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नई दिल्ली5 मिनट पहले
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राहुल और प्रियंका नीले रंग के कपड़े पहनकर गुरुवार को संसद पहुंचे। उन्होंने शाह की बाबा साहेब पर टिप्पणी को लेकर प्रदर्शन किया।
संसद में गुरुवार को अंबेडकर पर टिप्पणी को लेकर जमकर हंगामा हुआ। बीजेपी और कांग्रेस ने एक-दूसरे पर गुंडागर्दी और मुद्दों से भटकाने के आरोप लगाए। इस बीच राहुल गांधी की नीली टी-शर्ट चर्चा का विषय बन गई।
राहुल हमेशा सफेद टी-शर्ट में नजर आते हैं, लेकिन गुरुवार को वे नीली शर्ट पहनकर संसद पहुंचे। प्रियंका गांधी भी नीली साड़ी में नजर आईं। दोनों ने नीला रंग पहनकर डॉ. अंबेडकर और दलित समुदाय के साथ अपना जुड़ाव दिखाने की कोशिश की।
दरअसल, कांग्रेस और विपक्षी सांसदों का आरोप है कि गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में बाबा साहेब का अपमान किया है। इसको लेकर उन्होंने गुरुवार को संसद के बाहर प्रोटेस्ट किया और गृह मंत्री से इस्तीफा देने की मांग की।
राहुल ने कहा कि गृहमंत्री शाह ने बाबा साहेब का अपमान किया है और उन्हें मांगनी चाहिए।
राहुल ने नीली टी-शर्ट पहनकर संदेश दिया
अपने 54वें जन्मदिन पर राहुल गांधी ने ‘सफेद टी-शर्ट’ कैंपेन शुरू किया था और बताया था कि सफेद रंग उनके लिएपारदर्शिता, सादगी और मजबूती का प्रतीक है। लेकिन गुरुवार को उन्होंने नीली टी-शर्ट पहनने का फैसला किया, जो डॉ. भीमराव अंबेडकर और दलित पहचान से जुड़ी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल ने नीला रंग पहनकर संदेश दिया है कि वो दलितों के साथ हैं और उनका अपमान नहीं सहेंगे।
प्रोटेस्ट के दौरान राहुल ने कई बारे दोहराया कि बाबा साहेब पर गृह मंत्री की अपमानजनक टिप्पणी को देश न भूलेगा और न ही बर्दाश्त करेगा। अमित शाह को माफी मांगनी ही होगी।
प्रोटेस्ट की 4 तस्वीरें…
प्रियंका गांधी के साथ कई कांग्रेस की महिला सांसद नीली साड़ी पहनकर संसद पहुंची।
राहुल और प्रियंका ने कांग्रेस सांसदों के साथ मिलकर संसद के बाहर प्रदर्शन किया।
राहुल ने प्रदर्शन के दौरान संविधान की कॉपी फिर से लहराई।
प्रदर्शन में कांग्रेस के अलावा कई विपक्षी दल भी शामिल हुए।
नीला रंग दलित राजनीति का प्रतीक
नीले रंग ने 1942 में राजनीतिक महत्व तब हासिल किया, जब डॉ. अंबेडकर ने शेड्यूल्ड कास्ट्स फेडरेशन की स्थापना की और नीले झंडे को अपनाया। इस झंडे पर अशोक चक्र बना हुआ था। बाद में 1956 में अंबेडकर की बनाई रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया ने भी इसी झंडे को अपना प्रतीक बनाया।
समय के साथ नीला रंग दलित पहचान और आंदोलन का प्रतीक बन गया। बहुजन समाज पार्टी (BSP) और अन्य दलित कल्याण से जुड़े दलों ने इसे अपने राजनीतिक प्रचार में अपनाया। अंबेडकर महासभा के लालजी निर्मल ने 2018 में बताया था, नीला बाबा साहेब का पसंदीदा रंग था, जो उनकी विशाल दृष्टि को दर्शाता है।
दलित कार्यकर्ता एसआर दरापुरी ने भी बताया कि बाबा साहेब के हर प्रतिमा में नीला कोट, एक हाथ में संविधान और दूसरे हाथ की उंगली आगे बढ़ने का संकेत देती है।
शाह की अंबेडकर पर टिप्पणी को ग्राफिक्स के जरिए समझिए…
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