भुवनेश्वर32 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
चार धामों में से एक, ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की जमीन संकट में है। यहां भगवान की जमीन पर कब्जा और अवैध खरीद-फरोख्त का मामला पिछले कुछ महीने से सुर्खियों में है। राज्य में भगवान जगन्नाथ की कुल 60 हजार 426 एकड़ जमीन है। इसके एक बड़े हिस्से पर सालों से अवैध कब्जा बना हुआ है।
खुद राज्य सरकार ने विधानसभा में माना है कि भगवान की जमीन पर अवैध कब्जे के 974 मामले दर्ज हैं। अब सरकार इन कब्जाधारियों को जमीन बेचकर 8 से 10 हजार करोड़ रुपए फंड जुटाने की तैयारी कर रही है। हालांकि जगन्नाथ मंदिर के मुख्य पुजारी इसका विरोध कर रहे हैं।
ताजा विवाद तब शुरू हुआ जब मंदिर प्रशासन ने कब्जाधारियों पर मंदिर से दो किलोमीटर दूर भगवान की 64 एकड़ जमीन बेचने का आरोप लगाया। यानी, सरकार से पहले कब्जाधारी ही भगवान की जमीन बेचकर पैसा कमाने में जुट गए।
इस मामले में पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया। यह भगवान की जमीन पर कब्जा और उसे बेचने के मामले में गिरफ्तारी का पहला मामला है। दैनिक भास्कर ने मौके पर जाकर पूरा मामला समझने की कोशिश की। पढ़िए ये ग्राउंड रिपोर्ट…

पुरी स्थित बसेलिसाही इलाके की पुलिस ने 20 दिसंबर को 6 लोगों को गिरफ्तार किया था।
512 करोड़ की कीमत वाली 64 एकड़ जमीन बेचने का आरोप श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) ने 16 नवंबर को पुरी के बसेलिसाही पुलिस स्टेशन में महावीर जन सेवा संघ नाम के संगठन के खिलाफ FIR दर्ज करवाई थी। संगठन से जुड़े लोगों पर माटीतोटा इलाके में 64 एकड़ में फैले 109 प्लॉट की अवैध खरीद-फरोख्त का आरोप है। इन प्लॉट्स की मौजूदा मार्केट वैल्यू करीब 512 करोड़ है।
पुलिस ने 20 दिसंबर को संगठन के अध्यक्ष और इससे जुड़े 6 लोगों को गिरफ्तार किया। इनकी पहचान सिसुला बेहरा, सानिया बेहरा, जसोबंता बेहरा, मोहन बेहरा, रत्नाकर बेहरा और बाबू बेहरा के तौर पर की गई।
पुलिस ने दावा किया कि आरोपियों ने कुल खाता नंबर-38 के 109 प्लॉट में से केवल प्लॉट नंबर-143 की अवैध बिक्री की थी। इसके लिए 28 लाख रुपए का लेन-देन भी हुआ था। आरोपियों के पास से 4.5 लाख रुपए कैश भी जब्त हुए।’
भास्कर की पड़ताल में एक और प्लॉट बेचने का खुलासा हालांकि भास्कर की पड़ताल में खाता नंबर-38 का प्लॉट नंबर-118 बेचने का भी पता चला। इस प्लॉट का एक डॉक्यूमेंट भी हाथ लगा, जिसके मुताबिक महावीर जन सेवा संघ ने 23 अक्टूबर, 2023 को खाता नंबर-38 के प्लॉट नंबर-118 की 30 डिसमिल जमीन निखिल उत्कल विश्वकर्मा समिति नाम के एक दूसरे संगठन को 3 लाख रुपए में दी थी।
डॉक्यूमेंट पर महावीर जन सेवा संघ का रजिस्ट्रेशन नंबर 5902/119/2002 और निखिल उत्कल विश्वकर्मा समिति का रजिस्ट्रेशन नंबर 224/19/1985 भी दर्ज है। ओडिशा सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर खाता नंबर-38 का प्लॉट नंबर-118 भगवान जगन्नाथ के नाम पर दर्ज है।

