नई दिल्ली15 मिनट पहले
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डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) रूस में स्वदेशी रूप से विकसित कावेरी जेट इंजन का टेस्टिंग कर रहा है। इसका इस्तेमाल भारत में बने लंबी दूरी के अनमैंड एयर व्हीकल (UAV) यानी ड्रोन में किया जाएगा। रक्षा अधिकारियों ने बताया कि कावेरी इंजन पर करीब 25 घंटे का परीक्षण होना बाकी है। स्लॉट मिलने पर टेस्टिंग की जाएगी।
यह 80 किलोन्यूटन (kN) थ्रस्ट (पावर) वाला एक लो बाईपास, ट्विन स्पूल टर्बोफैन इंजन है। हाई स्पीड और हाई टेम्परेचर के दौरान इंजन का पावर लॉस कम करने के लिए इसे फ्लैट-रेटेड डिजाइन किया गया है।
इस तकनीक में इंजन को उसकी थ्रस्ट लिमिट मैक्सिमम पॉइंट कम पर फिक्स कर दी जाती है। इसके अलावा बेहतर मैनुअल कंट्रोल के लिए ट्विन-लेन फुल अथॉरिटी डिजिटल इंजन कंट्रोल (FADEC) सिस्टम लगाया गया है।
शुरुआत में कावेरी इंजन को तेजस जैसे स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) में लगाने का प्लान था, लेकिन प्रोग्राम में देरी के चलते तेजस में अमेरिकी इंजन GE-404 लगाया गया। तेजस Mark 1 और ट्विन सीटर ट्रेनर वर्जन के 32 विमानों में GE-404 का इस्तेमाल किया गया है। इसके Mark 1A वर्जन में भी GE-404 लगाया जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि कावेरी इंजन की कैपेसिटी दिखाने के लिए इसे एक LCA विमान लगाने का प्लान है। DRDO 5वीं पीढ़ी के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के Mark-2 वर्जन समेत भविष्य के विमानों के लिए ज्यादा पावरफुल इंजन बनाने के लिए विदेशी फर्म के साथ काम कर रहा है।
भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान प्रोग्राम में LCA Mark 1A, LCA Mark 2 और AMCA विकसित करना शामिल है।