‘सवाल तो बहुत हैं। कभी आफताब सामने आया तो उससे पूछूंगा। श्रद्धा से कितनी भी अनबन थी, झगड़ा था, बनती नहीं थी, लेकिन उसके साथ ऐसा क्यों किया। वो उसे छोड़ भी तो सकता था।’
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ये सवाल पूछ रहे श्रीजय, श्रद्धा वालकर के भाई हैं। वही श्रद्धा, जिसका उसके लिव इन पार्टनर आफताब पूनावाला ने 18 मई 2022 को मर्डर किया, शरीर के 35 टुकड़े कर फ्रिज में रखे और फिर धीरे-धीरे जंगलों में फेंक दिए। श्रीजय, श्रद्धा से 4 साल छोटे हैं। उन्हें बहन को खोने का गम है और गुस्सा भी। ये गुस्सा श्रद्धा के लिए ही है। श्रीजय को लगता है कि श्रद्धा की एक गलती ने सब खत्म कर दिया।
श्रद्धा का केस लड़ रहे पिता विकास वालकर का हार्ट अटैक से निधन हो गया। अब केस लड़ने की जिम्मेदारी श्रीजय की है। वे पहली बार कैमरे पर आए। उनके भीतर झिझक तो थी ही, कई सवाल भी थे। बातचीत शुरू होने से पहले उन्होंने पूछा- ‘पापा तो कई बार मीडिया के सामने आए थे, क्या मेरे आने से केस पर कुछ फर्क पडे़गा।’
पहले मां, फिर दीदी और पापा, 5 साल में पूरा परिवार खत्म श्रीजय शुरुआत फैमिली से ही करते हैं। कहते हैं, ‘5 साल में पूरा परिवार खत्म हो गया। पहले मां गईं। फिर दीदी और पापा। दादी थीं, उन्हें भी बुआ ले गईं। दादी की तबीयत ठीक नहीं रहती। बुआ ने कहा कि इनकी देखरेख कौन करेगा। फिर वो उन्हें अपने साथ ले गईं। अब मैं घर में अकेला रह गया हूं। खुद खाना बनाता हूं। ऐसे ही गुजारा हो रहा है।’
फिर हमने आफताब और श्रद्धा के बारे में सवाल किए…
सवाल: क्या आपको आफताब के बारे में पता था? जवाब: हां। 2021 में दीदी हमारे साथ रहने आई थीं। हमने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की। कहा कि अब हमारे साथ घर पर ही रहो। पापा ने बहुत समझाया। मैंने भी समझाया कि मॉम जा चुकीं हैं। आप, मैं और पापा ही बचे हैं। हम फैमिली की तरह रहते हैं।
दीदी पर आफताब का इतना इन्फ्लुएंस था कि वो फैमिली की भी नहीं सुनती थीं। उन्होंने फैमिली को तवज्जो नहीं दी। पहले वो सबकी बात सुनती थीं। सबकी इज्जत करती थीं। हमने उन्हें बहुत समझाया, लेकिन वो हमें छोड़कर आफताब के साथ रहने चली गईं।
आफताब के साथ रिश्ता जुड़ने के बाद उनका व्यवहार बदल गया था। दीदी ने बैचलर इन मास मीडिया का कोर्स किया था, लेकिन अपनी फील्ड में जॉब नहीं कर रही थीं। कॉल सेंटर जॉइन कर लिया। पापा, मम्मी और मुझे उनकी जॉब पसंद नहीं थी। हमने उन्हें बहुत समझाया, लेकिन उन्होंने कॉल सेंटर नहीं छोड़ा। एक गलती और सब खत्म हो गया।