आरोपियों ने इस प्लॉट को नोटरी के जरिए निखिल उत्कल विश्वकर्मा समिति को बेच दिया। अब यहां बाउंड्री भी कर दी गई है। जमीन के लेन-देन को वैध दिखाने के लिए इसे अतिक्रमण हस्तांतरण प्रक्रिया (एनक्रोचमेंट ट्रांसफर प्रोसेस) का नाम दे दिया गया।
जमीन माफिया यह दिखाना चाहते थे कि उनका इस जमीन पर सालों से कब्जा है और उन्होंने 3 लाख रुपए लेकर खरीदार को उस जमीन का कब्जा ट्रांसफर कर दिया। जमीन बेचने वालों में शामिल सुशांत बेहरा और भिखारी बेहरा, महावीर जन सेवा संघ का पूर्व अध्यक्ष और पूर्व उपाध्यक्ष रह चुका है। दोनों अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। गिरफ्तार हुए 6 लोगों में सुशांत बेहरा का बेटा भी शामिल है।

प्लॉट नंबर- 118 को बाउंड्री से घेरकर लोहे का गेट लगा दिया गया है।
मंदिर की देखरेख के लिए बनाया गया था महावीर जन सेवा संघ जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने माटितोटा में जिन 109 प्लॉट्स को बेचने का आरोप लगाया है, उन पर अभी करीब 200 परिवारों का अतिक्रमण है। यहां एक हनुमान मंदिर भी है, जो श्रीजगन्नाथ की जमीन पर ही बना है। साल 2002 में इस मंदिर की देखरेख के लिए महावीर जन सेवा संघ क्लब बनाया गया था।
इस क्लब में करीब 30 लोग शामिल हैं, जिनमें ज्यादातर दिहाड़ी मजदूर या मछुआरे हैं। इन्होंने हनुमान मंदिर और उसके आसपास की कई जमीन को हड़प कर अपने परिवार के सदस्यों, क्लब मेंबर्स और बाहरी लोगों को बेच दिया।

माटितोटा का हनुमान मंदिर, जिसकी देखरेख महावीर जन सेवा संघ करता है।
खुर्दा में श्रीजगन्नाथ की सबसे ज्यादा जमीन, पुरी दूसरे नंबर पर भगवान की जमीन बेचने का मामला सामने आया तो राज्य के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने घोषणा कर दी कि सरकार कब्जाधारियों को जमीन बेच देगी। कानून मंत्री ने कहा, ‘पुरी सहित राज्य के अन्य जिलों में लोगों का लंबे समय से जमीन पर कब्जा रहा है। हम उन्हें किफायती दरों पर जमीन बेचने की योजना बना रहे हैं। इससे 8 से 10 हजार करोड़ रुपए तक का फंड जोड़ा जा सकता है।’
पूर्व बीजद सरकार ने 2023 में विधानसभा में बताया था कि ओडिशा के 30 जिलों में से 24 जिलों में भगवान जगन्नाथ की 60 हजार 426 एकड़ जमीन है। राज्य के बाहर महाप्रभु की 395 एकड़ जमीन है। ओडिशा के खुर्दा जिले में भगवान की सबसे ज्यादा 26 हजार 816 एकड़ जमीन है। दूसरे नंबर पर पुरी है, जहां 16 हजार 712 एकड़ जमीन है।
अब सवाल यह है कि भगवान जगन्नाथ की कितनी जमीन बेचकर सरकार 10 हजार करोड़ जुटाएगी? पुरी में भगवान जगन्नाथ की कितनी जमीन पर अतिक्रमण है? क्या अवैध खरीद-फरोख्त का खेल सिर्फ 64 एकड़ में हुआ?

