Tuesday, April 1, 2025
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शिवना से पानी चोरी: कालाभाटा का जलस्तर घटकर 12 फीट हुआ – Mandsaur News



आदेश जारी होने के 3 माह बाद भी नपा शिवना नदी से पानी की चोरी नहीं रोक पाई है। प्रतिबंधित क्षेत्र पशुपतिनाथ मंदिर से रामघाट के बीच खुलेआम नदी किनारे सिंचाई मोटरों की सहायता से बड़ी मात्रा में पानी की चोरी हो रही है। हालात ऐसे ही रहे तो इस बार औसत से अ

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वहां से पानी चोरी नहीं हो रही है। यह क्षेत्र दूसरी छोर का है। जबकि नपा ने पिछली बार गर्मी सीजन में बैराज खाली होने के चलते इसी छोर का पानी उलीचकर शहरवासियों की प्यास बुझाई थी। गर्मी सीजन की शुरुआत में ही 21 फीट क्षमता वाले कालाभाटा बांध का जलस्तर घटकर 12 फीट पहुंच गया है। अन्य पेयजल स्त्रोत में भी लगातार कमी देखने को मिल रही है।

पेयजल संकट से निपटने नपा ने एसडीएम को 9 कुएं अधिग्रहित करने को लेकर भी पत्र लिखा। संभावना है कि अप्रैल माह के पहले सप्ताह में इन कुओं को अधिग्रहित करने की प्रक्रिया पूरी हो जाए।

टैंकर माफिया होने लगे सक्रिय… पानी की खपत बढ़ते ही शहर में टैंकर माफिया भी सक्रिय हो गए हैं। शहरवासियों का कहना है कि नपा ने हाल में ही टैक्स बढ़ोतरी का निर्णय लिया। यदि बावजूद इसके गर्मी में पेयजल को लेकर परेशानी बढ़ती है तो फिर लोगों को टैंकर या अन्य साधनों का उपयोग करना पड़ेगा।

पिछली बार से लेना होगा सबक बीते गर्मी सीजन में नपा ने राजस्थान क्षेत्र की सीमा में जाकर शहरवासियों के लिए पेयजल व्यवस्था की थी। बारिश की खेंच के चलते हालात भयावह हो गए थे। बीते सीजन से नपा को सबक लेना पड़ेगा वरना जल संकट झेलना पड़ेगा।

मावठा नहीं होने से डेम व तालाब सूखे, तेजी से गिर रहा भूजलस्तर

कन्हैयालाल सोनावा | जावरा सामान्यत: जलसंकट से सामना अप्रैल अंत तक होता है, लेकिन इस बार मार्च में ही इसकी आहट शुरू हो गई है। 2 दिन पहले कलेक्टर ने जिले के 6 ब्लॉक में सतही जल स्रोतों से सिंचाई व औद्योगिक उपयोग के साथ ही अन्य उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं ट्यूबवेल खनन भी बिना अनुमति नहीं होंगे। ये प्रतिबंध इसलिए लगाया है, क्योंकि इस बार नवंबर से फरवरी के बीच मावठे की बारिश नहीं हुई। मावठा नहीं होने से पूरी सिंचाई सतही व भू-जल स्रोतों से हुई है। इसलिए जलस्तर तेजी से गिर रहा है।

पीएचई इंजीनियर इरफान अली बताते हैं कि दिसंबर-जनवरी में मावठे की बारिश होने से भू-जलस्तर मेंटेन रहता है। इस बार मावठा नहीं तालाब, डेम सूख गए और सिंचाई पूरी तरह कुएं और ट्यूबवेल पर शिफ्ट हो गई। इसका असर अब भू-जलस्तर पर पड़ रहा है, क्योंकि सतही स्रोतों से आसपास के कुएं-ट्यूबवेल इत्यादि रिचार्ज होते हैं।

गर्मी में हर सप्ताह सिंचाई जरूरी: कृषि वैज्ञानिक सीआर कांटवा ने बताया जिन किसानों के पास स्त्रोत है, वे गर्मी में चरी, तिल, मूंग, मक्का की फसल लगाते हैं। इसके अलावा जिन्होंने प्याज की फसल लगा रखी है, अभी वह भी महीनेभर रहेगी। चूंकि तापमान बढ़ गया है।

भूजलस्तर 60 मी. नीचे: पीएचई अधिकारियों के मुताबिक जावरा ब्लॉक का भू-जलस्तर 55 मीटर तक नीचे चला गया है। वहीं आलोट व पिपलौदा ब्लॉक में यह 60 मीटर नीचे हैं। चूंकि सतही स्त्रोत जल्दी सूख गए, इसलिए ये और तेजी से गिरेगा। असर ये हुआ कि करीब 15% हैंडपंप बंद हो गए।



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