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धमतरी के लीलमचंद सुराना ने संसारिक मोह-माया त्यागकर संयम की राह पकड़ ली है। वे 30 अप्रैल को बिकानेर में दीक्षा लेकर संत बनेंगे। श्री साधु मार्गी जैन संघ ने गुरुवार को स्थानक भवन में उनका अभिनंदन किया। विधायक ओंकार साहू ने मोती की माला पहनाकर सम्मान किया। सुराना वर्तमान में श्री साधु मार्गी जैन संघ के अध्यक्ष हैं।
17 अप्रैल को धमतरी में उनका अंतिम अभिनंदन हुआ। सुबह शहर में शोभायात्रा निकाली गई। समता युवा मंच के निकेश कोटडिया, लक्की पारख, प्रखर नाहर, एकांत बाफना, प्रदीप बुरड़, तुषार गोलछा, मनीष पीचा, तुषार नाहर और रिंकल सांखला ने स्वागत किया। कार्यक्रम में विभिन्न जिलों से समाज के लोग पहुंचे। इनमें राष्ट्रीय मंत्री नवीन देशलहरा, गुंडरदेही संघ अध्यक्ष अशोक देशलहरा, दुर्ग संघ अध्यक्ष ओम सांखला, ज्ञानचंद्र पारख, गुलाबचंद, महावीर गोलछा, रतनचंद सांखला, दीपक कुमार, प्रियांश बाफना, हीरालाल चौरडिया, संदीप देशलहरा, भरत नाहर, गंभीरमल सांखला, स्थानक संघ धमतरी के मदन लाल, अध्यक्ष रमन लाल, मूर्तिपूजक संघ के अध्यक्ष विजय गोलछा, छत्तीसगढ़ साधु मार्गी जैन संघ के महामंत्री नवीन देशलहरा शामिल रहे।
लीलमचंद का चारामा में हुआ जन्म लीलमचंद सुराना का जन्म चारामा में हुआ। कांकेर निवासी रचना से विवाह हुआ। परिवार में 2 पुत्र हर्षित और संभव सुराना, बेटी डॉ. तृप्ति जैन और बहू प्रगति सुराना हैं। बेटी का विवाह हो चुका है। उनकी कर्मभूमि कांकेर, दुर्ग और धमतरी रही। 10 साल पहले उनके मन में संयम की राह पर चलने का विचार आया। वे मनोरमा श्री से प्रभावित हुए। इसके बाद दिनचर्या में बदलाव शुरू किया। संपत्ति और परिवार के नाम कर दी। लगातार उपवास, तपस्या की। 200 किमी की पदयात्रा भी की। 11 मार्च 2025 को गुरुदेव ने उनका आज्ञापत्र स्वीकार किया। तब से मोबाइल और चप्पल भी त्याग चुके हैं। नियमों का पालन कर रहे हैं। दीक्षार्थी सुराना ने कहा कि यह स्वागत उनका नहीं, गुरुदेव का है। वे गुरू के इशारे पर चलने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने लोगों से बिकानेर में होने वाले दीक्षा समारोह में शामिल होने की अपील की है।