.
रांची यूनिवर्सिटी, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी (डीएसपीएमयू) समेत राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को समय पर प्रमोशन नहीं मिलना नियति बन गई है। राज्य के विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के 98 प्रतिशत पद खाली हैं। इसका इसका सीधा असर उच्च शिक्षण संस्थानों में संचालित होने वाली एकेडमिक एक्टिविटी पर पड़ रहा है। वर्ष 2008 में नियुक्त शिक्षकों को 16 साल सेवा देने के बाद भी प्रमोशन नहीं मिला है।
समय पर प्रमोशन मिलता तो ये अभी एसोसिएट नहीं, प्रोफेसर के पद पर कार्य कर रहे होते। बताते चलें विश्वविद्यालयों द्वारा प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, सीनियर स्केल में प्रमोशन के लगभग डेढ़ साल पहले झारखंड लोक सेवा आयोग को प्रस्ताव भेजा गया था। लेकिन आज तक कार्यवाही तक शुरू नहीं हुई है। प्रमोशन प्रस्ताव का बंडल आयोग कार्यालय में पड़ा हुआ है, जिसपर धूल की परतें जम गईं हैं। 22 अगस्त 2024 यानि लगभग तीन माह से आयोग अध्यक्ष का पद खाली है। लेकिन जब आयोग में अध्यक्ष थे, तब भी प्रमोशन प्रस्ताव को निष्पादित करने की दिशा में किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई। इधर प्रमोशन नहीं मिलने से यूनिवर्सिटी शिक्षकों में नाराजगी है। इनका कहना है कि प्रमोशन नहीं मिलने से करियर पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
अधिकांश विषयों में एक भी प्रोफेसर नहीं राज्य के विश्वविद्यालयों में 22 विषयों के अलावा टीआरएल के आठ नियमित कोर्स की पढ़ाई होती है। इसमें अधिकांश विषयों में एक भी प्रफेसर नहीं है। वहीं सिर्फ आधा दर्जन विषयों में एसोसिएट प्रोफेसर रह गए हैं, जो अगले एक-दो वर्षों में रिटायर कर जाएंगे।
. वीसी-प्रोवीसी पद के लिए राज्य के अभ्यर्थी नहीं मिलते हैं। क्योंकि इन दोनों पदों के लिए प्रो. पद पर 10 साल का शैक्षणिक अनुभव जरुरी है। . राज्य के 90% सरकारी कॉलेजों में प्रिंसिपल का पद रिक्त है। वैकेंसी आती भी है तो इस पद योग्य अभ्यर्थी नहीं मिलेंगे। क्योंकि प्रिंसिपल के लिए एसोसिएट प्रो. होना जरुरी है। पिछली बार जब वैकेंसी आई थी तो अभ्यर्थी नहीं मिलने के कारण 50% पद रिक्त रह गए थे।
विवि में योग्य अधिकारी नहीं मिल रहे हैं। क्योंकि जब वैकेंसी आती है तक रजिस्ट्रार समेत अन्य पदों के अर्हता रखने में राज्य के विवि कुछ ही अभ्यर्थी हैं। इसलिए जो आवेदन देते हैं, उसी में चयन होता है या बाहर के अभ्यर्थी आते हैं। . यूनिवर्सिटी के कई विभागों में एचओडी नहीं मिल रहे हैं। एचओडी के लिए न्यूनतम एसोसिएट प्रोफेसर का होना जरुरी है। इसलिए एक्टिंग एचओडी बनाकर किसी तरह काम चलाया जा रहा है। . स्नातक स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सिलेबस के अनुसार पढ़ाई हो रही है। अगले साल से पीजी में भी एनईपी सिलेबस पढ़ाई शुरू हो जाएगी।