मोतिहारी का ऐतिहासिक सरोतर झील, जो कभी विदेशी पक्षियों का स्वर्ग हुआ करता था, आज वीरान हो चुका है। 263 एकड़ में फैला यह झील, जो साइबेरिया, मंगोलिया, अफगानिस्तान, तिब्बत, थाईलैंड, जापान और रूस से आने वाले प्रवासी पक्षियों का पसंदीदा ठिकाना था, अब अपने
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एक समय था जब लिटिल ग्रिप, ब्लैक नेक्ड, किंगफिशर, वीरान कमोड और लालासर जैसे विदेशी पक्षियों की चहचहाहट से यह झील गुलजार रहता था। सर्दियों में पक्षियों की मनमोहक गतिविधियां देखने पर्यटकों की भीड़ उमड़ती थी। लेकिन बढ़ते प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और अवैध शिकार ने इस प्राकृतिक धरोहर को नष्ट कर दिया है।
संरक्षण और पर्यटन विकास के लिए बनी कई योजनाएं
स्थानीय निवासियों का कहना है कि सरकार ने झील के संरक्षण और पर्यटन विकास की कई योजनाएं बनाईं, लेकिन सभी कागजों तक ही सीमित रह गईं। जल की गुणवत्ता में गिरावट और वनस्पतियों के नष्ट होने से पक्षियों के लिए यह स्थान अब अनुकूल नहीं रहा। प्रशासन की उदासीनता ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते ठोस कदम उठाए जाएं, जैसे झील का संरक्षण, जल गुणवत्ता में सुधार और शिकारियों पर कड़ी कार्रवाई, तो यह स्थान फिर से पक्षियों और पर्यटकों का पसंदीदा स्थल बन सकता है। अन्यथा, यह अनमोल धरोहर केवल इतिहास की किताबों में ही जिंदा रहेगी।