चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (CSA), कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर में गुरुवार को एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। फसल अवशेष प्रबंधन योजना अंतर्गत स्कूल स्तरीय पर छात्र छात्राओं के लिए जागरूकता कार्यक्रम किय
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हानिकारक गैसों के बारे में बताया गया
जय जागेश्वर इंटर कॉलेज शिवली में आयोजित कार्यक्रम में मृदा वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने छात्र-छात्राओं को बताया कि फसल अवशेषों को आग लगा देने से हानिकारक गैसों से मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
बच्चों को किया जागरूक।
लोगों को सांस लेने में तकलीफ तथा आंखों में जलन होने लगती है। डॉ. खान ने बताया कि इसी एक टन पुआल को यदि मिट्टी में मिला दिया जाए तो 20 से 30 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 से 70 किलोग्राम पोटाश, 5 से 7 किलोग्राम सल्फर तथा 600 किलोग्राम ऑर्गेनिक कार्बन मिट्टी को मिल जाता है। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है।
इन यंत्रों का किया जाता है प्रयोग
उन्होंने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन के लिए स्ट्रॉ रीपर, स्ट्रॉ बेलर ,हैप्पी सीडर तथा मल्चर आदि यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. शशिकांत ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड जैसी गैसे उत्सर्जित होती है।
इससे वातावरण प्रदूषित होता है। प्रबंधक नवीन तिवारी ने पहले शपथ पढ़कर सुनाया। फिर बारी-बारी से शिक्षकों व बच्चों ने शपथ ली। इस मौके पर शुभम यादव, गौरव शुक्ला, रमाशंकर शुक्ल, रजत कटियार एवं प्रधानाचार्य अपर्णा तिवारी सहित सभी छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।