सवाल: क्या परिवार को आफताब और श्रद्धा का रिश्ता पसंद नहीं था? जवाब: आफताब और दीदी का रिश्ता किसी को पसंद नहीं था। इसे लेकर अक्सर घर में झगड़े होते थे। तू-तू मैं-मैं होती थी। इसी से गुस्सा होकर दीदी आफताब के साथ रहने चली गई थीं।
मम्मी इस रिश्ते के खिलाफ थीं। पापा तो बहुत ज्यादा नाराज थे। 2021 में एक बार आफताब घर पर आया था। मम्मी उसे देखकर बहुत नाराज हुई थीं। पापा तो उसके घर में आने के भी खिलाफ थे।
सवाल: आप श्रद्धा से आखिरी बार कब मिले थे? जवाब: 2021 के आखिर में वो घर आई थीं। उनसे मेरी बात 2022 में भी हुई थी। दीदी और आफताब के बीच मारपीट-झगड़े की बात हम तक नहीं पहुंची। शायद आफताब ने पहुंचने ही नहीं दी। हमें बहुत देर से पता चला। तब तक दीदी के साथ ये सब हो गया था। हम उनसे पूछते थे कि कैसी हो, कहां हो, ठीक तो है, पर उन्होंने कभी खुलकर कुछ नहीं बताया।
सवाल: आफताब आपको कैसा लगा था? जवाब: 2021 में पहली बार मैं आफताब से मिला। वो घर आया था। इस पर घर में खूब झगड़ा हुआ। आफताब से मैं एक बार और मिला। हम घर से बाहर मिले थे। कभी ऐसा नहीं लगा कि वो ये सब कर सकता है। शायद वो खुद को छिपाता होगा या शायद हम ही नहीं समझ पाए।

सवाल: श्रद्धा के बारे में क्या याद आता है? जवाब: मैं उनसे छोटा था। हम दोनों ट्रैकिंग पर जाते थे, तब वो मेरा बहुत ख्याल रखती थीं। उन्हें ट्रैकिंग बहुत पसंद थी। मैं जब भी दीदी को याद करता हूं तो उनके साथ ट्रैकिंग करना याद आता है। हमारे बीच बहुत प्यार था।
पापा दीदी का अंतिम संस्कार करना चाहते थे। कई बार सोचा कि बिना उनकी अस्थियों के क्रियाकर्म कर दें। हमारे गुरुजी ने कहा- अगर अस्थियां मौजूद हैं तो उनके मिलने का इंतजार करना चाहिए। बिना अस्थियों के संस्कार पूरा नहीं होगा। अब मैं दीदी का अंतिम संस्कार करूंगा।
सवाल: कभी आफताब की फैमिली से मिले थे? जवाब: आफताब का घर उस वक्त मुंबई में ही था। दीदी के मर्डर के बाद कई बार पापा उसके घर गए। वे लोग कहते थे कि उनका आफताब से कोई संबंध नहीं है। कई बार तो बहुत बेइज्जती करके पापा को भगा दिया। फिर कुछ समय बाद उन लोगों ने घर छोड़ दिया। अब पता नहीं कहां हैं।
अब केस का अपडेट
श्रद्धा के 35 टुकड़ों की कहानी सामने लाने वाले की गवाही पूरी हमने केस के बारे में जानने के लिए श्रीजय की तरफ से पैरवी कर रहीं वकील सीमा कुशवाहा से बात की। वे बताती हैं, ‘इस केस में इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर रामसिंह अहम कड़ी हैं। आफताब से पूछताछ करने और श्रद्धा के 35 टुकड़ों का सुराग लाने वाले रामसिंह की गवाही पूरी हो चुकी है।’
‘अब तक जितनी गवाही हुई हैं, उनमें ये सबसे लंबी गवाही थी। फरवरी के आखिर से राम सिंह की गवाही शुरू हुई और 29 मई को पूरी हुई। अब डिफेंस के लॉयर उनसे क्रॉस क्वेश्चन करेंगे।’
वे आगे कहती हैं, ‘इसे ऐसे समझिए कि केस में अब तक जमा किए तथ्यों, सबूतों और गवाही को राम सिंह के जरिए फिर सुना जा रहा है। इन्वेस्टिगेशन के जरिए सामने आई मर्डर की पूरी कहानी कोर्ट में तथ्यों के साथ विस्तार से न सिर्फ सुनी जा रही है, बल्कि हर तथ्य पर डिफेंस का लॉयर सवाल भी करेगा।