भास्कर ने इन सवालों के जवाब जानने के लिए पुरी के राजा गजपति महाराज दिव्यसिंह देव से बात करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि इस विवाद पर मंदिर के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर IAS अरविंद पाढ़ी का बोलना ही बेहतर होगा।
नवंबर, 2024 से दिसंबर, 2024 के दौरान, अरविंद पाढ़ी से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने हर बार व्यस्तता का हवाला देकर टाल दिया। बतौर चीफ एडमिनिस्ट्रेटर, पाढ़ी पर मंदिर की संपत्तियों के रिकॉर्ड संभालने और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी है। मंदिर का चीफ एडमिनिस्ट्रेटर राज्य सरकार के कानून विभाग के अधीन काम करता है।
कानून मंत्री बोले- कब्जाधारियों को जमीन बेचकर फंड जुटाएंगे कानून मंत्री पृथ्वीराज से मामले पर बातचीत की कोशिश की तो उन्होंने कहा, ‘ओडिशा सरकार राज्य के अंदर और बाहर भगवान जगन्नाथ की कब्जे वाली जमीन से जुड़े विवादों को सुलझाने की कोशिश कर रही है। इसके तहत छोटे प्लॉट को सस्ती दरों पर कब्जेधारियों के लिए वैध किया जाएगा, जबकि बड़े प्लॉट मार्केट वैल्यू के हिसाब से बेचे जाएंगे।’
‘अवैध कब्जे वाली जमीन को बेचकर 8 हजार करोड़ से 10 हजार करोड़ रुपए का फंड जुटाया जा सकता है। इस फंड का इस्तेमाल मंदिर की जरूरतों को पूरा करने और उसकी अन्य संपत्तियों की देखभाल के लिए किया जाएगा। फर्जी दस्तावेजों के जरिए जमीन खरीदने और बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।’

मुख्य पुजारी बोले- जमीन माफियाओं से मंदिर के लोगों की मिलीभगत जगन्नाथ मंदिर के मुख्य बाड़ग्रही (पुजारी) जगुनी स्वाईं महापात्र ने कब्जाधारियों के जमीन देने के फैसले पर सरकार का विरोध किया। उन्होंने कहा, ‘लोगों को भगवान की जमीन देने की क्या जरूरत है। घर बनाने के नाम पर लोगों ने कब्जा कर रखा है। जिनको 2-3 डिसमिल चाहिए, उन्होंने 1-1 हजार डिसमिल कब्जे में रखा है।’
‘जमीन माफिया उन जमीनों को बेचकर करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। सरकार को उनके कब्जे से जमीन छुड़ानी चाहिए। भगवान की जमीन पूरे ओडिशा में है। मंदिर के कुछ लोग माफियाओं के साथ मिलकर भगवान की जमीन को अवैध तरीके से बेच रहे हैं। बीजू जनता दल (BJD) की पूर्व सरकार काफी समय तक सत्ता में रह गई, जिससे जमीन माफियाओं को बढ़ावा मिल गया।’

‘सरकार के कुछ लोग भी माफियाओं से मिले हुए थे। अगर सरकार चाहेगी, तो ये सारे अवैध धंधे बंद हो जाएंगे। कब्जाधारियों को जमीन से बेदखल करना चाहिए। भगवान की जमीन भगवान को ही मिलनी चाहिए। समय आने पर वहां महाप्रभु के नाम पर धर्मशाला या गौशाला बनाई जाएंगीं।’
पूर्व चीफ सेक्रेटरी बोले- जमीन बेचने वाले गिरोह में बड़े चेहरे शामिल पूर्व बीजद सरकार में ओडिशा के चीफ सेक्रेटरी और पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के सेक्रेटरी जनरल रह चुके, बिजय कुमार पटनायक ने कहा, ‘भगवान की जमीन की अवैध खरीद-बिक्री करने वाले गिरोह में कुछ बड़े और प्रभावशाली चेहरे शामिल हैं। सिर्फ चंद लोग मिलकर इतना बड़ा काम नहीं कर सकते। हो सकता है कि प्रशासन पर उनका दबाव हो, जिसकी वजह से कार्रवाई में देरी हो रही है। भगवान जगन्नाथ की जमीन के साथ जो हो रहा है, वो हर कोई देख और समझ सकता है।’

