सरकारी और ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के रोक के बावजूद कॉलेजों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति समेत छात्राओं से धड़ल्ले से नामांकन शुल्क की वसूली हो रही है।
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कॉलेजों में स्नातक तृतीय खंड सत्र 2022-25 के नामांकन में कॉलेजों की ओर से छात्रों के उन वर्गों से भी वसूली की जा रही है, जिनसे पहले वसूली गई राशि की वापसी का आदेश विश्वविद्यालय प्रशासन ने कॉलेजों को दे रखा है। जबकि सरकार ने 2014 में ही नामांकन के समय किसी भी प्रकार के नामांकन शुल्क नहीं लेने का स्पष्ट आदेश दे दिया था।
इससे पहले चार कॉलेज में रोक लगाई गई है
सरकार के आदेश के आलोक में विश्वविद्यालय ने भी अपने अधीन अंगीभूत एवं संबद्ध कालेजों के प्रधानाचार्यों को मनाही कर दी थी कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के अलावा सभी वर्गों की छात्राओं से नामांकन शुल्क के नाम पर कोई भी राशि नहीं लेनी है। यदि राशि ली गई तो उसे वापस करना होगा, लेकिन सरकार और विश्वविद्यालय के सारे आदेश को ताख पर रख कॉलेजों में नामांकन के नाम पर हर वर्ग के की छात्राओं से शुल्क वसूला जा रहा है। शुल्क का ब्योरा सूचना पट पर प्रकाशित है।
इससे पहले भी 4 कॉलेजों ने ऐसा किया था, लेकिन बाद में विवि के आदेश के बाद रोक लगा दी गई थी।
अब फिर बहेड़ा कॉलेज में स्नातक तृतीय खंड की छात्राओं से नामांकन के नाम पर 2,900 रुपए तक लिए जा रहे हैं। शहर के प्रसिद्ध सीएम कॉलेज में 650 रुपए, मारवाड़ी और आरबीएस कॉलेज अंदौर में भी अवैध वसूली की जा रही है।
शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी
छात्र नेता किसन कुमार झा ने कहा कि जब सरकार और विश्वविद्यालय ने किसी भी प्रकार के शुल्क नहीं लेने का आदेश जारी कर रखा है, तो कॉलेज में कैसे पिछले दरवाजे से शुल्क निर्धारित किया जा रहा है। छात्र
डीएसडब्ल्यू प्रोफेसर विजय कुमार यादव ने बताया कि कॉलेजों की ओर से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व महिलाओं से किसी भी प्रकार का नामांकन शुल्क नहीं लिया जाना है। इसकी शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।