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मुंबई10 मिनट पहलेलेखक: आशीष राय
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26 नवंबर को शिंदे ने राज्यपाल को इस्तीफा सौंपा। इस दौरान डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार भी मौजूद थे।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आने के 4 दिन बाद भी मुख्यमंत्री का नाम तय नहीं हो सका। इसके लिए भाजपा आज यहां पर्यवेक्षक भेजेगी, जो विधायकों से रायशुमारी करके सीएम के नाम का ऐलान करेंगे।
मंगलवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अपना इस्तीफा सौंपा। शिंदे 28 जून 2022 से 26 नवंबर 2024 तक CM रहे हैं।
विधानसभा का कार्यकाल भी मंगलवार को ही खत्म हो गया। नए सीएम की शपथ होने तक शिंदे ही कार्यवाहक CM रहेंगे।
हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नए मुख्यमंत्री के लिए देवेंद्र फडणवीस का नाम लगभग फाइनल हो चुका है।
फडणवीस के CM बनने पर नई सरकार में पहले की ही तरह दो डिप्टी CM होंगे। NCP की ओर से अजित पवार और शिवसेना की ओर से शिंदे किसी नए विधायक का नाम आगे कर सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, नई सरकार का एजेंडा तय करने के लिए तीनों दलों की एक कमेटी बनाई जा सकती है, जिसके मुखिया एकनाथ शिंदे हो सकते हैं। हालांकि शिवसेना प्रवक्ता कृष्ण हेगड़े ने इससे इनकार किया।
नेता विपक्ष को लेकर MVA संयुक्त दावा पेश कर सकती है
विधानसभा चुनाव में किसी भी विपक्षी पार्टी को सदन में नेता प्रतिपक्ष (LoP) के लिए जरूरी सीटें नहीं मिली हैं। नियमानुसार विधानसभा सीटों की कम से कम 10% सीटें जीतने वाली विपक्षी पार्टी को यह पद दिया जाता है।
अगर कई पार्टियों ने इससे ज्यादा सीटें हासिल की हों, तो सबसे ज्यादा सीट वाली विपक्षी पार्टी को यह पद दिया जाता है। इस बार ऐसा नहीं है इसलिए MVA के संयुक्त LoP पद का दावा कर सकती है। इस संबंध में राज्यपाल को पत्र लिखकर प्री-पोल अलायंस का तर्क दिया जाएगा।
राज ठाकरे की पार्टी की मान्यता खत्म हो सकती है
राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) इस चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई है। पार्टी का वोट शेयर भी सिर्फ 1.55 % रहा है। इन नतीजों के कारण राज ठाकरे की पार्टी की मान्यता रद्द हो सकती है। चुनाव आयोग उनका सिंबल छीन सकता है।
चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक, अगर पार्टी के पास एक विधायक और 8% वोट हैं, तो मान्यता बनी रहती है। अगर दो विधायक और 6% वोट मिलते हैं, या फिर तीन विधायक और 3% वोट मिलते हैं, तो भी मान्यता बनी रहती है।
अजित बोले- युगेंद्र को चुनाव लड़ाने का मतलब नहीं था, लोकसभा में मैंने गलती की
रिजल्ट आने के बाद अजित पवार ने भतीजे युगेंद्र पवार के अपने खिलाफ चुनाव लड़ने पर सोमवार को पहली प्रतिक्रिया दी। मीडिया से बातचीत में अजित ने कहा- युगेंद्र बिजनेसमैन हैं, उनका राजनीति से कोई संबंध नहीं है। मेरे अपने भतीजे को मेरे खिलाफ चुनाव में उतारने का कोई कारण नहीं था।
इसके अलावा लोकसभा चुनाव में बहन के खिलाफ पत्नी को उतारने पर दोहराया कि मैंने गलती की, लेकिन अगर आपको संदेश देना है तो क्या आप अपने ही परिवार के किसी व्यक्ति को मेरे खिलाफ खड़ा करेंगे?
शरद पवार खेमे ने अजित पवार के बड़े भाई श्रीनिवास पवार के बेटे युगेंद्र को बारामती सीट से टिकट दिया था। अजित ने युगेंद्र को करीब 1 लाख से ज्यादा वोटों से हराया है।