उज्जैन में शनिवार को शनिचरी अमावस्या पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु त्रिवेणी स्थित शिप्रा नदी में डुबकी लगाने पहुंचे। खास बात ये है की शनिवार से ही चैत्र मॉस की नवरात्री का भी आरम्भ हुआ। उज्जैन में अमावस्या को देखते हुए श्रद्धालुओं का आगमन 28 मार्च, शुक
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त्रिवेणी घाट पर श्रद्धालुओं ने देर रात से स्नान शुरू कर दिया था। जो की शनिवार दोपहर तक चलेगा। श्रद्धालु स्नान के पश्चात शनि देव एवं नवग्रह का पूजन करने पहुंचे। अनुमान है कि इस बार करीब तीन से साढ़े तीन लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच सकते हैं। इसे देखते हुए जिला प्रशासन ने शनि मंदिर त्रिवेणी घाट सहित शिप्रा तट पर स्नान एवं सुरक्षा की व्यापक व्यवस्थाएं की हैं।
शनि मंदिर के पुजारी राकेश बैरागी ने बताया कि इस बार शनि देव का राशि परिवर्तन भी होगा शनिवार को होगा , इसलिए आज का दिन ख़ास होगा, अभी तक शनि देव कुम्भ राशि में विराजित थे ,अब कुम्भ से मीन राशि में प्रवेश करेंगे ,मकर राशि की साडे साती शनिवार को खत्म हो जायेगी कर्क और मकर राशि पर ढय्या चल रही थी वो भी खत्म हो जाएगी , अब शनिवार से मेष राशि वालो पर साडे साती शुरू होगी।
त्रिवेणी घाट पर फव्वारे से स्नान
देर रात से ही त्रिवेणी स्थित शनि मंदिर में दर्शन से पहले बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। इंदौर रोड स्थित नवग्रह शनि मंदिर में शनिचरी अमावस्या पर बड़ी संख्या में देश भर के ग्रामीण व शहरी श्रद्धालु स्नान और दर्शन के लिए पहुंचें। लिहाजा प्रशासन ने सुविधा पूर्वक दर्शन कराने के लिए चाक-चौबंद व्यवस्था की है। त्रिवेणी घाट पर फव्वारे से स्नान की व्यवस्था के लिए महिला और पुरूषों के लिए अलग-अलग व्यवस्था की है।
साथ ही महिलाओं को वस्त्र बदलने, पनौती के रूप में पुराने वस्त्र और जूते छोडऩे के लिए अलग स्थान तय किया है। श्रद्धालुओं को नदी में जाने से रोकने के लिए वे बेरिकेड्स लगाए है। वहीं मुख्य सड़क से मंदिर परिसर में 2 स्तर पर बैरिकेडिंग की गई है, जिसमें एक और से श्रद्धालु घाट पर स्नान के लिए जाएंगे और दर्शन के बाद बाहर आएंगे। इसी तरह दूसरे बेरिकेड्स से वे श्रद्धालु जाएंगे जो केवल शनिदेव के दर्शन करने के लिए आएंगे।
शनि, शिवलिंग स्वरूप में विराजित
शनिश्चरी अमावस्या का विशेष महत्व है। शुक्रवार रात्रि 12 बजे से पूजन प्रारंभ होगा, जिसके बाद रात्रिकालीन स्नान और शनि देव के पूजन का विशेष महत्व रहेगा। शनिवार को भी पूरे दिन स्नान और दर्शन का क्रम चलता रहेगा। पूरे भारत में यही एकमात्र स्थान है जहां शिवलिंग स्वरूप में शनि महाराज की स्थापना की गई है, जो श्रद्धालुओं के लिए विशेष आस्था का केंद्र है।ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार, इस बार शनिश्चरी अमावस्या पर शनि ग्रह का उदय भी रहेगा, जो एक अद्भुत ज्योतिषीय संयोग है। इसके साथ ही इस दिन चंद्रमा की पंचग्रही युति भी बन रही है, जिससे इस अमावस्या का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
शनि महाराज का तेल अभिषेक और शनि संबंधी वस्तुओं का दान करें
इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण, पूजन, शनि महाराज का तेलाभिषेक एवं शनि संबंधी वस्तुओं का दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। जिन जातकों को शनि की साढ़ेसाती अथवा ढय्या का प्रभाव है, उन्हें इस दिन शनि उपासना अवश्य करनी चाहिए। इससे उनके कार्यों में आ रही बाधाओं की निवृत्ति होगी और सफलता प्राप्त होगी।