगे भी नहीं दी।
एडमिनिस्ट्रेशन की रिपोर्ट के आधार पर हमारी प्रेसिडेंट जा रही हैं। उदयपुर कलेक्टर के खिलाफ भी जांच होनी चाहिए।
सिटी पैलेस पहुंचने पर लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ की ओर से राष्ट्रपति का स्वागत किया गया था। लक्ष्यराज सिंह अरविंद सिंह मेवाड़ के बेटे हैं। लक्ष्यराज सिंह और राजसमंद विधायक विश्वराज सिंह चचेरे भाई हैं।
विवादित प्रॉपर्टी में जाना राष्ट्रपति की गरिमा के खिलाफ विश्वराज सिंह मेवाड़ ने कहा- हमें जब पता लगा कि राष्ट्रपति सिटी पैलेस जाएंगी तो हमने उन्हें एक जॉइंट लेटर लिखा था। उसमें बताया गया कि यह परिवार की संपत्ति है, उसमें कोर्ट में केस चल रहा है। कोर्ट का स्टे ऑर्डर है। पहले इसके कुछ भाग पर सुप्रीम कोर्ट का कंटेंप्ट एप्लिकेशन भी चल रहा है। जिला अदालत उदयपुर ने संपत्ति को हिंदू अविभाजित परिवार(HUF) माना है।
टैक्स डिपार्टमेंट भी HUF मानता है और यह सब पुश्तैनी संपत्ति है। पारिवारिक संपत्ति है। ऐसे दर्जनों पत्र नीचे से ऊपर सबको भेज रखे हैं।
विश्वराज बोले- मेरी सुनवाई कब होगी?
मैंने जो आपत्ति दर्ज की है, पहले भी करता था और आगे भी ऑब्जेक्शन करता रहूंगा। यह परिवार की संपत्ति है, हमारी हेरिटेज है, उसे संभालना मेरी पहली जिम्मेदारी है। जनप्रतिनिधि के तौर पर मैं जनसुनवाई में जाता हूं तो लोगों की दिक्कत दूर करने का प्रयास करता हूं, मेरा प्रश्न है कि मेरी जनसुनवाई कब होगी?
पढ़िए, उदयपुर के पूर्व राजपरिवार में संपत्ति से जुड़े झगड़े की पूरी कहानी…
1983 से चल रहा है उदयपुर पूर्व राजपरिवार में प्रॉपर्टी विवाद दरअसल, उदयपुर के आखिरी महाराणा भगवत सिंह ने 1963 से 1983 तक राजघराने की कई प्रॉपर्टी को लीज पर दे दिया, तो कुछ प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी बेच दी। इनमें लेक पैलेस, जग निवास, जग मंदिर, फतह प्रकाश, शिव निवास, गार्डन होटल, सिटी पैलेस म्यूजियम जैसी बेशकीमती प्रॉपर्टीज शामिल थीं। ये सभी प्रॉपर्टी राजघराने द्वारा स्थापित एक कंपनी को ट्रांसफर हो गई थी। यहीं से विवाद शुरू हुआ।
इस फैसले से नाराज होकर महेंद्र सिंह मेवाड़ ने 1983 में भगवत सिंह के ऊपर कोर्ट में सूट (केस) फाइल कर दिया। महेंद्र सिंह ने कोर्ट में कहा कि रूल ऑफ प्रोइमोजेनेचर प्रथा को छोड़कर पैतृक संपत्तियों को सब में बराबर बांटा जाए। दरअसल, रूल ऑफ प्राइमोजेनेचर आजादी के बाद लागू हुआ था, इसका मतलब था कि जो परिवार का बड़ा बेटा होगा, वो राजा बनेगा। स्टेट की सारी संपत्ति उसी के पास होगी।
अपने बेटे द्वारा केस फाइल करने से भगवत सिंह नाराज हो गए। भगवत सिंह ने बेटे के केस पर कोर्ट में जवाब दिया कि इन सभी प्रॉपर्टी का हिस्सा नहीं हो सकता। ये इमपार्टेबल एस्टेट यानी अविभाजीय है।
भगवत सिंह ने 15 मई 1984 को अपनी वसीयत में संपत्तियों का एग्जीक्यूटर छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को बना दिया। 3 नवम्बर 1984 को भगवत सिंह का निधन हो गया। इस दौरान महाराणा भगवत सिंह ने महेंद्र मेवाड़ को प्रॉपर्टी और ट्रस्ट से बाहर कर दिया था।
