नगर निगम लुधियाना द्वारा 2017 से भले ही काऊ सैस इकट्ठा किया जा रहा है। लेकिन सड़कों में आवारा पशु आम लोगों के लिए एक बड़ी और गंभीर परेशानी बने हुए हैं। आवारा पशुओं की इस समस्या के चलते महिलाएं काफी चिंतित हैं।
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उनके अनुसार बच्चों के स्कूल से लौटने के समय उन्हें हमेशा चिंता रहती है कि बच्चे सुरक्षित घर पहुंचें। शेरपुर चौक, हैबोवाल, चंडीगढ़ रोड और हंबड़ां रोड की तरफ आवारा पशु काफी बड़ी गिनती में देखने को मिलते हैं।
जो सड़कों पर रहते हैं और स्कूटी, बाइक पर जाने वालों पर कई बार हमला भी कर देते हैं। वहीं, पशुओं के आपस की लड़ाई के दौरान भी वहां से गुजरने वालों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो जाते हैं। नगर निगम द्वारा 2017 से लेकर अब तक 35 करोड़ के आसपास काऊ सैस इकट्ठा किया जा चुका है।
जिले में बेसहारा पशुओं के कारण हादसों में पिछले साल के मुकाबले 4.55% की बढ़ोतरी
एनसीआरबी के डाटा के 2023 की रिपोर्ट के अनुसार लुधियाना में आवारा पशुओं के कारण होने वाले रोड एक्सीडेंट्स में इजाफा दर्ज किया गया। जिसमें पिछले साल के मुकाबले 4.55 फीसदी की बढ़ौतरी देखने को मिली। वहीं, पशुओं के टैग भी लगने के निर्देश थे जिससे कि अगर कोई भी व्यक्ति पशुओं को आवारा छोड़ कर जाता है तो उसके टैग से पहचान हो सके। लेकिन यह नियम भी पूरी तरह से लागू नहीं हो सका है। न ही इन पशुओं के गले में रेडियम भी लगे होते हैं ऐसे में अंधेरे में कई बार रास्ते में दिखते नहीं और इसके कारण भी हादसे हो चुके हैं।