मर्डर के खुलासे के बाद पुलिस श्रद्धा के शव के टुकड़ों और सबूतों की तलाश में आफताब को जंगल में लेकर गई थी। यहां से श्रद्धा की हड्डियां मिली थीं।
अब जल्दी ही आफताब की गवाही होगी क्या आफताब की गवाही हो गई है? सीमा कहती हैं, ‘अब तक आफताब की गवाही नहीं हुई है। हालांकि हर बार आफताब की हाजिरी कोर्ट में जरूर लगती है। वो हर सुनवाई में शामिल होता है। पुलिस ने उससे जो पूछताछ की है, अभी वही चार्जशीट में शामिल है। लगभग सभी अहम गवाहों की गवाही के बाद आरोपी की गवाही होती है।’
सीमा कुशवाहा आफताब के वकील पर आरोप लगाती हैं, ‘डिफेंस लॉयर ने जानबूझकर इस केस को लंबा खींचा। कभी तारीखों पर नहीं आए, तो कभी दूसरे केस का बहाना बनाकर तारीखों में लंबा गैप करवाया। बिना डिफेंस के लॉयर के किसी गवाह की गवाही पूरी नहीं हो सकती।’
वे आगे कहती हैं, ‘दूसरी बात हमारे यहां कोर्ट के ट्रायल का प्रोसिजर बहुत लंबा है। खासतौर पर जब हमारे पास कोई चश्मदीद नहीं है। सारे सबूत सिचुएशनल हैं। किसी ने मर्डर होते नहीं देखा। हालांकि मर्डर आरोपी ने ही किया है, इस बात के सिचुएशनल सबूत हैं। इसलिए ये केस निर्भया के केस से बहुत मुश्किल है। निर्भया के केस में चश्मदीद उसका दोस्त था और बयान दर्ज कराने तक खुद निर्भया भी जिंदा थी।’

CCTV फुटेज में आफताब रात में बैग ले जाते दिख रहा है। पुलिस ने शक जताया था कि वो रात में श्रद्धा की बॉडी के टुकड़े फेंकने निकलता था।
212 गवाह, 169 की गवाही पूरी सीमा कुशवाहा कहती हैं, ‘हम कन्क्लूजन के काफी करीब खड़े हैं। मेन और सप्लीमेंट्री चार्जशीट में 212 गवाहों के नाम हैं। अब तक 169 गवाहों की गवाही पूरी कर ली है। सभी अहम गवाही हो चुकी हैं। अब जो गवाह बाकी हैं, उनमें ज्यादातर ऐसे हैं, जिनसे कुछ से एफिडेविट लिया जाएगा। उन्हें कोर्ट में आने की जरूरत नहीं है।’ डिफेंस लॉयर के गवाहों में आफताब और श्रद्धा का कॉमन फ्रेंड भी है।
सोर्स के मुताबिक, ‘इस केस में आफताब के लॉयर ने अब तक करीब 8 गवाहों के एफिडेविट जमा किए हैं। इसमें श्रद्धा और आफताब का एक कॉमन फ्रेंड भी है। उसके नाम का खुलासा नहीं किया जा सकता है, लेकिन ये दोनों का खास दोस्त है। इन सबकी लिखित में गवाही जमा की गई है। कोई भी कोर्ट में फिजिकली पेश नहीं हुआ है। जरूरत पड़ने पर इन्हें कोर्ट में लाया जाएगा।’
एडवोकेट सीमा कुशवाहा कहती हैं, ‘सुनवाई का प्रोसिजर होता है कि उस केस की प्रॉपर्टी हर बार कोर्ट लाई जाती है। इस केस में श्रद्धा की बोन्स, फ्रिज, चाकू और दूसरे सामान कोर्ट में हर बार लाए जाते हैं। केस का छोटे से छोटा सबूत भी कोर्ट में लाया जाता है। इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर से हर चीज एग्जामिन करवाई जाती है।’

