Sunday, June 1, 2025
Sunday, June 1, 2025
Homeमध्य प्रदेशवर्दी का नया प्रोटोकॉल: अब डीजीपी के आदेश से सैल्यूट पाएंगे...

वर्दी का नया प्रोटोकॉल: अब डीजीपी के आदेश से सैल्यूट पाएंगे सांसद और विधायक… – Bhopal News



मप्र में वर्दीधारी पुलिस वाले अब सांसद और विधायकों को सैल्यूट मारते दिखाई देंगे। चाहे वे सरकारी कार्यक्रमों में दिखाई दें या कहीं और सामान्य जगह पर सामने पड़ जाएं। पुलिस को शिष्टाचार दिखाते हुए सलामी देनी होगी। डीजीपी कैलाश मकवाना ने 24 अप्रैल को एक

.

हैरान करने वाला तथ्य है कि मकवाना ने अपने साइन से जारी सर्कुलर में ‘सैल्यूट’ शब्द लिखा, जबकि इस सर्कुलर को जारी करने के लिए बतौर रिफरेंस पुराने आठ सर्कुलरों का जिक्र किया गया है, जिसमें सैल्यूट शब्द ही नहीं है। पुराने कागजों में ‘सौहार्दपूर्ण व्यवहार करने की बात लिखी है।’

इस मामले में पूर्व डीजीपी सुभाष चंद्र त्रिपाठी का कहना है कि पहले भी ऐसे सर्कुलर जारी हुए हैं। अभिवादन हो या सैल्यूट। दोनों में ही सदस्य का सम्मान करना है। वहीं पूर्व डीजीपी संतोष कुमार राउत ने बताया कि ऐसे सर्कुलर समय–समय पर जारी होते रहे हैं। पहले सम्मान या अभिवादन शब्द था, अब सैल्यूट कर दिया। दोनों ही स्थिति में सम्मान ही देना है।

डीजीपी ने यह निर्देश भी दिए डीजीपी ने सांसदों और विधायकों द्वारा भेजे गए पत्रों का उत्तर अपने हस्ताक्षर के साथ समय सीमा में देने के निर्देश दिए। यह भी लिखा कि कोई सांसद, विधायक पुलिस से मिलने उनके दफ्तर आए तो पुलिस अफसरों को प्राथमिकता के आधार पर मुलाकात करके बात सुननी होगी। सांसद या विधायकों द्वारा मोबाइल या फोन पर जनसमस्या को लेकर संपर्क किया जाता है तो पुलिस अफसर की जिम्मेदारी होगी कि वे उनकी बात को ध्यान से सुनें और शिष्टता के साथ जवाब दें।

नए सर्कुलर से ‘सौहार्दपूर्ण व्यवहार’ अब ‘सैल्यूट’ में बदला

नया सर्कुलर… सरकारी कार्यक्रम व सामान्य भेंट के दौरान सांसद-विधायकों का अभिवादन वर्दीधारी अधिकारी-कर्मचारी सैल्यूट से करेंगे।

पुराना सर्कुलर… सौहार्दपूर्ण और यथोचित ​शिष्टाचार-सम्मान देने और उनसे मिलने में सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात लिखी है।

क्या सम्मान भी आदेश से लेंगे नेता जी!

भास्कर हस्तक्षेप – सतीश सिंह, स्टेट एडिटर मप्र

5 IPS से बातचीत के बाद 3 सवाल 1. शराब या रेत माफिया को बचाने विधायक थाने पहुंचे। विधायक या सांसद को पहले सैल्यूट देने के बाद पुलिस अफसरों के पास कार्रवाई के लिए कितनी हिम्मत बचेगी? 2. लॉ एंड आर्डर की स्थिति में विधायक या सांसद नेतागिरी के लिए हर जगह भीड़ में पहुंच जाते हैं। ऐसे में कानून व्यवस्था संभालेंगे या नेता जी को सैल्यूट करेंगे? 3. पब्लिक समारोह में कई सांसद और विधायक होंगे। डीजीपी पहुंचेंगे तो अब खुद के पत्र के मुताबिक वह कितने विधायक और सांसद को सैल्यूट करेंगे?

इन सभी सवालों के जवाब आप खुद ही तय कीजिए। वैसे, पुलिस को न्याय के प्रति जवाबदेह रहना चाहिए, न कि व्यक्तिगत नेताओं के प्रति। डीजीपी के आदेश की मंशा भले ही जनप्रतिनिधियों का ‘सम्मान’ हो, पर राजनीतिक दबाव में जगह-जगह पिट रही पुलिस के हाथ अब कार्रवाई से ज्यादा सलामी में व्यस्त हो जाएंगे।

संविधान कहता है- जनता सर्वोच्च है। सांसद-विधायक उसके प्रतिनिधि हैं, राजा नहीं। जब पुलिस सलामी देती है, तो संदेश जाता है कि अफसर ‘सेवक’ नहीं, ‘चाकर’ बन रहे हैं। क्या इससे पुलिसकर्मियों पर राजनीतिक दबाव और नहीं बढ़ेगा।

स्थानीय थानों और प्रशासनिक इकाइयों में हुक्म की तामील का मनोविज्ञान और नहीं गहराएगा? कई राज्यों में पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी प्रोटोकॉल के तहत मुख्यमंत्री, राज्यपाल और मंत्रियों को औपचारिक सम्मान देते हैं, लेकिन सांसदों और विधायकों को आमतौर पर ‘कार्य के सम्मान’ के तहत सहयोग मिलता है, न कि सलामी के रूप में।

बड़ा सवाल : क्या ये नेताओं की मांग थी? शायद नहीं। क्योंकि, कोई भी जनता का भला चाहने वाला जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र या संबंधित पुलिस अफसर से कानून-व्यवस्था, अमन-चैन चाहेगा, न कि सलामी। पहले के सर्कुलर में शामिल सौहार्दपूर्ण व्यवहार और सैल्यूट का अंतर मनोवैज्ञानिक रूप से बहुत बड़ा है। अगर हर विधायक और सांसद को सलामी देनी ही होती, तो फिर संविधान में ‘We the People’ क्यों लिखा गया था? ‘We the Leaders’ लिख दिया होता! सम्मान अर्जित किया जाता है, आदेश से थोपा नहीं जाता। यदि वाकई सांसदों-विधायकों का कद बढ़ाना है, तो उन्हें सेवा, ईमानदारी और जवाबदेही से वह जगह पानी चाहिए, सलामी से नहीं।



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular