फ्लैट दिलाने के नाम पर एक पुलिस आरक्षी से 15 लाख रुपये से अधिक की ठगी का मामला सामने आया है। पीड़ित आरक्षी अखिलेश यादव, जो वर्तमान में महिला आयोग प्रकोष्ठ, कमिश्नरेट वाराणसी में तैनात हैं, उन्होंने डीसीपी (अपराध) को शिकायती पत्र सौंप कर आरोपी के विरु
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मुलाकात और विश्वास का दुरुपयोग
शिकायत के अनुसार, वर्ष 2016-17 में आरक्षी अखिलेश यादव की पोस्टिंग जैतपुरा और सारनाथ थानों में थी, तभी उनकी जान-पहचान गौरव गुप्ता नामक व्यक्ति से हुई। गौरव अशोक विहार कॉलोनी, पहड़िया का निवासी है और सारंग चौराहा स्थित ‘विक्रांत फाइनेंशियल सर्विसेज’ तथा ‘हट एंड ग्रिल रेस्टोरेंट’ का संचालक है।
गौरव गुप्ता ने अखिलेश को बताया कि वह अप्रैल 2025 में एक अपार्टमेंट खरीदने जा रहा है और यदि वे कुछ रकम अग्रिम रूप से दें, तो उन्हें उसी अपार्टमेंट में फ्लैट दिला देगा। साथ ही यह भी भरोसा दिया कि यदि फ्लैट पसंद नहीं आया, तो अप्रैल 2025 में पूरी राशि लौटा दी जाएगी।
ब्लैंक चेक और स्टांप पेपर का झांसा
गौरव ने आरक्षी को भरोसे में लेने के लिए उन्हें एक ब्लैंक चेक और स्टांप पेपर भी सौंपा। अखिलेश यादव ने अपनी पत्नी की सलाह पर पहले बैंक ऑफ बड़ौदा (नदेसर शाखा) से 10 लाख रुपये का लोन लिया, जिसमें से 5 लाख गौरव को दे दिए। इसके बाद चेतगंज शाखा से 7 लाख रुपये का एक और लोन लेकर पूरी राशि गौरव को सौंप दी। इसके अतिरिक्त उनकी पत्नी और सास के खातों से भी करीब 3 लाख रुपये गौरव गुप्ता को दिए गए। इस प्रकार कुल राशि लगभग 15 लाख रुपये हो गई।
ईएमआई देने का भी वादा, फिर किया धोखा
गौरव गुप्ता ने वादा किया था कि वह हर महीने बैंक की ईएमआई, जो 29,468 प्रतिमाह थी, खुद अदा करेगा। फरवरी 2025 तक गौरव ने यह भुगतान किया भी, जिससे आरक्षी को विश्वास बना रहा। लेकिन मार्च और अप्रैल 2025 में गौरव ने ईएमआई देना बंद कर दिया और फोन अथवा मैसेज का भी कोई जवाब नहीं दिया।
बार-बार करता रहा पैसे की मांग
पीड़ित के अनुसार, गौरव ने उल्टा खुद ही कई बार उन्हें कॉल कर पैसों की मांग की। इस धोखाधड़ी से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति चरमरा गई है, बल्कि मानसिक तनाव भी अत्यधिक बढ़ गया है। उन्होंने डीसीपी (अपराध) से आग्रह किया है कि इस मामले की गहन जांच कर दोषी के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए।
प्रारंभिक जांच और संभावित धाराएं
पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धाराएं 420 (धोखाधड़ी), 406 (आपराधिक विश्वासघात), और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। पीड़ित द्वारा प्रस्तुत सबूतों — चेक, स्टांप पेपर और बैंक ट्रांजैक्शन विवरण — को आधार बनाकर जांच प्रक्रिया प्रारंभ की जा सकती है।
आगे की कार्रवाई
डीसीपी अपराध ने मामले को संज्ञान में लिया है और जांच के निर्देश दिए हैं। यदि जांच में गौरव गुप्ता की भूमिका संदेह से परे पाई जाती है, तो उसके खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई तय मानी जा रही है।