श्रद्धा ने नवंबर, 2020 में पालघर के तुलिंग पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि आफताब मेरे साथ बुरा बर्ताव करता है। मारता-पीटता है। उसने मेरा गला दबाकर मारने की कोशिश की।
आफताब की क्रूरता की पूरी कहानी
श्रद्धा के टुकड़े किए, चेहरा जलाया, फिर टुकड़े जंगल में फेंकता रहा आफताब और श्रद्धा पहली बार मुंबई में मिले थे। फिर साथ रहने लगे। 2019 में नयागांव में रहे। अक्टूबर 2020 में वसई में फ्लैट किराए पर लिया। दोनों जगह आफताब ने श्रद्धा को पत्नी बताया था।
8 मई 2022 को दोनों दिल्ली आए। यहीं छतरपुर में फ्लैट किराए पर लिया। 18 मई को झगड़े के बाद आफताब ने श्रद्धा का मर्डर कर दिया। लाश का चेहरा जलाया, जिससे कोई पहचान न सके।
पूछताछ में उसने बताया कि श्रद्धा की लाश काटने के दौरान वो बीयर पीता रहा। जोमैटो से खाना मंगाकर खाता रहा। अगले 18 दिन तक रोज रात को 12 बजे निकलता और लाश के टुकड़े छतरपुर के जंगल में फेंक आता। कुछ हड्डियां बड़ी थीं, तो उन्हें ग्राइंड करके फेंका।
आफताब ने कबूल किया है कि उसे श्रद्धा के शव के टुकड़े करने में करीब 10 घंटे लगे थे। उसने एक घंटे तक सभी टुकड़ों को पानी से धोया। इसके बाद पॉलिथीन में बंद कर फ्रिज में रख दिया। पुलिस पूछताछ में पता चला है कि दिल्ली में आकर रहने से पहले श्रद्धा और आफताब हिमाचल प्रदेश के कसौल गए थे और यहां भी होटल के भीतर उनका झगड़ा हुआ था।

श्रद्धा के मर्डर के बाद आफताब ने अगले दिन एक फ्रिज खरीदा। श्रद्धा की डेडबॉडी के टुकड़े किए और फ्रिज में रख दिए।
मोबाइल और पैसे ट्रांसफर करने से पकड़ में आया आफताब आफताब शुरुआत में पुलिस को चकमा देता रहा। हालांकि बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करके फंस गया। मानिकपुर पुलिस ने 3 नवंबर 2022 को उसका लिखित बयान लिया, तब तक पुलिस केस पर काफी काम कर चुकी थी। उसके पास श्रद्धा के मोबाइल की लोकेशन और बैंक ट्रांसफर का डेटा था।
श्रद्धा की हत्या 18 मई की रात करीब 10 बजे की गई थी, लेकिन उसका मोबाइल फोन 26 मई को बंद हुआ। पुलिस के मुताबिक 22 से 26 मई के बीच आफताब ने श्रद्धा के अकाउंट से अपने अकाउंट में 54 हजार रुपए ट्रांसफर किए थे। आखिरी बार श्रद्धा का मोबाइल बंद हुआ, तो उसकी लोकेशन दिल्ली में छतरपुर में ही थी।

श्रद्धा मर्डर केस से जुड़ी ये रिपोर्ट भी पढ़िए… बार-बार वकील बदल रहा आफताब, चेहरे पर पछतावा नहीं

श्रद्धा मर्डर केस दिल्ली के साकेत कोर्ट में है। अभी गवाहियां चल रही हैं। इस दौरान आफताब बार-बार वकील बदलता रहा। चेहरे पर कोई पछतावा नहीं। पुलिस से जुड़े सोर्स बताते हैं कि वो कोर्ट में बिल्कुल चुप रहता है। सिर्फ अपने वकील से बात करता है। हाथ में हमेशा केस की चार्जशीट होती है। फिर भी सवाल यही है कि आफताब को सजा कब मिलेगी। पढ़िए पूरी खबर…