जिले में लाइसेंसी हथियारों की संख्या 34 हजार 142 तक पहुंच गई है। यह अंचल के बाकी जिलों से अधिक है। इसी कारण 10 माह से ग्वालियर में नए हथियार लाइसेंस पर ब्रेक है। ऐसी ही स्थिति अंचल के बाकी जिलों की है। दूसरी तरफ लगभग 3 हजार 800 आवेदन पुलिस व दूसरे वि
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इनसे जुड़े आवेदकों ने अब हथियार लाइसेंस बनने की उम्मीद ही छोड़ दी है। इसी कारण एडीएम दफ्तर में लगने वाली भीड़ गायब है। लाइसेंस न बनने से हथियार कारोबार में 90% तक गिरावट आ गई है। हथियार के रसूख को लेकर ग्वालियर अंचल देशभर में मशहूर हैं। इसी कारण यहां पर प्रदेश के दूसरे जिलों से ज्यादा लाइसेंसी हथियार हैं।
हथियार लाइसेंस की मांग ग्वालियर के साथ अंचल के भिंड-मुरैना में सर्वाधिक है। वर्तमान में ग्वालियर में लाइसेंसी हथियार 34,142 है। मुरैना में 24,426 और भिंड में 23,200 है। ग्वालियर में बीते साल जनवरी से मार्च 2024 तक 283 लाइसेंस जारी हुए। इसके बाद से नए लाइसेंस बंद हैं। सिर्फ फौती और वृद्धावस्था में पहुंचे आवेदकों के लाइसेंस परिजन के नाम हो रहे हैं।
संख्या और कम करने के चल रहे हैं प्रयास जिले में लाइसेंस और कम होंगे। कुल 1276 ऐसे लाइसेंस छांटे गए हैं जिनमें यूआईएन (यूनिक आईडी) नहीं है। ये लाइसेंस निरस्त करने की प्रक्रिया चल रही है, कुछ नोटिस जारी हो चुके हैं। ऐसे ही लगभग 500 लाइसेंस ऐसे हैं जो निर्धारित समय पर नवीनीकरण नहीं हुए हैं। इनकी लिस्ट बनाने की प्रक्रिया चल रही है। ये भी प्रक्रिया पूरी होने के बाद निरस्त होंगे।
पाबंदी से पदक विजेता निशानेबाज की मुश्किल बढ़ी पिंटो पार्क के अविनाश यादव भारतीय निशानेबाज टीम के सदस्य है। अभी तक अलग-अलग स्तर पर 29 पदक जीत चुके हैं। प्रैक्टिस के लिए हथियार लाइसेंस चाहिए। कलेक्ट्रेट में अफसरों से मिला तो उन्होंने लाइसेंस देने से इनकार कर दिया। दो बार जनसुनवाई में भी पहुंचा। अविनाश ने कहा कि प्रैक्टिस के लिए 0.22 रायफल जर्मन से खरीदना है, यह बिना लाइसेंस के संभव नहीं है। उनके लाइसेंस के लिए फॉर्म को भी स्टाफ ने जमा करने से इनकार कर दिया।
बीते साल मार्च से लगाई गई है रोक ^नए लाइसेंस पर मार्च से ही रोक लगी हुई है। जिले में पहले से हथियार लाइसेंस की संख्या अंचल के दूसरे जिलों से काफी ज्यादा है। प्रदेश के अन्य जिलों में नए लाइसेंस नहीं बन रहे हैं। मौजूदा लाइसेंस कम करने के लिए भी प्रयास हो रहे हैं। -टीएन सिंह, एडीएम ग्वालियर
व्यापार हुआ चौपट, खर्चा नहीं निकल रहा ^लंबे समय से हथियार लाइसेंस नहीं बनने से कारोबार सिर्फ 10% रह गया है। पहले हथियार बिक्री करने वाले दुकान 36 थी। दुकान का खर्च नहीं निकाल पाने के कारण अब संख्या 12 रह गई है। ऐसी स्थिति रही कि दुकानें और कम हो जाएगी। -अशोक अग्रवाल, हथियार कारोबारी