Negative Energy: वास्तु विशेषज्ञ पंकित गोयल ने बताया कि हाल ही में एक केस पर काम करते समय एक रोचक बात सामने आई. क्लाइंट ने जब अपने घर का प्लान बनवाया, तो उन्होंने ग्रिड तैयार करते समय पूरे ग्राउंड फ्लोर का सेंटर लिया. यह तरीका पहली नजर में बिल्कुल ठीक लगता है, क्योंकि अधिकतर लोग ऐसा ही करते हैं. उन्होंने ग्राउंड फ्लोर के आधार पर पूरा कंस्ट्रक्शन किया और उसी के अनुसार फर्स्ट फ्लोर भी बना लिया.
लेकिन जब घर का एंट्रेंस देखा गया, तो वह एकदम अलग दिशा में निकला. यानी, जहां हमें एंट्रेंस मिलनी चाहिए थी वहां न होकर वह दूसरी ओर थी. जांच करने पर यह पता चला कि पूरी प्लानिंग जमीन के उस हिस्से को भी जोड़कर की गई थी, जो कानूनी तौर पर घर का हिस्सा माना ही नहीं जाता.
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दिल्ली, नोएडा जैसे इलाकों में नियम बहुत स्पष्ट हैं पीछे एक तय दूरी तक का हिस्सा खाली छोड़ना होता है. वहां बालकनी या छत नहीं बन सकती. ऐसे में यदि आप उस छोड़े गए हिस्से को भी घर के अंदर मानकर सेंटर तय करते हैं, तो पूरे घर की ऊर्जा व्यवस्था बिगड़ जाती है.
यही वह बारीकियां हैं जो अक्सर अनदेखी रह जाती हैं. लोग सोचते हैं कि उन्होंने सही दिशा में दरवाजा रखा है, कमरे प्लान के अनुसार बनाए हैं, फिर भी समस्याएं क्यों बनी रहती हैं. इसका कारण यही गड़बड़ी होती है जब मूल सेंटर ही गलत पकड़ा गया हो तो उसके ऊपर की पूरी गणना गलत हो जाती है.
बहुत से लोग इस भ्रम में जीते हैं कि वास्तु कोई अंधविश्वास है, लेकिन असल में वे गलत जानकारी और अधूरी समझ के कारण गलतियां कर बैठते हैं. जब ग्रिड तैयार की जाती है, तब हर फ्लोर की अलग-अलग स्थितियों को ध्यान में रखना बेहद जरूरी होता है. यह काम अनुभव और सतर्कता मांगता है.
अगर घर की ग्रिडिंग सही तरीके से की जाए और प्लान उस आधार पर तैयार हो, तो जीवन में स्थिरता, शांति और प्रगति देखी जा सकती है. वास्तु का उद्देश्य केवल दिशाएं बताना नहीं है, बल्कि एक ऐसा संतुलन बनाना है जो मानसिक, शारीरिक और सामाजिक जीवन पर सकारात्मक असर डाले.
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आज के समय में जब हर चीज तेज़ी से बदल रही है, वास्तु जैसी परंपराएं हमें जड़ से जोड़े रखती हैं. लेकिन ये तभी लाभ देती हैं जब उन्हें सही तरह से समझा और लागू किया जाए. बिना सोचे-समझे किसी नक्शे या पुराने फार्मूलों पर काम करना भारी पड़ सकता है.