शंभू बॉर्डर का ड्रोन व्यू और अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत डल्लेवाल।
किसान आंदोलन के कारण 10 महीने से बंद हरियाणा-पंजाब का शंभू बॉर्डर खोलने पर आज (18 दिसंबर) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इसके अलावा 23 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की सेहत पर भी कोर्ट सुनव
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इस सुनवाई से पहले किसान नेता डल्लेवाल ने सुप्रीम कोर्ट की बनाई मध्यस्थता कमेटी के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस नवाब सिंह को 2 पेज की चिट्ठी लिखी। इसमें डल्लेवाल ने कहा कि हम सिर्फ केंद्र सरकार से बात करेंगे। कमेटी से मुलाकात के बावजूद वे शंभू या खनौरी बॉर्डर पर नहीं आईं। इतनी देरी से सक्रियता दिखा रही है। क्या यह कमेटी मेरी मौत का इंतजार कर रही थी?।
23 दिन से आमरण अनशन पर बैठे जगजीत डल्लेवाल को सहारा देकर ले जाते साथी किसान।
शंभू बॉर्डर खोलने के तुरंत आदेश से सुप्रीम कोर्ट इनकार कर चुकी 13 दिसंबर की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर तुरंत खोलने का आदेश देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि पंजाब और हरियाणा सरकार किसानों को हाईवे छोड़कर किसी दूसरी जगह प्रदर्शन शिफ्ट करने या कुछ समय के लिए स्थगित करने के लिए मनाए।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने किसान नेता डल्लेवाल की सेहत पर भी चिंता जताई थी। कोर्ट ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया था कि वह डल्लेवाल को फौरन मेडिकल सुविधा उपलब्ध करवाएं। डल्लेवाल से अनशन तुड़वाने के लिए कोई जबरदस्ती न की जाए।
शंभू बॉर्डर का मामला सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा, 6 पॉइंट में जानिए…
- 13 फरवरी 2024 से शंभू बॉर्डर पर किसान आंदोलन चल रहा है। इसके अलावा खनौरी बॉर्डर पर भी किसान आंदोलन पर बैठे हैं। यहां हरियाणा पुलिस ने बैरिकेडिंग कर उन्हें दिल्ली जाने से रोका हुआ है।
- 10 जुलाई 2024 को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने आदेश दिए थे कि एक हफ्ते में शंभू बॉर्डर को खोला जाए। इसके खिलाफ हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई।
- 12 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने एंबुलेंस, सीनियर सिटीजन्स, महिलाओं, छात्रों के लिए शंभू बॉर्डर की एक लेन खोलने के लिए कहा। इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी बनाई। जिसे सरकार और किसानों के बीच मध्यस्थता करनी थी।
- सुप्रीम कोर्ट की यह कमेटी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस नवाब सिंह की अध्यक्षता में बनाई गई। जिसमें पूर्व डीजीपी बीएस संधू, कृषि विश्लेषक देवेंद्र शर्मा, प्रोफेसर रंजीत सिंह घुम्मन, कृषि सूचनाविद डॉ. सुखपाल सिंह और विशेष आमंत्रित सदस्य प्रोफेसर बलदेव राज कंबोज शामिल हैं।
- कमेटी ने 10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम रिपोर्ट सौंपी। जिसमें उन्होंने कहा कि आंदोलन करने वाले किसान बातचीत के लिए नहीं आ रहे। किसानों से उनकी सुविधा के अनुसार तारीख और समय भी मांगा गया था लेकिन उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
- 13 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में डल्लेवाल के आमरण अनशन को लेकर सुनवाई हुई। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और केंद्र सरकार को कहा कि डल्लेवाल को तत्काल डॉक्टरी मदद दें। उन्हें जबरन कुछ न खिलाया जाए। आंदोलन से ज्यादा उनकी जान जरूरी है। इसके बाद पंजाब के डीजीपी गौरव यादव और केंद्रीय गृह निदेशक मयंक मिश्रा ने खनौरी बॉर्डर पहुंचकर उनसे मुलाकात की।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पंजाब के डीजीपी गौरव यादव के साथ केंद्रीय गृह निदेशक मयंक मिश्रा ने खनौरी बॉर्डर जाकर डल्लेवाल से मुलाकात की थी।
कमेटी के 18 दिसंबर को चंडीगढ़ बुलाने पर डल्लेवाल के जवाब की 3 अहम बातें…
आपने केंद्र से बातचीत कराने का प्रयास नहीं किया मेरी भूख हड़ताल को 22 दिन हो चुके है। शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच करते किसानों पर पुलिस ने अत्याचार किए। 40 किसान घायल हुए। किसानों और सरकारों के बीच विश्वास बहाली के लिए कमेटी ने कोई ठोस प्रयास नहीं किए। केंद्र से बातचीत कराने का भी गंभीर प्रयास नहीं किया।
कमेटी इतनी देर बाद सक्रिय हुई हमें संदेह था कि कमेटियां सिर्फ फॉर्मेलिटी के लिए बनाई जाती हैं। इसके बावजूद 4 नवंबर को आपसे मिले। मगर, कमेटी शंभू और खनौरी बॉर्डर पर नहीं आई। कमेटी इतनी देर बाद सक्रिय हुई।
आपसे बैठक करने में असमर्थ, केंद्र से बात करेंगे हमें कमेटी से ऐसी असंवेदनशीलता की उम्मीद नहीं थी। मेरी मेडिकल स्थिति और शंभू बॉर्डर पर घायल किसानों की स्थिति को देखते हुए हमारे दोनों मोर्चों ने फैसला किया है कि हम आपसे बैठक करने में असमर्थ हैं। अब हमारी मांगों पर जो भी बातचीत होगी, वह केंद्र सरकार से ही होगी।