इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बिमल जायसवाल की नियुक्ति की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा दिए गए आदेश को निरस्त कर दिया है। न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट
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मामले की शुरुआत 8 जनवरी 2025 को हुई, जब राज्य सरकार ने एक चार सदस्यीय जांच समिति गठित कर प्रोफेसर जायसवाल की नियुक्ति की जांच का आदेश दिया था। समिति को 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया था। प्रोफेसर जायसवाल ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
न्यायालय में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने दावा किया कि जांच का आदेश पूर्णतः नियमानुसार था। हालांकि, दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने प्रोफेसर जायसवाल के पक्ष में फैसला सुनाया। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि आवश्यक हो तो मामले में सक्षम प्राधिकरण नए सिरे से जांच का आदेश दे सकते हैं।