इंदुल फितर करीब है। बाजारों में रौनक बढ़ गई है। देर रात तक चहल-पहल है। शहर के बाजारों में सेवइयों की दुकानें सजी हैं। लोग अपने परिवार और मेहमानों के लिए खास सेवइयों की खरीदारी में जुटे हैं। ईद के दिन भोपाल में करीब 20 टन सेवइयों की खपत होने का अनुमान
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आसपास के शहरों में भी यहीं से सेवइयां जाती हैं। ऐसे में इसका कुल कारोबार 20 करोड़ रुपए का हो जाता है। इस बार आटा-मैदा महंगे होने की वजह से सेवइयों के दाम में 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। फिर भी लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ है। हैदराबाद और लखनऊ की मशहूर सेवइयों के साथ-साथ भोपाल में बनी सेवइयों की भी अच्छी मांग बनी हुई है। सेवइयों की खरीदी के लिए शहर के इब्राहिमपुरा, बुधवारा, इतवारा, जुमेराती, शाहजहांनाबाद, जहांगीराबाद, काजी कैंप और टीला जमालपुरा जैसे इलाकों में दुकानें सजी हुई हैं।
कुल 20 करोड़ रुपए के कारोबार का अनुमान
10 दिन पहले से पैकिंग शुरू... सेवइयां कारोबारी रियाज उद्दीन बताते हैं कि रमजान आने के 10 दिन पहले ही इसको बनाने और पैकिंग करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है। बाजार में 150 से 180 रुपए प्रति किलो की दर से मोटी और महीन सेवइयां उपलब्ध हैं। सबसे अधिक मांग भुनी हुई सेवइयों की है।
मशीनों से बनी सेवइयों का चलन…. स्थानीय व्यापारी मोहम्मद हुसैन बताते हैं कि रमजान के दौरान भी काफी लोग सेहरी और इफ्तार में इनका उपयोग कर रहे हैं। भोपाल में सेवइयों की परंपरा नवाबकाल से चली आ रही है। पहले घर-घर में हाथ से सेवइयां बनती थीं। अब मशीनों से बनी सेवइयों का चलन बढ़ा है।