बिजय कुमार पटनायक 2010 से 2013 के दौरान ओडिशा के चीफ सेक्रेटरी थे।
कब्जाधारी बोले- 4 पीढ़ियों से रह रहे, तूफान में घर उजड़ा, पेपर नहीं भगवान जगन्नाथ की जमीन बेचकर एक तरफ जमीन माफिया अपनी जेब भर रहे हैं, तो दूसरी तरफ ऐसे परिवार भी हैं, जिनके पास भगवान की जमीन के अलावा कोई दूसरा ठिकाना नहीं है। उन्हीं में से एक हैं, बिजय बेहरा। बिजय एक दिहाड़ी मजदूर हैं।
उनके परिवार की 4 पीढ़ियां माटीतोटा में खाता नंबर- 38 के प्लॉट नंबर-103 पर रहती आ रही हैं। उनके पिता, दादा और परदादा, तीनों की जिंदगी पुरी के एमार मठ में काम करते हुए बीत गई। एमार मठ एक समय में पुरी के सबसे धनी मठों में से एक माना जाता था।

बिजय ने कहा, ‘एमार मठ ने मेरे परदादा को इस जमीन पर रहने की इजाजत दी थी। मठ ने जमीन के कागज भी दिए थे, लेकिन पुरी में लगभग हर साल आने वाले तूफानों और चक्रवातों में हमारा घर कई बार उजड़ा और बसा। इस दौरान जमीन के कागज गुम हो गए।’
‘बीजद सरकार के समय अधिकारियों ने कहा था कि सरकारी योजना के तहत इसी जमीन पर घर बनवा देंगे। घर के इंतजार में तीन साल बीत गए। मजबूरन मैंने इस साल खुद ही अपने पक्के घर की नींव डाली, लेकिन अब मौजूदा सरकार ने काम पर रोक लगा दी है।’ सरकार ने बिजय और उनके जैसे कई परिवारों को जमीन छोड़ने के लिए नोटिस जारी किया है।’

………………………………………………..
ये खबरें भी पढ़ें…
जगन्नाथ मंदिर में 46 साल बाद खजाना निकला: भीतरी रत्न भंडार में सोने से भरी 4 अलमारी, 3 संदूक मिले

ओडिशा के पुरी में महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर के भीतरी रत्न भंडार में रखा खजाना 18 जुलाई को निकाला गया। रत्न भंडार में मोटे कांच की तीन और लोहे की एक (6.50 फुट ऊंची, 4 फुट चौड़ी) अलमारियां मिलीं। इसके अलावा 3 फीट ऊंचे और 4 फीट चौड़े लकड़ी के दो संदूक और एक लोहे का संदूक था। सभी के अंदर कई सारे बॉक्स रखे हुए थे, जिनमें सोना था। पूरी खबर पढ़ें…
कर्नाटक का KGF मिनी इंग्लैंड से भूतिया शहर बना: 30 लाख टन सोने का भंडार, पर माइनिंग बंद; लोग बोले- कुली जैसी जिंदगी

KGF यानी कोलार गोल्ड फील्ड्स। यह कर्नाटक के कोलार जिले में स्थित एक शहर है। बेंगलुरु से करीब 100 KM दूर इस जगह का इतिहास और वर्तमान फिल्म से काफी अलग है। ब्रिटिश और भारत सरकार ने 1880 से 2001 तक, 121 सालों के दौरान KGF से 900 टन से ज्यादा सोना निकाला। 2001 में गोल्ड माइनिंग पर रोक लग गई। कभी मिनी इंग्लैंड नाम से मशहूर KGF को अब भूतिया शहर कहा जाता है। पूरी खबर पढ़ें…