सीता हरण के कारण लंका का भीषण युद्ध हुआ, जिसमें प्रभु राम और वानर सेना ने रावण के पूरे कुल का अंत कर दिया. रावण की सेना में एक से बढ़कर एक योद्धा थे, जिनमें उसका पुत्र मेघनाद काफी बलशाली और मायावी था. मेघनाद ने देवताओं के राजा इंद्र पर जीत हासिल की थी, इसकी वजह से उसे इंद्रजीत भी कहा जाता था. हालांकि अधर्म के रास्ते पर चलने के कारण उसका वध लक्ष्मण के हाथों हुआ. जब लंका में मेघनाद के वध की खबर आई तो पूरा नगर शोक में डूब गया. रावण मूर्छित हो गया, मां मंदोदरी बेसुध हो गई, वहीं मेघनाद की पत्नी सुलोचना पति की खबर पाकर बेजान सी हो गई. मेघनाद की मृत्यु के बाद सुलोचना का क्या हुआ?
कौन थी सुलोचना?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सुलोचना नागराज वासुकी की पुत्री थी. सुलोचना का अर्थ है सुंदर आंखों वाली महिला. वह अपने नाम के समान ही अतिसुंदर और गुणी थी. उसका विवाह मेघनाद से हुआ था. कुछ कहानियों में बताया जाता है कि सुलोचना का विवाह देवताओं के राजा इंद्र के बेटे जयंत से होना तया था. लेकिन विवाह से पूर्व रावण पुत्र मेघनाद ने इंद्र को युद्ध में हरा दिया, जिसके बाद सुलोचना का इंद्रजीत के प्रति प्रेम हो गया और परिणाम स्वरुप सुलोचना का विवाह मेघनाद से हुआ. कुछ जगहों पर सुलोचना को प्रमीला नाम से भी लिखा जाता है.
कैसे हुआ मेघनाद का सुलोचना से विवाह?
मेघनाद ने तप करके एक सती को पत्नी के रुप में पाने की सिद्धि पाई थी. रावण को नाग लोक जाने की सिद्धि प्राप्त थी. रावण ने मेघनाद को वह सभी सिद्धि प्रदान कर दी. उसने बताया कि नागराज की बेटी सुलोचना ही तुम्हारी पत्नी होगी. रावण ने मेघनाद को बताया कि एक बार जब वह नागलोक गया था, तब नागों की देवी सती ने सुलोचना को सती होने और चमत्कारी पति पाने का वरदान दिया था.
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रावण की सिद्धियां लेने के बाद मेघनाद सेना के साथ नागलोक जाता है. वहां उसकी मुलाकात नागराज से होती है और वह सुलोचना से विवाह का प्रस्ताव रखता है. इस पर नागराज सहमत हो जाते हैं, लेकिन सुलोचना की भी इच्छा जानना चाहते हैं. पिता के पूछने पर सुलोचना नाग देवी से इसकी अनुमति लेती है. उनकी अनुमति मिलने के बाद सुलोचना मेघनाद से विवाह के लिए सहमत हो जाती है. इस तरह से मेघनाद का विवाह सुलोचना से होता है.
पतिव्रता स्त्री थी सुलोचना
कथाओं के अनुसार, सुलोचना एक पतिव्रत स्त्री थी. उसके पतिव्रता धर्म का पुण्य प्रभाव सदा मेघनाद की रक्षा करता था. रावण ने इसलिए सुलोचना का पुत्र वधु के रूप में चयन किया था, ताकि मेघनाद की शक्तियों में बढ़ोत्तरी हो जाए और वह अजेय रहे.
मेघनाद के मारे जाने के बाद सुलोचना का क्या हुआ?
लंका युद्ध के समय लक्ष्मण के हाथों मेघनाद का वध होता है तो इस बात पर सुलोचना को विश्वास नहीं होता है. ऐसा कहा जाता है कि सुलोचना प्रभु राम के पास अपने पति मेघनाद का सिर लेने के लिए जाती है, ताकि वह सती हो सके. भगवान राम ने उसे मेघनाद का सिर दे दिया, जिसके बाद वह सती हो गई.
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कथाओं के अनुसार, जब मेघनाद का वध हुआ तो उसका एक हाथ कटकर सुलोचना के पास जा गिरा था. तब सुलोचना ने उस हाथ से कहा था कि यदि तुम उसके पति का हाथ हो तो इसका प्रमाण दो और युद्ध के बारे में बताओ. इस पर वह हाथ लेखनी बन जाता है और पूरे घटना का वर्णन कर देता है. ऐसे ही जब वह मेघनाद का सिर लेकर वापस लौटती है तो वानर सेना के कुछ सैनिक उसका उपहास करते हैं तो वह कहती है कि यदि उसका पतिव्रता धर्म सत्य है तो यह सिर हंसने लगेगा. उसके कहने के बाद वह कटा सिर हंसने लगता है.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)