विदेश में ऊंचे वेतन वाली नौकरियों का झांसा देकर युवाओं को बहला‑फुसलाकर ‘साइबर गुलामी’ में धकेलने का नया रैकेट सक्रिय हो गया है। राज्य साइबर पुलिस मुख्यालय, मध्यप्रदेश ने एडवाइजरी जारी की है। जिसमें बताया है कि दक्षिण‑पूर्व एशियाई देशों की कॉल‑सेंटर ज
.
पीड़ितों से फेक लोन‑ऐप, क्रिप्टो घोटाले और ऑनलाइन ठगी कराई जा रही है। इनकार करने पर शारीरिक हिंसा और भारी जुर्माने की धमकी दी जाती है।
कैसे फंसाते हैं?
- LinkedIn‑Telegram पर कॉल: HR के नाम से जुड़ते हैं, इंटरव्यू वीडियो कॉल पर लेते हैं।
- टिकट‑वीजा फ्री का प्रलोभन: ‘वर्क परमिट’ और रहने‑खाने का खर्च कंपनी उठाने का दावा।
- देश से निकलते ही पासपोर्ट कब्जे में: एयरपोर्ट पर कंपनी एजेंट रिसीव करता है, दस्तावेज छीन लिए जाते हैं।
- 24×7 कम्प्यूटर वर्क: युवाओं को छोटे‑छोटे केबिन में बैठाकर कॉइन ट्रेडिंग, डेटिंग‑ऐप, लोन‑ऐप से ठगी कराई जाती है।
- भागने पर कोड़े‑जुर्माना: चुपचाप सहना या फिर लाखों रुपए चुका कर आजादी खरीदना, यही दो रास्ते।
किसी भी ऑफर को तुरंत एक्सेप्ट नहीं करें।
ऐसे करें बचाओ
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म या अनजान एजेंसियों से मिली विदेश नौकरी ऑफर तुरन्त सत्यापित करें।
- प्रस्तावित देश की दूतावास वेबसाइट पर कंपनी का वैधानिक रिकॉर्ड देखें, बिना वीजा कंसल्टेंट फीस न चुकाएं।
- किसी भी दस्तावेज पर साइन करने से पहले भारतीय दूतावास/MEA पोर्टल से काउंसिलिंग लें।
- विदेश में बसे रिश्तेदार‑मित्र से जमीन‑जायदाद गिरवी न रखवाए, टिकट‑वीजा खुद ही बुक कराएं।
- संदिग्ध एजेंट या पीड़ित व्यक्ति की सूचना मिले तो www.cybercrime.gov.in या टोल‑फ्री 1930 पर तत्काल शिकायत करें।
साइबर पुलिस की अपील
राज्य साइबर पुलिस के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) योगेश देशमुख ने युवाओं से अपील की है कि “हाई‑पैकेज का सपना दिखाने वाले हर लिंक पर क्लिक न करें। एक बार फंस गए तो परिवार को बचाने में पूरी जिंदगी निकल सकती है।”