गंगा दशहरा का पावन पर्व हर साल ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि को मनाया जाता है क्योंकि इस तिथि को ही पृथ्वी पर गंगा का अवतरण हुआ था. गंगा दशहरा को गंगा अवतरण दिवस भी कहते हैं. राजा भगीरथ के अथक प्रयास से गंगा धरती पर आईं और उनके 60 हजार पूर्वजों को मोक्ष प्रदान किया था, जिसकी वजह से वे मोक्षदायिनी कहलाईं. इस साल गंगा दशहरा 5 जून शुक्रवार को है. उस दिन दो शुभ योग बन रहे हैं. जिन लोगों को अपने पितरों का उद्धार करना है, चाहे वे ज्ञात हैं या अज्ञात हैं तो यह एक अच्छा अवसर है. गंगा दशहरा पर आप आसान उपाय करके अपने पितरों को मुक्ति दिला सकते हैं.
गंगा दशहरा पर मिट जाएंगे सारे पाप
काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार, गंगा दशहरा को किसी भी तीर्थ स्थल पर गंगा स्नान करने और दान करने से पाप मिट जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति हो जाती है. जो लोग गंगा में स्नान नहीं कर सकते हैं, वे लोग घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें और मां गंगा के आशीर्वाद से वंचित न रहें. गंगा की उत्पत्ति ही लोगों को मुक्ति और मोक्ष प्रदान करने के लिए हुआ.
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गंगा दशहरा मुहूर्त 2025
गंगा दशहरा तिथि का प्रारंभ: 4 जून, बुधवार, 11:54 पीएम से
गंगा दशहरा तिथि का समापन: 6 जून, शुक्रवार, 2:15 एएम पर
स्नान का सबसे उत्तम समय: 5 जून, ब्रह्म मुहूर्त 04:02 ए एम से 04:42 ए एम तक
गंगा दशहरा पर पितरों के लिए उपाय
पौराणिक कथा के अनुसार कपिल मुनि के श्राप से राजा सगर के 60 हजार पुत्र भस्म हो गए थे, तो उनके उद्धार के लिए राजा भगीरथ ने कठोर तपस्या करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया. उसके बाद मां गंगा धरती पर अवतरित हुईं. उनके स्पर्श मात्र से ही राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मुक्ति मिल गई और वे मोक्ष के अधिकारी बन गए.
ऐसे में जिन लोगों को अपने पितरों को मुक्ति प्रदान करानी है, चाहें पितरों का पता हो या जिन पितरों के बारे में नहीं जानते हैं, उन सबके लिए आप यह उपाय कर सकते हैं. इसके लिए आपको गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान करना है. उसके बाद सफेद वस्त्र धारण करके गंगा के जल से अपने सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों के लिए तर्पण करना है.
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तर्पण के समय आप मां गंगा का ध्यान करके कहें कि हे मां गंगा! जिस प्रकार से आपने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मुक्ति प्रदान की थी, उनकी आत्माओं को सद्गति दी थी, ठीक वैसे ही आप हमारे सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों को भी मुक्ति प्रदान करें, जो चाहें प्रेत योनि में भी क्यों न हों. हे मोक्षदायिनी! मेरे सभी पितरों को भी मोक्ष प्रदान करें ताकि वे इस जन्म और मरण के बंधन से मुक्त होकर भगवत शरण को प्राप्त हो जाएं.
तर्पण के बाद पिंडदान और दान
गंगा दशहरा पर पितरों के लिए तर्पण करना सबसे अच्छा उपाय है. उसके बाद आप चाहें तो पितरों के लिए पिंडदान कर सकते हैं. अन्न और वस्त्र का भी दान कर सकते हैं. इससे आपके पितर तृप्त होंगे और आशीर्वाद देंगे. ऐसा करने से आपकी भी उन्नति होगी. आपके दुख और दरिद्रता का नाश होगा.