नई दिल्ली23 मिनट पहले
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संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू हुआ था।
संसद में आज नया इनकम टैक्स बिल, 2025 पेश होगा। इनकम टैक्स बिल का मकसद आम आदमी के लिए इनकम टैक्स कानूनों को आसान बनाना है। इससे टैक्स से जुड़े केस भी कम होने की उम्मीद है। बिल को पिछले हफ्ते कैबिनेट ने मंजूरी दी थी।
मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट 1961 में अब तक 66 बजट (2 अंतरिम बजट सहित) के बाद कई बदलाव हो चुके हैं। इसके कई प्रावधान अब खत्म हो चुके हैं। माना जा रहा है कि नया कानून 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा जो 64 साल पुराने कानून की जगह लेगा।
इसके अलावा वक्फ (संशोधन) बिल 2024 को लेकर बनी जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की रिपोर्ट लोकसभा पेश की जा सकती है। JPC ने 30 जनवरी को ड्रॉफ्ट रिपोर्ट लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को सौंप दी थी।
संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू हुआ है। पहला सत्र 31 जनवरी से 13 फरवरी तक और दूसरा सत्र 10 मार्च से 14 अप्रैल तक होगा।
इनकम टैक्स बिल 2025 से जुड़े 5 अहम बदलाव…
टैक्स ईयर का कॉन्सेप्ट
- नए बिल में टैक्स ईयर का नया कॉन्सेप्ट लाया जाएगा। अभी असेसमेंट ईयर और प्रीवियस ईयर की वजह से टैक्सपेयर्स को कई दिक्कतें होती हैं। कई लोग टैक्स भरते और रिटर्न फाइल करते समय असेसमेंट ईयर और फाइनेंशियल ईयर (पिछला साल) में कन्फ्यूज हो जाते हैं।
- टैक्स ईयर के एक ही कॉन्सेप्ट से टैक्सपेयर्स को यह समझने में आसानी होगी कि वे किस साल का टैक्स भर रहे हैं और रिटर्न फाइल कर रहे हैं। मान लीजिये आप 1 अप्रैल 2025 से 31 मार्च 2026 तक कमाएंगे तो यह आपका टैक्स ईयर 2025-26 होगा।
फाइनेंशियल ईयर में कोई बदलाव नहीं
- टैक्सपेयर्स को याद रखना चाहिए कि फाइनेंशियल ईयर में कोई बदलाव नहीं होगा। यह 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च को खत्म होगा। नया बिल कैलेंडर ईयर को टैक्स ईयर के तौर पर नहीं मानेगा।
धाराओं में बदलाव
- नए बिल में कई धाराओं में भी बदलाव हो सकता है। मौजूदा एक्ट में, इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग सेक्शन 139 के तहत आती है जबकि न्यू टैक्स रिजीम सेक्शन 115BAC के तहत। नए बिल में इन दोनों धाराएं बदल सकती हैं।
रेजिडेंसी कानूनों में कोई बदलाव नहीं
- नए बिल में रेजिडेंसी कानूनों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। ये नए एक्ट में भी वैसे ही रहेंगे। मौजूदा कानून रेजिडेंसी को तीन कैटेगरी में बांटा गया है: ऑर्डिनरी, नॉन-ऑर्डिनरी और एनआरआई। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि रेजिडेंसी कानूनों में बदलाव की जरूरत है।
- मौजूदा कानूनों के तहत टैक्सपेयर्स को पिछले 10 सालों का रेकॉर्ड देखना पड़ता है ताकि मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में उनकी रेजिडेंसी का पता चल सके। मतलब अगर आप भारत में कितने दिन रहे, यह जानने के लिए पिछले 10 साल का हिसाब देखना पड़ता है।
ITR में कोई बदलाव नहीं
- बजट 2025 में की गई घोषणा के मुताबिक टैक्सपेयर्स की आसानी के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा, आयकर स्लैब और पूंजीगत लाभ कराधान में कोई बदलाव नहीं किया गया है। मतलब रिटर्न भरने की आखिरी तारीख, टैक्स स्लैब और कैपिटल गेन्स टैक्स में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
वक्फ (संशोधन) बिल 2024 वक्फ (संशोधन) बिल की JPC की रिपोर्ट लोकसभा पेश की जा सकती है। JPC ने 29 जनवरी को ड्रॉफ्ट रिपोर्ट को मंजूरी दी थी। 16 सदस्यों ने इसके पक्ष में वोट डाला था। वहीं 11 मेंबर्स ने विरोध किया। कमेटी में शामिल विपक्षी सांसदों ने इस बिल पर आपत्ति जताई थी।
30 जनवरी को कमेटी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे सहित अन्य भाजपा सांसदों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को ड्राफ्ट रिपोर्ट दी थी। इस दौरान विपक्ष का कोई सांसद नजर नहीं आया था।

22 अगस्त को बनाई गई JPC 22 अगस्त को पहली बैठक हुई थी संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त को लोकसभा में वक्फ बिल 2024 पेश किया था। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे मुस्लिम विरोधी बताया था।
विपक्ष की आपत्ति और भारी विरोध के बीच ये बिल लोकसभा में बिना किसी चर्चा के JPC को भेज दिया गया था। वक्फ बिल संशोधन पर बनी 31 सदस्यीय JPC की पहली बैठक 22 अगस्त को हुई थी। बिल में 44 अमेंडमेंट्स पर चर्चा होनी थी।

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