कांग्रेस मेयर उम्मीदवार सूरजमल किलोई।
हरियाणा के रोहतक जिले में नगर निगम चुनाव में कांग्रेस चारों खाने चित हो गई। चुनाव से पहले जो दावे किए जा रहे थे, वो सब खोखले नजर आए। भाजपा ने एक बार फिर रोहतक की सरकार पर कब्जा किया और मेयर के साथ 14 पार्षद भी जीत हासिल करने में कामयाब रहे।
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नगर निगम के 22 वार्डों की बात करें तो कांग्रेस के पास मात्र 2 सीट बची है, जो पहली बार कांग्रेस की झोली में आई है। जबकि जिन वार्डों में कांग्रेस को जीत की उम्मीद थी, वहां भी कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा। समीकरण कैसे बदले, कहां खामियां रही, इसको लेकर अब प्रत्याशी मंथन कर रहे हैं।
कांग्रेस उम्मीदवार विजय कुमार गोयल।
वार्ड 19 में पहली बार दिखा पंजा वार्ड 19 की बात करें तो अभी तक यहां भाजपा का कमल ही खिल रहा था। भाजपा के वरिष्ठ नेता जयकिशन राजोतिया लगातार 5 बार एमसी रहे। इसके बाद भाजपा की दीपिका नारा पार्षद बनी। लेकिन इस बार कांग्रेस उम्मीदवार विजय गोयल ने बाजी मार ली और जीत हासिल की।

भाजपा उम्मीदवार कंचन खुराना।
वार्ड 14 में फिर खिला कमल पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा व कलानौर विधायक शकुंतला खटक का घर जिस वार्ड में आता है, वहां एक बार फिर भाजपा ने कमल खिलाने का काम किया। लगातार तीसरी बार भाजपा की कंचन खुराना ने जीत हासिल की, जबकि उससे पहले कंचन खुराना के पति अशोक खुराना इसी वार्ड से एमसी रहे हैं।
वार्ड 14 में कंचन का सामना पूर्व मंत्री सुभाष बतरा की बेटी से था। पूर्व मंत्री भी अपनी बेटी को जिताने में सफल नहीं हुए। जबकि पूर्व मंत्री की बेटी के लिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी एक दिन वार्ड में चुनाव प्रचार किया था। बावजूद इसके कंचन खुराना सीट निकालने में कामयाब हुई।

भाजपा उम्मीदवार डिंपल जैन।
वार्ड 17 में कांग्रेस का हारा दिग्गज वार्ड 17 की बात करें तो यहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व लगातार पार्षद बनते आ रहे गुलशन ईशपुनियानी का मुकाबला भाजपा की पार्षद डिंपल जैन के साथ था। पहले दोनों अलग-अलग वार्डों से पार्षद थे, लेकिन इस बार दोनों के वार्ड मिलाकर एक बनाया तो डिंपल जैन ने गुलशन ईशपुनियानी को हराकर जीत हासिल कर ली।
मेयर उम्मीदवार के हाथ लगी निराशा कांग्रेस मेयर उम्मीदवार सूरजमल किलोई की बात करें तो उनके हाथ निराशा लगी। 13 राउंड की काउंटिंग के दौरान एक बार भी सूरजमल किलोई व रामअवतार वाल्मीकि में टक्कर नजर नहीं आई। हर राउंड में रामअवतार की लीड बढ़ती गई। आखिर तक रामअवतार वाल्मीकि की लीड 45 हजार को पार कर गई, जिससे सूरजमल के चेहरा लटका हुआ नजर आया।