Friday, June 13, 2025
Friday, June 13, 2025
Homeराशिफलसंतान सुख में बाधा? करें ये आसान ज्योतिषीय उपाय, कुछ ही वक्त...

संतान सुख में बाधा? करें ये आसान ज्योतिषीय उपाय, कुछ ही वक्त में घर में गूंजेगी बच्चों की किलकारियां!


Astro Tips: हर शादीशुदा जोड़े का सपना होता है कि उनके घर में बच्चे की किलकारी गूंजे. जब महीने और साल बीत जाते हैं और संतान का सुख नहीं मिलता, तो चिंता, तनाव और निराशा घर कर जाती है. डॉक्टरी जांच भी कई बार कारण नहीं बता पाती और ऐसे में लोग ज्योतिष की ओर उम्मीद लेकर बढ़ते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कई बार संतान सुख में ग्रहों की बाधा एक बड़ी वजह होती है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हर समस्या सिर्फ ग्रहों से जुड़ी हो. हमारी दिनचर्या, खानपान, संबंधों में तनाव और मानसिक स्थिति भी संतान सुख में देरी की अहम वजह बनती है. इसलिए सबसे पहले जरूरी है कि पति-पत्नी एक-दूसरे से खुलकर बात करें, डॉक्टरी सलाह लें और उसके बाद ज्योतिषीय समाधान को समझें. ध्यान रखें कि सिर्फ पूजा-पाठ से चमत्कार नहीं होगा, अगर आप धूम्रपान, शराब, तनाव या असंतुलित जीवनशैली में रहेंगे तो कोई भी उपाय असर नहीं करेगा. तो अब बात करते हैं ज्योतिषीय उपाय की. इस बारे में बता रहे हैं ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री रवि पाराशर.

कुंडली से कैसे पता चलता है संतान योग?
ज्योतिष में पंचम भाव को संतान का भाव कहा गया है. अगर इस भाव में राहु, केतु या शनि जैसे ग्रह हों या गुरु (बृहस्पति) ग्रह कमजोर हो, तो संतान में रुकावट आती है. सप्तम भाव विवाह और गर्भ का भाव है, इसमें दोष होने पर गर्भधारण में कठिनाई आती है. एकादश भाव इच्छा पूर्ति का भाव है, इसकी स्थिति भी संतान से जुड़ी होती है.

बृहस्पति ग्रह को संतान का प्रमुख कारक माना गया है. अगर यह ग्रह नीच राशि में हो, अस्त हो या राहु-केतु के प्रभाव में हो, तो संतान में देरी या बार-बार गर्भपात जैसी समस्याएं आती हैं. इसके अलावा शुक्र और चंद्रमा भी महिला और पुरुष दोनों की मानसिक और शारीरिक सेहत को दर्शाते हैं. इनका कमजोर होना भी गर्भधारण में बाधा ला सकता है.

क्या सिर्फ ग्रह जिम्मेदार हैं?
नहीं. केवल ग्रहों को दोष देना सही नहीं है. ज्योतिष भी मानता है कि पूर्व जन्म के कर्म, वर्तमान जीवन में पति-पत्नी के रिश्ते, घर का माहौल, मानसिक तनाव और जीवनशैली का सीधा असर संतान सुख पर पड़ता है. अगर दंपती के बीच प्रेम नहीं है, संवाद की कमी है, या आपसी समझ कमजोर है, तो कुंडली की शांति भी तुरंत असर नहीं करेगी. इसलिए सबसे पहले आपसी तालमेल मजबूत करना जरूरी है.

पितृ दोष और नाड़ी दोष की भूमिका
कई बार कुंडली मिलान के दौरान नाड़ी दोष को नजरअंदाज कर दिया जाता है. यह दोष संतान सुख में बड़ी रुकावट ला सकता है. इसी तरह पितृ दोष तब बनता है जब पूर्वजों की आत्मा को शांति नहीं मिलती- जैसे श्राद्ध, तर्पण या दान समय पर न किया गया हो. यह भी संतान सुख में बाधा बनता है.

2. गाय की सेवा करें – रोजाना सुबह गाय को रोटी, गुड़ या हरा चारा खिलाएं. खासतौर पर जिनके माता-पिता अब जीवित नहीं हैं, उनके लिए यह उपाय बहुत लाभदायक है.

3. पितरों का तर्पण करें – अमावस्या या पितृ पक्ष के दौरान जल, तिल और अन्न से तर्पण करें. इससे पितृ दोष शांत होता है और संतान से जुड़ी बाधाएं कम होती हैं.

4. भगवान कृष्ण की उपासना करें – रोज 108 बार ॐ क्लीं कृष्णाय नमः मंत्र का जाप करें. साथ ही राधा-कृष्ण की तस्वीर घर के पूजन स्थल पर रखें.

5. सूर्य को अर्घ्य दें – हर सुबह तांबे के लोटे में जल, रोली और चावल डालकर सूरज को अर्घ्य दें. यह उपाय शरीर और मन को ऊर्जा देता है और ग्रहों की स्थिति मजबूत करता है.

6. तुलसी की पूजा करें – महिलाएं रोज शाम को तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाएं और ॐ नमो नारायण नमः मंत्र का जाप करें.

अगर संतान है लेकिन सुख नहीं?
कई बार बच्चा होता है लेकिन वह जिद्दी, अस्वस्थ या चिड़चिड़ा रहता है. या फिर माता-पिता को उससे भावनात्मक सुख नहीं मिलता. इसका कारण भी ग्रह हो सकते हैं. खासकर अगर बच्चे की कुंडली में बृहस्पति कमजोर हो या मंगल दोष हो.

  • 1. बच्चे की जन्म कुंडली दिखाकर उसके नाम से गुरु ग्रह की शांति करवाएं.
  • 2. बच्चे के तकिए के नीचे पीले कपड़े में हल्दी की गांठ, केसर और गोमती चक्र रखें.
  • 3. बच्चे से बात करें, उसे प्यार दें और उसकी भावनाओं को समझें. घर का वातावरण शांत और सकारात्मक रखें.


  • Source link

    RELATED ARTICLES

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here

    Most Popular