छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले की दो बुजुर्ग महिला एथलीट अपनी उम्र को चुनौती दे रही हैं। 70 वर्षीय शकुंतला सिंह और 67 वर्षीय कमला देवी मंगतानी ने एथलेटिक्स में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।
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इन दोनों महिलाओं ने अपनी उम्र से दोगुनी संख्या में मेडल और ट्रॉफी जीती हैं। उनके घर के कमरों में सजे मेडल और सम्मान पत्र उनकी उपलब्धियों की गवाही देते हैं। शकुंतला जो कि पेशे से नर्स है, रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अपने पेंशन के पैसे से अपने सपनों को पूरा किया।
वहीं, कमला देवी जो कि 40 सालों से डायबिटीज की पेशेंट है। डॉक्टर ने उन्हें घुटने बदलने तक कह दिया था पर वो हार नहीं मानी। मेहनत से वेटलिफ्टिंग सीखी और हाल ही में दुबई में उन्होंने प्रदर्शन किया। विश्व एथलेटिक्स दिवस पर इन दोनों महिलाओं के संघर्ष की कहानी पढ़िए…
नर्स की नौकरी…एथलेटिक्स में गोल्ड मेडल, नेपाल में बुलंद किया भारत का झंडा
उम्र के उस पढ़ाव में जब लोग रिटायरमेंट लेकर घर में आराम करते हैं, दूसरों पर आश्रित हो जाते हैं वहीं दूसरी ओर मनेंद्रगढ़ के वार्ड क्रमांक 15 में रहने वाली शकुंतला सिंह (70) रिटायरमेंट लेने के बाद जो कर रही है वह किसी हैरत से कम नही है।
इस उम्र में भी रोजाना मैदान में जाकर 2 घंटे की प्रेक्टिस जिसमें 1400 मीटर की दौड़ करने के बाद नियमित अभ्यास करती है। सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली पेंशन से वे अपना अभ्यास जारी रखी हुई हैं।
SECL हसदेव क्षेत्र के साउथ झगराखांड चिकित्सालय में नर्स की नौकरी करने के साथ ही साथ ये बचपन से ही खेलकूद में रुचि होने के कारण इन्हें कई बार SECL की ओर से क्षेत्रीय, अंर्तक्षेत्रीय, अंर्तराज्यीय स्तर पर अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन का अवसर मिला।
एक बार शकुंतला के कदम जब आगे बढ़ चले तब फिर उन्होंने कभी पलटकर पीछे नही देखा। रिटायरमेंट के बाद भी इन्होंने खेल जारी रखा और शॉटपुट, हैमर थ्रो, भाला फेंक, जेवलिन थ्रो जैसे खेलों में कई मेडल जीते। देश के बाहर नेपाल में भी इन्होंने मेडल जीता।

खुद के लिये नियम बनाने होंगे – शकुंतला सिंह
शकुंतला का मानना है कि अगर हमें अपनी मंजिल हासिल करनी है तो उसके लिये हमें खुद पर अनुशासन करना होगा। खुद के लिये नियम बनाने होंगे। मैंने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये कभी कोई समझौता नही किया। मैने स्वयं की मेहनत पर सबसे ज्यादा भरोसा किया, यही वजह है कि मैंने जितना सोचा उससे कहीं ज्यादा हासिल कर लिया।
शकुंतला कहती हैं कि महिलाओं को अपने परिवार का तो ध्यान रखना ही चाहिये लेकिन अगर उनके भीतर कोई विशेष दक्षता है तो उसे निखारने के लिये स्वयं प्रयास करना चाहिये।
फिट रखने के लिये रूटीन वर्कआउट
स्वयं को फिट रखने के लिये नियमित व्यायाम व योग करें। फॉस्ट फूड खाने से बचे। अपने भोजन में हरी सब्जियां, सलाद व फलों को जरूर शामिल करें। इसके अलावा शिक्षा पर जरूर ध्यान दें। शकुंतला अपने आप को फिट रखने के लिये रूटीन वर्कआउट करती हैं।


कमला देवी मंगतानी (67) जब दुबई में उन्होंने मैडल जीते
40 साल से डायबिटीज, पैरों में दर्द..बैसाखी के सहारे चली
मनेंद्रगढ़ के बस स्टैंड इलाके के वार्ड क्रमांक 11 में रहने वाली कमला देवी मंगतानी (67) 40 साल से डायबिटीज की मरीज है। एक समय ऐसा था जब कमला देवी को चलने के लिए बैसाखी का सहारा लेना पड़ता था,
यहां तक कि डॉक्टरों ने उन्हें घुटना बदलने तक कि बात कह दी थी, लेकिन कमला देवी मंगतानी के हौसले के आगे बैसाखी पीछे चली गई और वो रोज मैदान में घंटों समय बिताने लगी, फिर जिम जॉइन किया।

विदेशों में लहराया भारत का झंडा
यहां से उनका वेटलिफ्टिंग का जो दौर शुरू हुआ वो अब भी चल रहा है। कमला देवी मंगतानी अब तक 60 से ज्यादा स्पर्धाओं में हिस्सा ले चुकी है। देश ही नहीं विदेश में भी कमला देवी मंगतानी ने भारत बक झंडा बुलंद करते हुए अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।
अब तक उन्होंने 120 से ज्यादा मेडल जीते है। हाल दुबई में आयोजित 11वें अंतरराष्ट्रीय खेल समारोह में उन्होंने स्विमिंग, वेटलिफ्टिंग, तवा फेंक और गोला फेंक में भाग लिया। जिनमें तीन गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीता।
‘हौसला बुलंद तो ऊपर वाला भी साथ देता है’
कमला देवी मंगतानी पिछले 5 सालों से रोजाना जिम में घंटों पसीना बहाती है। वे कहती है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। उम्र तो सिर्फ एक संख्या (अंक) है। अगर आपका हौसला बुलंद हो तो ऊपर वाला भी साथ देता है।
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मनेंद्रगढ़ जिले की 67 वर्षीय कमला देवी मंगतानी ने भारत का नाम रोशन किया है। उन्होंने दुबई में आयोजित 11वें अंतरराष्ट्रीय खेल समारोह में तीन गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीता। उन्होंने वेटलिफ्टिंग में ये जीत हासिल की। पढ़ें पूरी खबर…