बुंदेलखंड के राई नृत्य को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले जाने माने राई नर्तक पद्मश्री रामसहाय पांडे (92) का निधन हो गया। उनका शहर के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। अस्पताल में ही मंगलवार सुबह 8 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। राजकीय सम्मान के साथ उ
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मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ट्वीट कर पद्मश्री पांडे के निधन पर शोक व्यक्त किया है। श्रद्धांजलि स्वरूप लोक कलाकारों ने उनकी अंतिम यात्रा राई नृत्य काया शैली में करते हुए निकाली। 92 साल के राम सहाय पांडे ने बुंदेलखंड के राई नृत्य को अंतरराष्ट्रीय पहचान दी।
लोक कला के संरक्षण और प्रदर्शन के लिए केंद्र सरकार ने उनके लिए 2022 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा था। 11 मार्च 1933 को सागर के ग्राम मडधार पठा में जन्में रामसहाय पांडे ने अपना पूरा जीवन राई नृत्य कला को समर्पित कर दिया था।
बाद में वे सागर से लगे कनेरा देव गांव में आकर बस गए और जीवनभर वहीं रहकर राई नृत्य कला को सम्मान दिलाने का काम किया। लोक कलाकार पांडे को मप्र सरकार द्वारा 1984 में शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया। 1980 में मप्र सरकार द्वारा ही नृत्य शिरोमणि की उपाधि से सम्मानित किया गया। 1980 में ही पांडे आदिवासी लोक कला परिषद के सदस्य चुने गए। जापान सहित उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर राई नृत्य का प्रदर्शन किया।