मड़ियांव के श्याम बिहार कॉलोनी में तीन भाइयों ने अपने प्लॉट पर अवैध रूप से असम निवासियों और बांग्लादेशियों की बस्ती बसा दी थी। इसी बस्ती में 28 अप्रैल की सुबह भीषण आग लगने से एक के बाद एक कई छोटे और बड़े सिलेंडर एक के बाद एक फटते गए। झोपड़ियों में रख
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झुग्गियों में रहने वाले परिवार के लोगों ने बताया कि उनसे प्लॉट मालिक 1400 से 2000 रुपए तक हर महीने किराया लेते थे। बता दें कि इन झुग्गियों को बसाए करीब 5 साल हो गए। प्लॉट मालिक तीनों ठेकेदार भाई करीब 62 परिवारों से किराया वसूल रहे हैं। इसको लेकर कई बार आसपास के लोगों ने शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
दैनिक भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि फैजुल्लागंज की श्याम विहार कॉलोनी में नीरज मौर्या उनके परिवार के ओम प्रकाश और राम प्रकाश के तीन प्लॉट हैं। तीनों प्लॉट में 150 परिवार अपनी झोपड़ियों में रहते हैं। तीनों प्लॉट करीब 7 हजार स्क्वायर फीट में हैं। इन पर 5 साल से झुग्गी बस्ती बनी है। बस्ती में रहने वालों से तीन ठेकेदार हर महीने किराया वसूल रहे हैं। प्लॉट मालिक यहां झुग्गी में रहने वालों की जगह इन ठेकेदारों के जरिए से पैसे लेते हैं।
पहले तस्वीरों में देखिए उस दिन की भयावहता
लखनऊ के फैजुल्लागंज इलाके में सोमवार को झुग्गी-झोपड़ियों में भीषण आग लग गई।

फैजुल्लागंज में भीषण आग के बाद घटनास्थल पर उठता धुआं।

चीफ फायर ऑफिसर ने बताया कि 62 से अधिक झोपड़ियां जल गईं।

आग बुझने के बाद घटनास्थल पर जमा लोग।
सभी लोग असम के रहने वाले अवैध रूप से झुग्गी में रहने वाले परिवार असम के अलग-अलग जिलों के हैं। आसपास के लोगों का कहना है कि यहां बांग्लादेशी और रोहिंग्या भी रहते हैं। ये सभी लोग नगर निगम या निजी कंपनी में सफाई का काम करते हैं। आए दिन शराब के नशे में मारपीट और उपद्रव करते हैं। यहां अपराधी किस्म के लोग भी रहते हैं।
अब उन लोगों को पढ़िए, जो यहां रहते हैं



तीनों प्लॉट के मालिक प्रति झोपड़ी लेते थे किराया झोपड़ी में रहने खैरुद्दीन ने बताया कि तीनों प्लॉट के मालिक प्रति झोपड़ी से हर माह 1400 से 2000 रुपए तक किराया लेते हैं। इन्हें बिजली कनेक्शन भी दिया गया था। मगर किसी जिम्मेदार का इस ओर ध्यान नहीं गया। अगर समय रहते ध्यान गया होता तो इतना बड़ा हादसा न होता।
इससे वहां रहने वाले अन्य लोगों को काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। झोपड़ियों में रहने वाली मैना खातून ने बताया कि आग लगने पर सामान निकालने का समय तक नहीं मिला। जो था वो सब जल गया। आग इतनी तेज थी कि वहां खड़े भी नहीं हो सकते थे। सारा सामान जल गया।

झोपड़ियों के जलने के बाद राख में लोगों ने कीमती चीजें ढूंढीं।
