सड़क पर खड़े होकर जहां तक नजर जाती है, सिर्फ टूटी इमारतें दिखती हैं। ये सीरिया की राजधानी दमिश्क से करीब 7 किमी दूर बसा अल यारमुक शहर है। 14 साल पहले तक खुशहाल था, अब किसी भुतहा शहर की तरह दिखता है।
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यहां के लोग असद सरकार और विद्रोहियों के बीच चली जंग की जिंदा कहानी हैं। इनमें ज्यादातर फिलिस्तीन के शरणार्थी हैं, जो 1948 में अरब-इजराइल युद्ध के दौरान बेघर हो गए थे। यहां मिले बच्चे बताते हैं कि जब वे पैदा हुए, तब भी बम बरस रहे थे। असद आर्मी ने टैंकों से हमारे घर तोड़ दिए। ऊपर दिए वीडियो में देखिए अल यारमुक की कहानी।
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1. खुला बॉर्डर, चेकिंग नहीं, HTS लड़ाका बोला- वेलकम टू न्यू सीरिया
मासना चेक पॉइंट लेबनान और सीरिया के बीच इंटरनेशनल बॉर्डर है। यहां से सीरिया की राजधानी दमिश्क करीब 50 किमी दूर है। बॉर्डर के एक तरफ तो लेबनानी जनरल सिक्योरिटी के जवान हैं, लेकिन दूसरी तरफ चेक पोस्ट खाली है। सेना या सिक्योरिटी फोर्स की जगह विद्रोही संगठन HTS के लड़ाके हैं। वे कहते हैं, असद भाग गया है। अब नए सीरिया में आपका स्वागत है। पढ़ें पूरी खबर…
2. वीडियो में देखिए दमिश्क की सुबह, तानाशाह असद के देश छोड़ने पर क्या कह रहे लोग
सीरिया की कवरेज के पहले दिन भास्कर रिपोर्टर वैभव पलनीटकर राजधानी दमिश्क की सुबह देखने निकले। दिन शुक्रवार था। इस दिन छुट्टी होती है, इसलिए सड़कों पर चहल-पहल कम दिखी। वैभव ने लोगों से पूछा कि असद सरकार गिरने पर वे क्या सोचते हैं। इसी दौरान असद सरकार को हराने वाले संगठन हयात तहरीर अल शाम (HTS) के एक लड़ाके से मुलाकात हो गई। वीडियो में देखिए