इन तीन प्रॉपर्टी को लेकर विवाद उदयपुर ये पूरा झगड़ा उदयपुर सिटी पैलेस से ही जुड़ी तीन अलग-अलग प्राॅपर्टी पर है। इनमें राजघराने का शाही पैलेस शंभू निवास, बड़ी पाल और घास घर शामिल है।
अरविंद सिंह शंभू निवास, महेंद्र मेवाड़ समोर बाग में रहने लगे प्रॉपर्टी से बाहर करने के बाद महेंद्र सिंह मेवाड़ और उनके छोटे भाई अरविंद सिंह मेवाड़ के बीच विवाद खुलकर सामने आ गया। दोनों अलग-अलग हो गए। मेवाड़ के अलग-अलग धड़े ने अपने-अपने अनुसार दोनों काे समर्थन दिया। इसके बाद अरविंद सिंह मेवाड़ शंभू निवास और महेंद्र सिंह मेवाड़ समोर बाग में रहने लगे। अभी भी दोनों का परिवार यहीं रहता है। राजसमंद विधायक विश्वराज सिंह और महिमा कुमारी महेंद्र सिंह मेवाड़ के बेटे-बहू हैं।
महेंद्र सिंह मेवाड़ अपने परिवार के साथ उदयपुर के समोर बाग स्थित इसी पैलेस में रहते हैं।
37 साल बाद कोर्ट ने 4-4 साल के लिए दे दी प्रॉपर्टी 37 साल सुनवाई चलने के बाद उदयपुर की जिला अदालत ने 2020 में एक चौंकाने वाला फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि जो संपत्तियां भगवत सिंह ने अपने जीवनकाल में बेच दी थीं, उन्हें दावे में शामिल नहीं किया जाएगा। इस फैसले के बाद सिर्फ तीन संपत्ति शंभू निवास पैलेस, बड़ी पाल और घास घर ही बची, जिसे बराबर हिस्सों में बांटा जाना था।
कोर्ट ने सम्पत्ति का एक चौथाई भगवत सिंह, एक चौथाई महेंद्र सिंह मेवाड़, एक चौथाई बहन योगेश्वरी को और एक चौथाई अरविंद सिंह मेवाड़ को दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने यह कहा कि शंभू निवास पर 1 अप्रैल 2021 से 4-4 साल के लिए महेंद्र मेवाड़, योगेश्वरी और अरविंद सिंह रहेंगे।
अरविंद सिंह मेवाड़ शंभू निवास में 35 साल रह लिए थे। ऐसे में 1 अप्रैल 2021 से चार साल महेंद्र मेवाड़ और चार साल योगेश्वरी देवी को रहने के लिए कहा गया। इस दौरान संपत्तियों के व्यावसायिक उपयोग पर भी कोर्ट ने रोक लगाई। इसके बाद घास घर और बड़ी पाल पर कॉमर्शियल कार्यक्रम नहीं किए गए।
हाईकोर्ट पहुंचे अरविंद सिंह उदयपुर कोर्ट के फैसले के खिलाफ 30 अगस्त 2020 को अरविंद सिंह मेवाड़ हाईकोर्ट पहुंच गए। उन्होंने 3 अलग-अलग अपील दायर की। पहली अपील अरविंद सिंह ने खुद पार्टी बनते हुए दायर की, दूसरी अपील वसीयत के एग्जीक्यूटर की हैसियत से और तीसरी अपील दादी वीरद कुंवर के कानूनी वारिस के रूप में दायर की गई। इस अपील के बाद सभी पार्टियों ने सहमति दी की इस मामले में अभी कोई कार्यवाही नहीं करेंगे।
2022 में हाईकोर्ट ने रोक लगाई 28 जून 2022 को हाईकोर्ट ने उदयपुर कोर्ट के फैसले और उसे लागू करने पर रोक लगा दी। यह रोक अपीलों के अंतिम निर्णय तक के लिए लगाई गई। इस फैसले के बाद अब शंभू निवास, घास घर और बड़ी पाल तीनों अरविंद सिंह मेवाड़ के पास ही रहेंगे।
महेंद्र मेवाड़ के वकील राजेश जोशी ने कुछ समय पहले भास्कर को बताया था कि हाईकोर्ट ने रोक लगाई है, मगर प्रॉपर्टी अलाइनमेंट पर जो रोक लगी थी वो जारी रहेगी। इसके तहत प्रॉपर्टीज को बेच नहीं सकते, थर्ड पार्टी मोर्टगेज नहीं कर सकते, किसी को हैंडओवर, डिस्ट्रॉय या लीज पर नहीं दी जाएगी। साथ ही प्रॉपर्टी के उपयोग से जुड़े अकाउंट्स भी कोर्ट में पेश करने होंगे।